उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर की ओर से 21 दिसंबर से आयोजित हो रहे शिल्पग्राम महोत्सव में इस बार कई नवाचार भी लुभाएंगे। इनमें जहां ज्योतिषीय राशियों के स्कल्पचर हर मेलार्थी के आकर्षण का केंद्र होंगे, वहीं विभिन्न जनजातीय समुदाय की संस्कृति को दर्शाते कई मुखौटे बरबस ही सभी का ध्यान खींचेंगे।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि इस बार दस दिवसीय विश्व प्रसिद्ध शिल्पग्राम महोत्सव अपनी अनूठी छाप ही नहीं छोड़गा, बल्कि नवाचारों से भी महोत्सवार्थियों को रू-ब-रू कराएगा। जहां तक मुखौटों का प्रश्न है, इनका निर्माण विभिन्न प्रांतों के मंझे हुए 12 कलाकारों ने अपने सधे हाथों से किया है। ये आर्टिस्ट राजस्थान के उदयपुर और बूंदी के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र तथा तेलंगाना के हैं।
कलाकारों ने अपने हुनर से कई जनजातिय समुदायों के लोगों और लोक देवताओं को सजीव करते मुखौटे बनाने में फाइबर, आयरन और पेपरमेशी का तो उपयोग किया ही है, वहीं इनमें मिट्टी, कपड़े, बांस, बांस की टोकरी, कागज, इमली के बीज का आटा, सूतली, फेविकोल आदि का उपयोग कर उनको ऐसा बनाया है मानो अभी बोल पड़ेंगे। इनको इतने बेहतरीन रंगों से सजाया है कि कोई भी देखकर दांतों तले अंगुली दबा सकता है। केंद्र के निदेशक खान ने बताया कि ये मुखौटे 3 से 6 फीट तक की साइज में हैं। इन पर हाव-भाव भी बहुत ही बारीकी से उकेरे गए हैं।
फुरकान खान ने बताया कि इस बार महोत्सव का एक बड़ा नवाचार और आकर्षण होंगे बारह ज्योतिषीय राशियों के आदमकद स्कल्पचर। ये स्कल्पचर जाने-माने संगतराशों यानी पाषाण शिल्पियों ने तैयार किए हैं। इनमें बहुत ही बारीकी से पाषाणों पर काम किया गया है। ये दस्तकारी का अनुपम उदाहरण तो बनेंगे ही, मेलार्थियों और खासकर मुक्ताकाशी मंच पर कार्यक्रम देखने पहुंचने वाले दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी बनेंगे। और तो और, ये इतने खूबसूरत बने हैं कि सभी उम्र के लोग अपनी राशि के साइन के साथ अवश्य ही सेल्फी लेना चाहेंगे, जो उम्रभर के लिए यादगार बनेगी। ऐसे खूबसूरत राशियों के साइन शायद ही कहीं देखे गए हों। ये स्कल्पचर मुक्ताकाशी मंच के आसपास रखवाए जाएंगे।