उदयपुर। आषाढ़ी बीज पर शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ ठाठ-बाठ के साथ नगर भ्रमण पर निकले। शहर के 400 साल पुराने जगदीश मंदिर से भगवान जगन्नाथ 80 किलो चांदी से निर्मित रथ में विराजमान होकर रवाना हुए। भक्तों ने जगह-जगह रथयात्रा की आरती कर पुष्प वर्षा से स्वागत किया ।
दोपहर 1.30 बजे रथ मंदिर की परिक्रमा कर नीचे उतारा गया। अपरान्ह 3.30 बजे शुभ मुहूर्त में मेवाड़ी पगड़ी धारण किए पारम्परिक वेशभूषा में चंवर ढुलाते हुए जगन्नाथ स्वामी के विग्रह को जगदीश मंदिर से नीचे उतार कर रजत रथ में विराजमान किया गया। जैसे ही ठाकुरजी को रजत रथ में विराजमान किया चहुंओर हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की, भगवान जगन्नाथ स्वामी के जयकारों के गगनभेदी जयघोष के साथ 21 बंदूकों की सलामी दी गई । सबसे पहले मेवाड़ राजपरिवार के पूर्व सदस्य और विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने रथ खींचा। इस दौरान राजसमंद सांसद महिमा कुमारी भी मौजूद रहीं।
रथयात्रा में बैण्ड, विभिन्न धार्मिक संगठनों के डीजे के साथ ओम बन्ना, कल्लाजी, आवरी माता, एकलिंगनाथ सहित विभिन्न भगवानों की झांकी ऊँट गाडिय़ों में विराजमान थी ।
रथयात्रा जगदीश मंदिर से प्रारम्भ होकर मांझी की सराय, घंटाघर, सर्राफा बाजार, बड़ा बाजार, मोचीवाड़ा, भूपालवाड़ी, तीज का चौक, मंडी, झीणीरेत चौक, मार्शल चौराहा, आरएमवी रोड़, कालाजी गोराजी, रंगनिवास, भट्टियानी चौहट्टा होते हुए पुन: रात्रि में 11.30 बजे जगदीश मंदिर पहुंची जहां पर महाआरती के बाद भगवान के विग्रह को पुन: मंदिर प्रांगण में जयकारों के बीच ले जाया गया।
21 बंदूकों की सलामी के साथ रवाना हुई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा
