विश्व में टेक्नोलॉजी गियर आपूर्तिकर्ता के तौर पर भारत चीन का स्थान ले सकता है

उदयपुर। भारत एक अग्रणी किफायती, उच्च प्रौद्योगिकी दूरसंचार और प्रौद्योगिकी उपकरण आपूर्तिकर्ता के तौर पर चीन का स्थान ले सकता है, बशर्ते इसे सरकार की ओर से पर्याप्त प्रोत्साहन और वित्त पोषण की सुविधा मिले जिससे कि वह इस विश्व बाजार में वैश्विक कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके। सरकार को जरूरत है कि वह इस उद्योग को वित्तीय अवसाद से बाहर निकालने में मदद कर इसे मजबूती प्रदान करे जिससे भारत चीन को कड़ी टक्कर दे सके। यह विचार फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट क्लब साउथ एशिया (एफसीसी) द्वारा चलाई जा रही वेबिनार्स की एक सीरीज में पैनल द्वारा व्यक्त किया गया। एफसीसी ने आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के अभियान पर एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया जिसमें उद्योग जगत के तीन दिग्गज- टेक महिन्द्रा के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ सीपी गुरनानी, सीओएआई (सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के महानिदेशक राजन मैथ्यूज एवं वरिष्ठ सरकारी अधिकारी डॉ. दिनेश त्यागी-सीईओ सीएससी ई गवर्नेंस सर्विस इंडिया लिमिटेड शामिल हुए। इन लोगों ने महसूस किया कि नीतिगत पहल, सार्वजनिक निजी साझीदारी और अंतिम छोर तक एक सुगम उद्यमशीलता पारितंत्र की जरूरत है जिससे भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ एक आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऊंची छलांग लगा सके।
वेबिनार के उद्घाटन सत्र में सीपी गुरनानी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का यह अर्थ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से मुंह मोडऩा नहीं है। वास्तव में हम आपूर्ति श्रृंखला में अग्रणी स्थान हासिल कर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाना चाहते हैं। भारत चीज़ों को अपना सकता है और बदलाव ला सकता है, लेकिन हमें आत्मनिर्भर भारत को हकीकत बनाने में सरकार की ओर से नेतृत्व की जरूरत है। मुझे इस बात की खुशी है कि मोदी सरकार ने नींद से जगा देने वाला आह्वान किया है। हमें इसे गति में तब्दील करने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खपत बढ़ाने की जरूरत है।
राजन मैथ्यूज ने कहा कि हमारे पास प्रतिभाएं हैं और मूल्य सृजन के लिए हमारी क्षमता का दोहन करना होगा। इस देश के भीतर मूल्य सृजन करने के लिहाज से जबरदस्त अवसर मौजूद हैं। हम आरएंडडी में भारी निवेश नहीं करते और इसलिए हम आईपीआर के खेल में पीछे छूट गए हैं। अगर हम आत्मनिर्भर भारत को एक हकीकत बनाना चाहते हैं तो हमें अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन देना होगा। हमें मुक्त स्रोत को भी एक गंभीर कारोबारी अवसर के तौर पर लेना होगा और व्यापारिक बातचीत में तेज़ तर्रार बनना होगा। जिस तरह से अन्य देशों ने किया है, हमें दो तीन उद्योग विशेष को प्राथमिकता देनी होगी। हमें कर्ज सस्ता करना होगा और ऐसे लोगों के हाथों में पैसा पहुंचाना होगा जो मूल्य सृजन कर सकते हैं। हमें हमारी क्षमताओं को विकसित करने के लिए स्टार्ट अप्स और लोगों को सशक्त करना होगा।
डॉ. दिनेश त्यागी ने कहा, देश के विभिन्न हिस्सों से हमारे गांव के स्तर के उद्यमी शानदार काम कर रहे हैं और कोविड-19 के दौरान जबरदस्त काम किया है। हमने इस देश में आईसीटी युक्त ग्रामीण उपक्रमों का निर्माण किया है। हम सशक्त और डिजिटल समावेशी समाज का निर्माण करने की दिशा में ग्रामीण लोगों के लिए सभी सेवाओं पर काम कर रहे हैं। सीएससी के जरिये डिजिटल साक्षरता ग्रामीणों के जीवन के लिए आशा की एक किरण के तौर पर उभरी है। ऐसे लोग जो अपनी आजीविका कमाने में असमर्थ हैं और दूसरों पर निर्भर हैं, उनके लिए डिजिटल साक्षरता एक वरदान साबित हुआ है जहां लोग आत्मनिर्भर बनने के लिए सशक्त हुए हैं। पूरे ग्रामीण भारत में कॉमन सर्विस सेंटर के वीएलई द्वारा जीवन में परिवर्तन लाने वाली चीज़ें क्रियान्वित की जा रही हैं जिससे डिजिटल तौर पर समावेशी और सशक्त समाज तैयार हो रहा है। हमारे वीएलई डीबीटी: डिजिटल डॉक्टर, डिजिटल बैंकर और डिटिल अध्यापक के तौर पर काम कर रहे हैं। सीएससी ई ग्रामीण स्टोर्स का संचालन एक लाख वीएलई द्वारा किया जा रहा है। हम स्थानीय स्तर पर सामग्री खरीदते हैं और इसकी आपूर्ति स्थानीय सामुदायिक किसान मार्ट को करते हैं। एक किसान सीधे उपभोक्ताओं को बिक्री कर सकता है। सीएससी की विभिन्न पहल के जरिये किसानों को सशक्त किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी की मदद से हम आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर रहे हैं। यह सीएससी के जरिये समुदायों को सशक्त करने के बारे में बात करता है। जैसा कि दुनिया अप्रत्याशित संकट का सामना कर रही है, भारत ने एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का रास्ता चुना है जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रूपये के प्रोत्साहन पैकेज आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की जोकि अर्थव्यवस्था का 10 प्रतिशत है। उल्लेखनीय है कि फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया एक हजार से अधिक पत्रकारों और फोटोग्राफरों का एक समूह है। इस क्लब के सदस्य भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, मालदीव, अफगानिस्तान और तिब्बत को कवर करते हैं।

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