उदयपुर। जब स्तन कैंसर के निदान और उपचार की बात आती है, तो यह साल शहर के कैंसर विशेषज्ञों व महिलाओं को बहुत कुछ सिखा रहा है। कोविड-19 की चुनौतियों से भरपूर इस साल के दौरान इन विशेषज्ञों स्तन कैंसर की जांच और चिकित्सा के संबंध में काफी कुछ सीखा और नए तरह के अनुभवों को हासिल किया। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा कोविड-19 महामारी के दौर में स्तन कैंसर की जांच एवं उसके इलाज को टालने का गंभीर नतीजा हो सकता है। आने वाले समय में इसकी परिणति सामने आ सकती है और कैंसर से होने वाली मौतों में इजाफा देखने को मिल सकता है। निश्चित तौर पर कोविड-19 की महामारी ने स्तन कैंसर की मरीजों के समक्ष स्तन कैंसर की जांच एवं चिकित्सा के संदर्भ में कठिन चुनौतियां खड़ी की है।
जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के आँकोलॉजिस्ट डॉ. मनोज महाजन ने कहा कि हमने इस अवधि के दौरान स्तन कैंसर के बारे में की जाने वाली पूछताछ में काफी बढ़ोतरी देखी है। हम महिलाओं से अपील कर रहे हैं कि वे अपने स्तन की नियमित रूप से जांच करती रहें और जरूरी होने पर संबंधित डाक्टरों से संपर्क करें। स्तन कैंसर का पता जितना जल्दी लगेगा उतना ही अधिक उसका उपचार सफल रूप से होगा। विभिन्न अस्पताल इस बात की हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि जो भी अस्पताल आएं वे संक्रमणों से सुरक्षित रहें और जिन्हें इलाज की जरूरत है उनका इलाज अस्पतालों में बिना किसी दिक्कत के हो सके क्योंकि स्तन कैंसर की जांच और उसके इलाज में देरी होने से आने वाले दशक में स्तर कैंसर से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
डॉ. मनोज महाजन ने कहा कि स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग के कार्यक्रमों से कैंसर के मरीजों में जीवित रहने की दर में वृद्धि तथा उनकी मौत होने की दर में कमी आने की पुष्टि व्यापक तौर पर हो चुकी है। स्तन कैंसर के जिस मामले में जल्दी जांच होती है उस मामले में इलाज आसान होता है और मरीज के जीवित रहने की दर को अधिक से अधिक किया जा सकता है। स्तन की नियमित स्क्रीनिंग के अलावा 40 साल की उम्र के बाद हर साल मैमोग्राम के जरिए जांच तथा 30 साल की उम्र के बाद से स्तन की स्वयं जांच हर महिला के लिए बहुत जरूरी है। कोविड-19 के कठिन समय के दौरान विशेषज्ञ फोन एवं ऑनलाइन वीडियो परामर्श के जरिए मरीजों को उनके लक्षणों के आधार पर उन्हें आगे की कार्रवाई के बारे में सुझाव दे रहे हैं इसलिए अगर कोविड-19 महामारी के कारण मैमोग्राम कराने में देरी हो रही है तो विशेषज्ञों का सुझाव है कि आप अपने डॉक्टर को फोन करें और उनसे इलाज के बारे में परामर्श करें।
स्तन कैंसर भारत में शहरी महिलाओं में सबसे आम कैंसर बन गया है और ग्रामीण महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बढ़ती शहरीकरण और बदलती जीवनशैली के कारण स्तन कैंसर के मरीजों की संख्या में 2030 तक उल्लेखनीय रूप से बढ़ सकती है। स्तन कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी होने के कुछ कारणों में जंक फूड और धूम्रपान के साथ आरामतलब जीवन शैली भी शामिल है। इसके अलावा, परिवार में स्तर कैंसर के इतिहास और आनुवंशिकी कारण भी किसी महिला में स्तन कैंसर होने के जोखिम को निर्धारित करने में भूमिका निभाते हैं। जिस महिला के परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास है और जिनकी आयु 50 वर्ष की आयु से अधिक है उनमें स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। स्तन की जांच करने के लिए स्तन को स्पर्श करते हुए यह देखें कि क्या आप कुछ असामान्य महसूस कर रही है या आपके स्तन में किसी तरह का बदलाव तो नहीं आया है। अगर आपको ऐसा कुछ लगता है तो अपने डाक्टर के साथ परामर्श करें। जब आप खुद अपने स्तन की जांच करती हैं तो याद रखें कि निप्पल क्षेत्र, बगल के क्षेत्र और कॉलरबोन तक सभी स्तन ऊतकों की जांच करें। जिन महिलाओं में स्तन कैंसर का पता चलता है उन्हें योजनाबद्ध और प्रणालीगत चिकित्सा की आवश्यकता होती है, जो उनके कैंसर की स्थिति के आधार पर अलग-अलग होती है। जिनका जितना जल्दी इलाज शुरू होता है वे उतना ही तेजी से और उतना ही जल्दी स्वस्थ होती है। कोविड-19 के कठिन समय के दौरान स्तन कैंसर की जांच एवं उसके इलाज में देरी काफी घातक साबित हो सकती है।
कोविड-19 के दौरान नजऱअंदाज़ न करें स्तन कैंसर के शुरूआती संकेतों को
