उदयपुर। क्या आपने कभी अपने सपनो को टूटते देखा है? कई दफे कठिन परिस्थितियों के चलते सपने पूरे नही हो पाते हैं और इसका दु:ख जीवन भर के लिए हमें कौंधता रहता है लेकिन जब अचानक सपनों को पूरा करने के लिए कोई आगे बढक़र सहयोग करता है तो वह फरिश्ते से कम नही लगता। ऐसा ही कुछ हुआ है शहर से सटे बेदला गांव की होनहार बेटी माही चौहान के साथ। माही पिछले लगातार तीन वर्षों से पावर लिफ्टिंग एव वेट लिफ्टिंग में लेकसिटी का नाम रोशन कर रही है लेकिन गोल्ड मेडलिस्ट माही चौहान के परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते वह अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नही कर पा रही थी।
बेदला के पुरोहित वाड़ी निवासी माही चौहान ने कुछ दिन पहले सब जूनियर वर्ग की स्ट्रांग गर्ल का खिताब जीता था और पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया। अब माही को अगले महीने ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जाना है लेकिन परिवार की खस्ता माली हालात ने उसके इस सपने पर पानी फेरने का काम किया। माही के पिता रणजीत सिंह ट्रेनिंग के लिए घर पर ही जिम खोलकर जुगाड़ से रबड़ वैट पर प्रेक्टिस करवा रहे हैं, जबकि उसे आयरन वैट की आवश्यकता है। डाइट के रूप में प्रतिदिन पनीर, चिकन, अंडे, मौसम्बी, पाइनेपल का ज्यूस भी सेवन कराने में भी सक्षम नहीं हैं। माही के प्रेक्टिस के लिए एक कॉस्ट्यूम की भी आवश्यकता थी। इन सब का खर्च करीब 2 लाख रुपये के आसपास है। ऐसे में माही के पिता बडग़ाँव उपप्रधान प्रतापसिंह राठौड़ के पास पहुंचे। राठौड़ ने माही की प्रतिभा को देख एक समाजसेवी भामाशाह से 2 लाख रुपये की मदद तुरंत दिलवा कर उसे और उसके परिवार को राहत दिलाई। बिरले भामाशाह ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर ही माही चौहान को सहयोग प्रदान किया है। माही को रोजाना प्रेक्टिस करवाने वाले बेदला स्कूल के शारीरिक शिक्षक हर्षवर्धनसिंह राव ने भामाशाह और उपप्रधान का धन्यवाद ज्ञापित किया। राव ने बताया कि खेल से जुड़ी प्रतिभाओं को सरंक्षण देना हम सब का कर्तव्य है लेकिन लोग इसमें आगे आने में कतराते हैं। लोगों को इसके लिए बढ़चढ़ कर आगे आना चाहिए। माही के पिता ने दावा किया कि भामाशाह के सहयोग के बाद वे और उनका परिवार माही को वल्र्ड चैंपियन बनाने में कोई कसर नही छोड़ेंगे।