उन्नत तकनीकों एवं आधुनिक नवाचारों से हिन्दुस्तान जिंक ईएसजी की ओर अग्रसर

  • स्मार्ट, सुरक्षित और सस्टेनेबल संचालन में अत्याधुनिक तकनीक लागू करने में हिन्दुस्तान जिंक सबसे आगे
  • हिन्दुस्तान जिंक कर्मचारियों के लिए अनुपालना से कहीं अधिक है सुरक्षा: जीवन का एक तरीका
    उदयपुर : हम वर्तमान में एक वैश्विक समुदाय में रहते हैं जो समान रूप से अस्थिर और अप्रत्याशित है। मेगा ट्रेंड के परिणामस्वरूप अभिनव बाजार की गतिशीलता और तकनीकी सफलताओं सहित उभरकर आ रही है। ऐसे में फलने-फूलने के लिए व्यवसायों को निरंतर नया कुछ करने की जरूरत है। फिर भी नवाचार संगठनों के लिए सिर्फ मूल्य उत्पन्न करने के लिए नहीं है। कंपनी के स्टेकहोल्डर्स को सेवा देने के लिए एक बेहतर भविष्य की स्थापना में भागीदारी करते हुए नवाचारों का उद्देश्य कहीं अधिक व्यापक होना चाहिए। पिछली आधी सदी में हिन्दुस्तान जिंक के विस्तार के मूल में बाजार की मांग, आवेगों का गहन ज्ञान रहा है जिसमें नवाचारों और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर ग्राहकों को एकीकृत रूप से आकर्षित करने की योग्यता भी शामिल है।
    प्रौद्योगिकी का महत्व दुगुना हो जाता है जब इसे व्यक्तिगत के बजाय समग्र रूप् से लागू किया जाता है। हिन्दुस्तान जिंक में टीम खनन क्षेत्र में रणनीतिक स्थिति स्थापित कर उसे मजबूत करने में सबसे उन्नत तकनीकों को लागू करने में अग्रणी रही है। इससे इसके संचालन में प्रभावी और उत्पादकता में भी वृद्धि और सुधार हुआ है। उल्लेखनीय उपलब्धियों में जिंक स्मेल्टर देबारी में आरओ-जेडएलडी संयंत्र से जीरो लिक्विड डिस्चार्ज पर 3000 केएलडी को सफलतापूर्वक अर्जन करना रहा है। यह प्रतिदिन 30 लाख लीटर पानी को पुनर्चक्रित करेगी। राजस्थान में हिन्दुस्तान जिंक ने जावर माइंस में अपनी तरह का पहला ड्राई टेलिंग प्लांट की स्थापना की है। ड्राई टेलिंग सिस्टम के फायदों में टेलिंग में मौजूद 80 प्रतिशत पानी का रिसर्कुलेशन, खदान बंद होने के बाद तेजी से पुनर्वास और स्टोरेज साइट की बहाली और भविष्य में उपयोग के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है। कंपनी ने उदयपुर में 10 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना की है और 5 एमएलडी एसटीपी जल्द ही पूरा होने वाला है। इससे एसटीपी की कुल क्षमता 60 एमएलडी हो गई है। यह उदयपुर एवं आसपास के सभी इलाकों के सीवेज का उपचार करेगा और इसके संयंत्रों से पुनर्चक्रित पानी का उपयोग किया जाएगा और ताजे पानी का उपयोग स्वतः कम हो जाएगा।
    हिन्दुस्तान जिंक ने उर्जा संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय तकनीकी प्रगति की है। नेट जीरो जीएचजी उत्सर्जन के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उर्जा दक्षता पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है। इस प्रयास के लिए जिंक स्मेल्टर देबारी ने सेल हाउस को एक नया रूप दिया है और 656 पॉली कंक्रीट सेल्स से बदलकर इलेक्ट्रोलिटिक सेल्स से होने वाले नुकसान को बचा लिया है। नतीजतन बिजली रेटिंग 6.7 से बढ़कर 7.2 हो गई है और बिजली की उर्जा खपत 3616 से घटाकर 3307 किलोवॉट/एमटी कैथोड कर दी गई है। इसके अतिरिक्त टरबाइन नवीनीकरण योजना को वीरा (दुनिया में व्यापक रूप् से इस्तेमाल किया जाने वाला स्वैच्छिक जीएचजी कार्यक्रम) द्वारा कार्बन कटौती परियोजना के रूप में प्रमाणित किया गया है। आने वाले समय में कैप्टिव थर्मल प्लांट्स के टरबाइन्स को नया रूप दिया जाएगा जिससे 2 लाख 70 हजार टीसीओ2 ई की प्रतिवर्ष कमी आएगी।
    सुरक्षा हिन्दुस्तान जिंक कर्मचारियों के लिए नियमों और अधिनियमों का एक सेट ही नहीं है, यह जीने का तरीका भी है। व्यवसाय अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और भलाई एक उच्च मूल्य पर रखता है और इसे प्राप्त करने के लिए सर्वाेत्तम सुविधाएं प्रदान करने के लिए काम करता है। वर्ष 2021 में हिन्दुस्तान जिंक ने सतह के जमीनी हलचलों की प्रारंभिक चेतावनी देने वाली उपग्रह आधारित एक क्रांतिकारी इंटरफेरोमेट्रिक सिंथेटिक अपर्चर राडार (आईएनएसएआर) निगरानी तकनीक लांच की। यह बड़ी सटीकता से माइंस स्केल सतह विस्थापन पर निगरानी रखता है। कंपनी की राजपुरा दरीबा खदान भारत की पहली सीढ़ी शैली के आपातकाल में भागने के मार्ग का आविष्कार करना सुरक्षित कार्य संस्कृति का हिस्सा है जो पृथ्वी से 708 मीटर नीचे स्थित है। आपात स्थिति में 25 मीटर लम्बा नए तरीके से बनाया हुआ निर्बाध और तीव्रता से बचाव अभियान की गारंटी देता है। जो 232 मीन रिड्यूस्ड लेवल पर स्थित है।
    हिन्दुस्तान जिंक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों, अप्रत्याशित अर्थव्यवस्था की भविष्यवाणी के लिए नई सक्रिय पहल और उज्ज्वल, स्मार्ट भविष्य के लिए बाधाओं को तोड़ने के लिए नई तकनीक की तलाश में है। व्यवसाय ने प्रौद्योगिकी का लाभ लेने में जबरदस्त प्रगति की है और भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और ब्लॉकचेन क्षमताओं जैसे उभरते नवाचारों को अपनाने के लिए भी उत्सुक है।

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