राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर की ओर से दादाबाड़ी में हुए पुरस्कार एवं सम्मान समारोह 2023-24 में 70 लेखक हुए सम्मानित
वेद व्यास को साहित्य मनीषी पुरस्कार, रत्न कुमार सांभरिया को मीरां पुरस्कार, डाॅ रणजीत को जनार्दन राय नागर सम्मान, नंद भारद्वाज को विशिष्ट साहित्यकार सम्मान
उदयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर की ओर से गुरुवार को चूरू जिला मुख्यालय स्थित दादाबाड़ी सभागार में पुरस्कार एवं सम्मान समारोह 2023-24 में प्रदेश के 70 हिंदी साहित्यकारों को पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किए गए। अकादमी अध्यक्ष दुलाराम सहारण, मुख्य अतिथि लेखक वेद व्यास एवं उपाध्यक्ष सुनीता घोघरा ने साहित्यकारों को सूत की माला, सम्मान पत्र, गांधी टोपी पहनाकर एवं शाॅल ओढ़ाकर पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि लेखक एवं राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष वेद व्यास ने कहा कि वर्तमान में साहित्य को बड़ी चुनौती दक्षिणपंथी ताकतों से है, जो देश को बांटने का काम कर रही है। उन्होंने बताया कि मैं कबीर और प्रेमचंद की प्रगतिशील परम्परा का सिपाही हूं और राजस्थान के हर आंदोलन में मेरी भागीदारी रही है। उन्होंने कहा कि आज का लेखक भयभीत अवस्था में जी रहा है और साहित्य का जो तेवर होना चाहिए, वह दिखाई नहीं दे रहा है। आज ऐसे लेखक नजर नहीं आ रहे हैं जो दलितों और गरीबों के अधिकार के लिए माक्र्स की परम्परा को समझे, आज वो लेखक नहीं दिख रहे जो नेहरू की तर्ज पर भारत की खोज करे। उन्होंने कहा कि साहित्यकार को कालजयी होना है तो उसे समय के सत्य को लिखना होगा। देश में संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए कलम के सिपाही को आगे आना होगा।
राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने अकादमी की ओर से साहित्य एवं साहित्यकारों के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और बताया कि अनेक नवाचार किए गए हैं, बंद पुरस्कार शुरू किए गए हैं, लंबित पुरस्कार दिए गए हैं और नए पुरस्कार भी शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अकादमी लेखकों एवं साहित्य की सेवा के लिए हैै। सहारण ने कहा कि लेखकों के लिए यह बोलने का समय है। उन्हें क्रूर एवं निरंकुश ताकतों के खिलाफ बोलना चाहिए। हमें बोलना होगा और बोलने के खतरे भी उठाने होंगे। उन्होंने देश की दूसरी संस्थाओं की ओर संकेत करते हुए कहा कि राजस्थान अपने हिंदी लेखकों की उपेक्षा सहन नहीं करेगा।
विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित प्रख्यात हिंदी लेखक अरूण माहेश्वरी ने कहा कि हम ऐसे उलट-पलट के समय में जी रहे हैं, जहां नीयत तरीके से चीजों को खराब करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाज में बढ़ती हुई दौलत बढ़ती हुई गरीबी के रूप में दिखाई देती है। उन्होंने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि कोरोना त्रासदी में हम जिन अनुभूतियों से गुजरे हैं, उसमें ऐसे आयोजन अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।
विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित प्रख्यात हिंदी लेखिका सरला माहेश्वरी ने अपने कहा कि आज के समय में नियंत्रण सबसे बड़ा शब्द हो गया है और सांप्रदायिक प्रदूषण के इस समय में प्रेम को व्यक्त करने वाली भाषा पर भी नियंत्राण किये जाने की कोशिशें चल रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें किताबों को बचाना है क्योंकि किताबों में मुहब्बत बची हुई है।
अमृत सम्मान से सम्मानित लेखिका लक्ष्मी रूपल ने अपने कहा कि ईश्वर ने जब प्रतिभा बांटी तो गांव-ढाणी, महानगर का फर्क नहीं किया। ऐसे में एक छोटे शहर मंे यह आयोजन भी उसी तर्ज पर किया जा रहा है, जो सराहनीय है। विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित प्रख्यात लेखक नंद भारद्वाज लेखक अपने समय और समाज का प्रतिनिधि होता है। वह उन मूल्यों को बचाने के लिए काम करता है, जिसकी समाज और मनुष्यता को बहुत आवश्यकता है।
विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित प्रख्यात लेखक मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि आज के दौर में जब बहुत सारी ताकतें लोगों को बांटने मंे लगी हुई हैं, ऐसे मंे साहित्य ही लोगों की संवेदनशीलता को बचाए रखने का काम कर सकता है।
मीरां पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ लेखक रत्न कुमार सांभरिया ने अपनी कृति सांप के बारे में बताया कि यह उन लोगों के बारे में हैं, जो आज भी धरती को बिछौना कर आकाश ओढ़ रहे हैं। उन लोगों की दुश्वारियां देखकर यह उपन्यास लिखा गया है। जनार्दन राय नागर सम्मान से सम्मानित डाॅ रणजीत ने कहा कि मैं प्यार और बगावत के गीत लिखता हूं। उन्होंने कहा कि अपने आप को इंसान बनाना ही साहित्य का उद्देश्य है। सम्मान समारोह से अभिभूत डाॅ रणजीत ने कहा कि बहुत बरसों से इतना अच्छा काम नहीं देखा, ऐसा काम अकादमी में हो रहा है।
इससे पूर्व अकादमी अध्यक्ष दुलाराम एवं उपाध्यक्ष डाॅ सुनीता घोघरा ने किताबों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अकादमी के कोषाध्यक्ष कमल शर्मा ने स्वागत भाषण के साथ अकादमी का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उपाध्यक्ष डाॅ घोघरा ने आभार जताया। संचालन साहित्यकार संदेश त्यागी एवं राजूराम बिजारणियां ने किया।
पूर्व पुलिस महानिरीक्षक पीसी सामौर, सरिता भारत ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस दौरान नोहर से पवन शर्मा, शमशाद अली, डाॅ सुरेंद्र सोनी, रामकुमार घोटड़, सत्यनारायण शांडिल्य, कमल कोठारी, प्रो. एचआर इसराण, डाॅ सुमेर सिंह, डाॅ गंगासहाय मीणा, राजेंद्र मुसाफिर, सुधींद्र शर्मा, विनीत ढाका, लालचंद चाहर, डाॅ उम्मेद गोठवाल, विकास मील, हेमंत सिहाग सहित अकादमी की सरस्वती सभा एवं संचालिका सदस्य, प्रदेश भर से आए साहित्यकार एवं सुधी साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
अकादमी के सर्वोच्च सम्मान ‘साहित्य-मनीषी’ से प्रगतिशील लेखक, चिंतक और विचारक, अकादमी के पूर्व अध्यक्ष वेद व्यास को सम्मानित किया गया। उन्हें सम्मान स्वरूप दो लाख 51 हजार रुपए तथा सम्मान पत्रा प्रदान किया गया। इसी प्रकार अकादमी के जनार्दनराय नागर सम्मान से प्रख्यात आलोचक, विद्वान डाॅ . रणजीत को एक लाख रुपए एवं सम्मान पत्रा देकर सम्मानित किया गया। वर्ष 2023-24 का सर्वोच्च मीरां पुरस्कार जयपुर निवासी रत्नकुमार सांभरिया को उनके उपन्यास ‘सांप’ के लिए दिया जाएगा। उन्हें 75 हजार रुपए एवं सम्मान पत्र प्रदान किया गया। इसी कड़ी में उदयपुर के चेतन औदिच्य को कविता संग्रह ‘पानी’ के लिए सुधींद्र पुरस्कार, जालोर के पुरुषोत्तम पोमल को उपन्यास ‘पाषाण पुत्राी क्षत्राणी हीरा-दे’ के लिए रांगेय राघव पुरस्कार, बीकानेर के आलोचक हरीश बी. शर्मा को कृति ‘प्रस्थान बिंदु’ के लिए देवराज उपाध्याय पुरस्कार, जयपुर के राघवेंद्र रावत को डायरी ‘मारक लहरों के बीच’ के लिए कन्हैयालाल सहल पुरस्कार, अजमेर के रासबिहारी गौड़ को कृति ‘गांधी जिंदा है’ के लिए नाटक विधा का देवीलाल सामर पुरस्कार, कोटा मूल की चेन्नई निवासी रोचिका अरुण शर्मा को कथा कृति ‘किताबों से बातें’ के लिए बाल साहित्य का शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार तथा उदयपुर के बिलाल पठान को ‘अब पेड़ फल बेचेंगे’ को सुमनेश जोशी प्रथम कृति पुरस्कार दिया गया।
कार्यक्रम में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के सुरेंद्र सिंह को कहानी के लिए, इक्कीस काॅलेज गोपल्याण-लूनकरणसर के दामोदर शर्मा को कविता के लिए, एसएसएस काॅलेज, तारानगर के अमनदीप निर्वाण को एकांकी के लिए एवं इक्कीस काॅलेज, गोपल्याण के पवन कुमार गुसांई को निबंध के लिए चंद्रदेव शर्मा पुरस्कार, राउमावि भवानीमंडी-झालावाड़ की शुंभागी शर्मा को कविता के लिए, द स्कोलर्स एरिना, उदयपुर की परी जोशी को कहानी के लिए, इक्कीस एकेडमी फाॅर एक्सीलेंस, गोपल्याण की करुणा रंगा को निबंध के लिए एवं इक्कसी एकेडमी फाॅर एक्सीलेंस, गोपल्याण की द्रोपती जाखड़ को लघुकथा के लिए परदेशी पुरस्कार दिया गया। वर्ष 2023-24 का सुधा गुप्ता पुरस्कार निबंध के लिए इक्कीस काॅलेज गोपल्याण की कौशल्या जाखड़ को दिया गया।
समारोह में 2023-24 के अमृत सम्मान से भागीरथ परिहार कोटा, शंकरलाल स्वामी बीकानेर, देवदत्त शर्मा जयपुर, लक्ष्मी रूपल उदयपुर, शिवनारायण वर्मा कोटा, भवानीशंकर गौड़ उदयपुर, रामप्रसाद शर्मा किशनगढ़, खुर्शीद अहमद शेख उदयुपर, नवल किशोर भाभड़ा अजमेर, संतोष कुमार पंछी सादुलपुर, विनोद सोमानी हंस अजमेर, लक्ष्मण लाल योगी बूंदी, आनंदकौर व्यास बीकानेर, प्रफुल्ल प्रभाकर अजमेर एवं रमेश छाबड़ा सूरतगढ़ को सम्मानित किया गया। इस सम्मान में 31 हजार रुपए तथा सम्मान पत्रा दिया जाता है।
इसी प्रकार बीकानेर मूल के अरुण माहेश्वरी, सरदारशहर के अशोक अनुराग, करौली के असद जैदी, जैसलमेर के ओम प्रकाश भाटिया, जयपुर के कृष्ण कुमार रत्तू, कोटा के किशनलाल वर्मा, जोधपुर के कौशलनाथ उपाध्याय, जोधपुर के गुलाबचंद बारासा, जोधपुर के ताराराम मेघवाल, संगरिया के गोविंद शर्मा, बीकानेर के प्रमोद चमोली, जयपुर के प्रेमचंद गांधी, बीकानेर के मधु आचार्य आशावादी, चूरू के बनवारी शर्मा खामोश, बाड़मेर के बंशीधर तातेड़, कोटा के बृजेंद्र कौशिक, जयपुर के बीएल माली अशांत, बीकानेर के बुलाकी शर्मा, जयपुर के नंद भारद्वाज, कोटा के नरेंद्रनाथ चतुर्वेदी, पीलीबंगा के निशांत, बीकानेर के नीरज दइया, बांसवाड़ा के रमेश चंद्र वडेरा, सूरतगढ के राजेश चड्ढा, बीकानेर की रेणुका व्यास नीलम, भरतपुर के वेद प्रकाश शर्मा वेद, श्रीडूंगरढ के श्याम महर्षि, कोटा के शकूर अहमद, अलवर के शंभू गुप्त, जोधपुर के श्रवण कुमार मीणा, श्रीडूंगरगढ के सत्यदीप भोजक, जयपुर के सूरज पालीवाल, बीकानेर मूल की सरला माहेश्वरी, कोटा के सीएल सांखला, जयपुर के हरदान हर्ष एवं जोधपुर के हरिप्रकाश राठी को विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित किया गया। इन्हें 75-75 हजार रुपए एवं सम्मान पत्र प्रदान किए गए।