मोहन वीणा और सात्विक वीणा पर ऐसे बिखरे सुरों के मोती कि श्रोता हुए मालामाल

हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग से पंडित चतुरलाल स्मृति शास्त्रीय संगीत संध्या-
उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत) :
खुशनुमा मौसम, संगीत के सौंदर्य से सराबोर माहौल… कुछ ऐसा ही नजारा था जिंक सिटी में आयोजित ख्यातनाम तबलावादक पंडित चतुरलाल की याद में शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी मंच पर सजी सुर-ताल की महफिल का।
हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने कहा, आपसी सौहार्द के लिए संगीत से बेहतर तरीका नही हो सकता है। हम स्मृतियां के साथ अपने लंबे समय से उदयपुर वासियों और संगीत प्रेमियों को बेहतरीन कलाकरों के साथ उन्हें बेहतरीन संगीत पहुंचा रहे हैं। हिंदुस्तान जिंक और वेदांता ने हमेशा कला और संस्कृति को प्रोत्साहित और सहयोग दिया है। इस मंच के माध्यम से हमारा उद्देश्य जिं़क सिटी उदयपुर को भारत की संगीतमय राजधानी बनाना है और यह उसी दिशा में एक और कदम है।

ग्रैमी अवॉर्ड विजेता पद्मभूषण पं. विश्व मोहन भट्ट और तंत्री सम्राट पं. सलिल भट्ट ने अद्भुत जुगलबंदी से इस महफिल में मौजूद हर श्रोता को ताली बजाने पर बाघ्य कर दिया। उन्होंने अपनी शुरूआत राग जोग से की। जो कि आलाप, जोड़ आलाप, जोड़ झाला, विलंबित और द्रुत गत, तीन ताल मे निबद्ध होगी, ए मीटिंग बाइ दी रिवर रचना, राग मांड मे केसरिया बालम, श्री राम भजन पायो जी मेंने राम रतन धन पायो, तथा वंदे मातरम के वादन से स्वरों को प्रस्तुत किया। भट्ट ने अपनी ग्रैमी अवॉर्ड विजेता रचना अ मीटिंग बाय द रिवर, भूपाली धुन तथा बंदे मातरम के वादन से स्वरों को साकार किया। मोहन और सात्विक वीणा की जुगलबंदी तथा प्रांशु चतुरलाल का तबला अप्रतिम रहा।

पण्डित भट्ट जो कि विश्व में मोहन वीणा के अविष्कार के लिए प्रसिद्ध हैं, एवं जो सरोद , सितार और वीणा का संगम है। प्रस्तुति की शुरूआत में पण्डित जी ने श्रोताओं को संगीत का मनुष्य के जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि संगीत आत्मा का परमात्मा से मिलन का एक मणिकंचन संयोग है। दोनो ने अपनी धुनों के जरिए ऐसा जादू चलाया कि श्रोता वाह-वाह कर उठे।

करीब एक घण्टे की उनकी प्रस्तुतियों के बीच सभागार बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मोहन वीणा की धुनों के साथ तबले की थापों की जुगलबंदी ने श्रोताओं को बहुत रोमांचित किया।

ख्यातनाम तबलावादक पंडित चतुरलाल की याद में यहां सजी सुर-ताल की महफिल यादगार बन गई, जब सुरों की ऊष्मा ने ओस में भीगी रात को भी ऊर्जा से भर दिया। अपने-अपने वाद्यों में पारंगत ख्यातनाम हस्तियों ने सुरों के ऐसे बेशकीमती मोती बिखेरे कि श्रोता मालामाल हो उठे।

महफिल ‘स्मृतियां’ में राजकुमार प्रांशु चतुरलाल, विश्व के सबसे तेज पियानोवादक डॉ. अमन बाथला, युवा वायलिन वादक शुभम सरकार और घाटम विशेषज्ञ शौनोक बनर्जी एकसाथ मंच पर क्या बैठे, सुरों का सारा संसार कुछ देर के लिए मानो वहीं रच-बस गया।

इन वादकों की जुगलबंदी की शुरुआत तबला एवं परकर्शन पर पंडित चतुरलाल को श्रद्धांजलि देते हुए, जल वायु और अग्नि के संगीत के साथ आठ मात्रा में तबले और घटम पर हुई जिसमें प्रांशु चतुर लाल का साथ ऑडिएंस के साथ तालमेल बिठाते हुए कर्नाटक शैली से संबद्ध शौनक बेनर्जी ने की , दोनों ने मिल कर हिंदुस्तानी और कर्नाटक शैली को आठ ताल में बांधते हुए अपनी प्रस्तुति दी। इसके बाद तीसरी कड़ी शुभम सरकार ने वायलिन पर प्रांशु और शौनक का साथ देते हुए राग किरवानी पर अपनी प्रस्तुति पर आलाप छेड़ा। चैथी कड़ी डॉ अमन बाटला ने अपने पियानो पर साथ देते हुए अयोध्या की प्रस्तुति दी। इसके बाद रघुपति राघव राजा राम एवं लता मंगेश्कर के प्रसिद्ध गीत लग जा गले की सामुहिक जुगलबंदी ने श्रोताओं को तालिया बजाने पर मजबूर कर दिया। प्रस्तुति के अंत में ‘रिदम मूड’ में आए इन कलाकारों ने सुरों की धुन छेड़ी, जिसे गायन-वादन के मीठे स्वर-ताल में पिरोते हुए संध्या को विराम दिया।

इससे पूर्व शाम को शुरूआत जल तरंग पर केसरिया बालम से हुई जिसे रोशनलाल एवं तबले पर हिमांशु ने शानदार संगत दी, जिसे श्रोताओं की खूब दाद मिली।ब्रह्मांड बैंड ने व्यावहारिक अभिव्यक्ति को सामने लाते हुए लय और माधुर्य आपस में विलोपित होकर एक नए आयाम की सृष्टि की। कल्पनाशील संगीत में अपनेआप में विश्वव्यापी सहयोग, बाधाएं हटाने एवं आपसी संबंधों को बढ़ावा देकर शांति लाने का प्रयास साकार होता नजर आया।

पंडित चतुरलाल मेमोरियल सोसायटी, वेदान्ता, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से स्मृतियां के 23 वें संस्करण के सह-प्रायोजक राजस्थान स्टेट माइन्स एंड मिनरल्स लिमिटेड, गेल इंडिया, एनटीपीसी, राजस्थान टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी पार्टनर प्राइड होटल और वेन्यू सपोर्टर वेस्ट जोन कल्चर सेंटर ने भी सहयोग किया। कार्यक्रम में वेदांता के मुख्य सुरक्षा अधिकारी गोपाल प्रसाद चैधरी, हेड आईटी हिन्दुस्तान जिं़क चेतन त्रिवेदी, हेड सीएसआर अनुपम निधि, हेड कार्पोरेट कम्यूनिकेशन मैत्रेयी सांखला उपस्थित थे। पंडित चतुरलाल के पुत्र चरणजीत लाल, पुत्रवधू मीता लाल ने कलाकारों का स्वागत किया। संचालन पंडित चतुर लाल फेस्टिवल की कला निदेशक श्रुति चतुरलाल ने किया।

Related posts:

वीआईएफटी में डिजिटल एरा लाइटिंग एंड कैमरा टैक्निक पर वर्कशॉप सम्पन्न

TAFE offers free tractor rental for small farmers of Rajasthan during COVID-19

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ ने घोषित किया 788 करोड़ का बोनस

सुख-दुख, गरीब-अमीर सब कर्मों पर निर्भर : संजय शास्त्री

108 उपनिषद विश्वार्पित

DP World launches ‘SARAL’ afirst-of-its-kinddedicated rail freightservice connecting Hazira to Delhi...

हिन्दुस्तान जिंक के शिक्षा संबंल कार्यक्रम के तहत् विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास हेतु एमओयू

ऑनलाइन चिकित्सा मित्र का राजस्थान में विस्तार

वेदांता उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल का आगाज़ 7 फरवरी से

आरोहण युवा महोत्सव की तैयारियाँ ज़ोरो पर

अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा 19 जुलाई से उदयपुर में स्कूली पुस्तक पुरालेखागार की तीन दिवसीय प्...

सर्व समाज की बैठक कल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *