उदयपुर। देश के 21 राज्यों में पहुंच और 93 प्रभावी केंद्रों के माध्यम से इन्दिरा आईवीएफ भारत में सबसे बड़ी फर्टिलिटी क्लीनिक श्रृंखला है। अपने संवदेनात्मक मूल्यों के साथ मरीजों के पेरेन्टहुड के सपने को समझने वाले संकल्पित चिकित्सकों की मदद से संस्थान ने 70,000 से अधिक दम्पतियों को संतान पैदा करने में मदद की है। इन्दिरा आईवीएफ के पूरे देश में एक जाना-माना नाम बनने से पहले इसकी शुरूआत उदयपुर में नि:संतानता के लिए एकल जाँच एवं निदान क्लिनिक के रूप में हुई थी।
डॉ. अजय मुर्डिया ने 1988 में इन्दिरा इनफर्टिलिटी क्लिनिक एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना की और दम्पतियों द्वारा गर्भधारण में असमर्थ होने का एक प्रमुख कारण पुरुष नि:संतानता को बताया। उन्होंने भारत का पहला शुक्राणु बैंक भी खोला। 23 साल बाद 2011 में उदयपुर में पहले इन्दिरा आईवीएफ में प्रजनन उपचार प्रदान करने के लिए इनके बेटे नितिज मुर्डिया और डॉ. क्षितिज मुर्डिया भी साथ जुड़ गये। यह होमग्रोन संस्थान सफल क्लिनिकल परिणाम देने के अपने निरंतर प्रयासों से गर्भधारण के लिए संघर्ष कर रहे दम्पतियों में राजस्थान के बाद पूरे भारत में एक विश्वसनीय नाम बन गया।
इन्दिरा आईवीएफ के संस्थापक और चेयरमैन डॉ. अजय मुर्डिया ने कहा कि हमने ऐसे समय में शुरुआत की जब नि:संतानता से जुड़ा सबसे बड़ा मिथक था कि यह एक महिला-केंद्रित स्थिति है। तब से, इसको लेकर धारणाएं विकसित हुई हैं और यह बहुत संतुष्टिदायक है कि हम राजस्थान में उस विषय की नींव रखने में सक्षम हुए। हमने विज्ञान को आगे रखते हुए जागरूकता फैलाने और गलत धारणाओं को समाप्त करने के लिए अपने तरीके से काम किया। इन्दिरा आईवीएफ के सह-संस्थापक और सी.ई.ओ डॉ. क्षितिज मुर्डिया ने कहा कि हम 2011 में एक स्टैंड-अलोन आईवीएफ अस्पताल के रूप में थे, और इन्दिरा आईवीएफ में सहायक प्रजनन तकनीक से जन्मी पहली बच्ची नव्या 25 नवंबर को दस साल की हो गई। पहली सफलता की कहानी से लेकर अधिक जोड़ों की मदद करने के संकल्प तक, हमारे काम की न केवल राजस्थान में बल्कि देश के बाकी हिस्सों में भी तारीफ हुई । जैसा कि भारत के विभिन्न हिस्सों से कई लोग हमारे पास इलाज के लिए आए, हमने महसूस किया कि उपचार की आवश्यकता वाले प्रत्येक दम्पती के लिए यह आसान और अफोर्डेबल होना चाहिए । तभी हमने राजस्थान के बाहर विस्तार करने का फैसला किया और दस साल में भारत में हमारे 93 केंद्र हैं, और हम एक लाख से अधिक आईवीएफ साइकिल्स कर चुके हैं।
इन्दिरा आईवीएफ के सह-संस्थापक और निदेशक, नितिज मुर्डिया ने कहा कि टेक्नोलॉजी ने हमारी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। हमने क्लोज्ड वर्किंग चेंबर्स टेक्नोलॉजी को काम में लिया है जो यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रियाएं सबसे उपयुक्त परिस्थितियों में हो और आरआई विटनेस टेक्नोलॉजी गेमेट्स को मिक्स अप होने से रोकती है। उदयपुर में जब से हमने पहली लेबोरेट्री स्थापित की, तब से हमारा प्रयास है कि हम ये टेक्नोलॉजी जरूरतमंद दम्पतियों को ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध करा सकें। हम इस तरह के स्टेट ऑफ द आर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर की मदद से अपने रोगियों को सफल क्लिनिकल परिणाम की उच्च दर का विश्वास दिलाने में सक्षम रहे हैं। इन्दिरा आईवीएफ ने ‘नि:संतानता भारत छोड़ो’ अभियान की मदद से भारत के सबसे दूरदराज इलाकों में भी नि:संतानता और फर्टिलिटी ट्रीटमेंट से संबंधित टेबू, मिथकों और दुष्प्रचार पर जागरूकता फैलाने का काम जारी रखा है।
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