जेके टायर के कांकरोली प्लांट ने नेशनल वाटर अवार्ड जीता

उदयपुर। टायर बनाने वाली प्रमुख कंपनी जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लि. संवहनीय वृद्धि में हमेशा आगे रहा है। अपनी नैतिकता के अनुसार, कंपनी ऊर्जा के उपयोग में अपनी अग्रणी स्थिति बनाये रखने और अपना कार्बन फुटप्रिंट कम करने की पूरी कोशिश कर रही है। जेके टायर के इन प्रयासों को हाल ही में कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) से दो प्रतिष्ठित पुरस्कारों के साथ सम्मानित किया गया था।
कांकरोली स्थित जेके टायर के प्लांट को जल के संरक्षण में ‘3एम’ एप्रोच- मेजर, मॉनिटर एंड मैनेजमेन्ट के कारण जल संरक्षण के लिये उत्कृष्ट प्रयासों हेतु नेशनल वाटर अवार्ड मिला है। इस पुरस्कार की घोषणा 14वें सीआईआई नेशनल अवाड्र्स फॉर एक्सीलेंस इन वाटर मैनेजमेन्ट 2020 के दौरान हुई थी। जेके टायर का कांकरोली प्लांट विश्व के टायर उद्योग में पानी की सबसे कम खपत करता है। कंपनी के चेन्नई स्थित प्लांट को साल 2015 से लगातार छठी बार एक्सीलेंट ‘एनर्जी एफिशियेन्ट यूनिट’ का खिताब मिला है। इसके अलावा, इस प्लांट ने सीआईआई द्वारा 21वें नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन एनर्जी मैनेजमेन्ट 2020 फोरम के दौरान ‘नेशनल एनर्जी लीडर’ पुरस्कार के लिये भी क्वालिफाई किया।
जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लि. के मैन्युफैक्चरिंग डायरेक्टर अनिल मक्कड़ ने कहा कि जेके टायर ने कार्बन फुटप्रिंट कम करने और संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग के लिये अपने प्रयासों से उद्योग के लिये मापदंड स्थापित किये हैं। पर्यावरण के प्रति सचेत कंपनी बनने के लिये हमारे प्रयास भविष्य में हरित बनने के लिये उद्योगों का मार्ग प्रशस्त करने में मदद करेंगे। कांकरोली और चेन्नई, दोनों ही खास परियोजनाएं हैं और अपने प्रयासों के लिये इतने प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलने से हमें संवहनीय विकास की ओर बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलेगी। हमारा लक्ष्य विश्वभर के अपने संयंत्रों में स्थायित्व वाली पद्धतियों को अपनाने और बढ़ावा देने का है।
कंपनी ने अपने कांकरोली प्लांट में पानी बचाने वाले कई समाधान सफलतापूर्वक प्रदान किये हैं। एयर हैण्डलिंग यूनिट से नोजल टाइप को हटाकर सेल्युलोस पैड लगाया गया है, ताकि वाष्पीकरण से जल की हानि को कम किया जा सके। इसके अलावा प्लांट के 4 पॉइंट्स में वर्षाजल संचय के पॉइंट्स लगाए गये हैं, जिससे तालाब के पानी की खपत 620 केएलडी से घटकर 348 केएलडी हो गई है और ताजे पानी के कुल उपयोग में वर्षाजल की खपत 13.6 प्रतिशत बढ़ी है। चेन्नई प्लांट ने ऊर्जा की खपत को प्रभावी ढंग से 11.6 प्रतिशत कम किया है, जिससे तीन वर्षों में लागत की काफी बचत हुई है। इस प्लांट ने 0.88 टन/टन उत्पादन में कुल CO2-e के उत्सर्जन की तीव्रता भी 13 प्रतिशत कम की है। इसके अलावा, यह प्लांट पवन और सौर जैसे नवीकरण योग्य स्रोत से कुल उपयोगी विद्युत का 57 प्रतिशत ले रहा है।

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