51 जोड़ों के सपनों और विश्वास का संगम

नारायण सेवा संस्थान का 43वां दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह
उदयपुर।
सपने देखने का हक सबको होता हैं, फिर चाहे कोई शारीरिक रूप से अपाहिज ही क्यों न हो। दिव्यांग बंधु-बहनों का विवाह उन्हें सम्मानभरी नई जिंदगी देने जैसा हैं। पर समाज में दिव्यांगों को हेय दृष्टि से देखने और गरीबी के चलते उनका विवाह समय पर नहीं हो पाता हैं। ऐसी सामाजिक सोच को तोड़ने के लिए नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर पिछले 20 वर्षों से दिव्यांगजनों की घर-गृहस्थी बसाने के लिए प्रयासरत है। संस्थान इस बार आगामी 8-9 फरवरी को दिव्यांग एवं निर्धनजन एक-दूसरे का हाथ पकड़ एक नई दुनिया बसाए, इस भावना से निःशुल्क 43वां दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह आयोजित कर रहा है।
यह सामूहिक विवाह नारायण सेवा संस्थान के सेवा महातीर्थ बड़ी स्थित परिसर में होगा। इस विवाह संस्कार समारोह में देशभर से समाजसेवी सज्जन शामिल होने जा रहे हैं। जिन्हें पीले चावल देकर न्योता दिया गया है।
संस्थान के जनसंपर्क प्रमुख भगवान प्रसाद गौड़ ने प्रेस वार्ता में बताया कि वर्ष 2025 के प्रथम सामूहिक विवाह में 51 जोड़ों की जिंदगी में खुशियों के रंग भरे जाएंगे। इसमें 28 दिव्यांग तथा 23 निर्धन परिवार के वर-वधू हैं। उन्होंने बताया कि समारोह की व्यापक स्तर पर व्यवस्था की गई है। सेवा महातीर्थ में विशाल डोम बनाया गया है। जिसमें विवाह संस्कार की वे सभी रस्में निभाई जाएंगी जो किसी सामान्य व्यक्ति के विवाह में होती हैं। यथा गणपति पूजन, मेहंदी, हल्दी, महिला-संगीत तोरण, वरमाला और विद्वान आचार्यों के वैदिक मंत्रों की गूंज में पाणिग्रहण संपन्न होगा।
प्रेस वार्ता में 43वें दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह संस्कार का पोस्टर संस्थान के जनसंपर्क प्रमुख गौड़, मीडिया प्रभारी विष्णु शर्मा हितैषी एवं विवाह संयोजक रोहित तिवारी ने जारी किया।
उदयपुर सहित कई राज्यों के जोड़े लेंगे सात फेरे – संयोजक रोहित तिवारी ने बताया कि सामूहिक विवाह में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ आदि प्रांतों के जोड़े विवाह बंधन में बंधेंगे। यह जोड़े अपने परिजनों के साथ गुरुवार से उदयपुर पहुंचने लगे हैं।
कोई पैर से, कोई हाथ से तथा कुछ नेत्रहीन-मूकबधिर जोड़े भी – इस अनोखे विवाह में कुछ दूल्हा -दुल्हन जन्म से दिव्यांग है या किसी हादसे के चलते अंगविहीन हुए है। कुछ भावी जोड़े ऐसे भी हैं जिनमें एक दिव्यांग है तो साथी सकलांग है। किसी का भावी जीवन साथी जन्मजात प्रज्ञाचक्षु है, तो उसका साथी अपनी आंखों से उसकी राहों को रोशन करने वाला होगा। कोई एक पांव से असक्षम है तो कोई दोनों पांव से। ये सभी बीते कल की कड़वी यादों को भूलकर नए जीवन की शुरुआत करेंगे।
51 सप्तपदी पर 51 संस्काराचार्य – विवाह स्थल पर 51 वेदियां तैयार की गई है, प्रत्येक वेदी पर अग्निकुंड के सात वचनों व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सात फेरे दिलवाने के लिए आचार्य मौजूद रहेंगे। विवाह की सभी रस्में पूर्ण विधि- विधान से हो इसके लिए एक मुख्य आचार्य भी मार्गदर्शन हेतु नियुक्त किया गए है। इनमें से कई जोड़े ऐसे हैं जिनकी दिव्यांगता सर्जरी संस्थान में ही हुई और परस्पर परिचय भी यहीं हुआ है। कुछ जोड़ों ने यहां स्वरोजगारोन्मुख ट्रेनिंग प्राप्त कर आत्मनिर्भर जीवन की आधारशिला भी रखी।
गणेश स्थापना से श्रीगणेश – विवाह समारोह की शुरुआत 8 फ़रवरी को प्रातः गणपति स्थापना, हल्दी व मेहंदी रस्म अदायगी के साथ होगी। शाम को महिला संगीत का आयोजन होगा। जिसमें देशभर से मेहमान और धर्म माता-पिता व कन्यादानी जन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। विवाह की वेदी पर 9 फरवरी को अग्नि के सात फेरे लेने की रस्म से पूर्व दूल्हे परंपरागत तोरण रस्म का निर्वाह करेंगे इसके पश्चात सजे-धजे मंच पर गुलाब की पुष्प वर्षा के बीच जोड़ों के वरमाल की रस्म अदायगी होगी।
मंगल आशीर्वाद – मांगलिक विवाह के दौरान संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश जी ‘मानव’ सहसंस्थापिका कमला देवी जी व आमंत्रित अतिथि दीप प्रवज्ज्वलन के साथ नव दंपतियों को आशीर्वाद प्रदान करेंगे। विवाह में धर्म के माता-पिता कन्यादानी बन जोड़ों की विवाह संस्कार को प्रेरणादायी बनाएंगे। संपूर्ण आयोजन का सीधा प्रसारण विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से किया जाएगा। इस सामूहिक विवाह में दिल्ली, अहमदाबाद, गुजरात, जयपुर, लखनऊ, रायपुर, कोलकाता, रांची, चंडीगढ़, भोपाल, इंदौर, मुंबई, हैदराबाद, शिमला आदि शहरों से आने वाले 1 हजार अतिथि भी अपना शुभाशीष देंगे।
व्यवस्थाओं पर रहेगी नजर, कमेटियाँ गठित – संस्थान ने इस दो दिवसीय भव्य विवाह समारोह को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए सेवा महातीर्थ में कंट्रोल रूम बनाया है। जिसमें अतिथियों और विवाह बंधन में बंध रहे जोड़ों और परिजनों को हर संभव मदद की जाएगी। विभिन्न कमेटियाँ गठित की गई है जिनमें स्वागत-सम्मान, अतिथि पंजीयन, अल्पाहार-भोजन, स्वच्छता, परिवहन, अतिथि आवास, वर-वधु परिवारजन आवास, सुरक्षा, चिकित्सा, बिजली, पानी, महिला संगीत बैठक व मंचीय व्यवस्था आदि प्रमुख है।
जोड़ों को मिलेगी भेंट-उपहार – जोड़ों को गृहस्थी का आवश्यक सामान बर्तन सेट, गैस-चूल्हा, संदूक, टेबल-कुर्सी, बिस्तर, घड़ी, पंखा, परिधान, प्रसाधन सेट,मंगलसूत्र, कर्णफूल, बिछिया, पायल, लोंग, अंगूठी व अन्य सामग्री भी प्रदान की जाएगी।
डोली में विदा होगी 51 कन्याएं – पाणिग्रहण संस्कार के बाद नव युगलों को सुखी दाम्पत्य की दुआओं के साथ विदाई दी जाएगी। वधुओं को डोली में बिठाकर परिसर के बाहर खड़े वाहनों तक विदा किया जाएगा। वहां से उन्हें संस्थान के वाहनों से रेलवे स्टेशन तथा आस-पास के गांवों में उनके घर तक पहुँचाया जाएगा।
उल्लेखनीय हैं कि संस्थान वर्ष 2004 से दिव्यांग सामूहिक विवाह का आयोजन करता आ रहा है। अब तक 42 सामूहिक विवाह के माध्यम से 2408 जोड़ों की गृहस्थी बसाई गई है। वे सभी अपने बच्चों व परिजनों के साथ सुखभरी जिंदगी जी रहे हैं।
कुछ जोड़े ऐसे भी –

दृष्टिहीन पूजा के नेत्र बनेंगे दिव्यांग सुनील :


पूजा गाजीपुर (उप्र) की रहने वाली है। 4 साल की उम्र में चेचक के चलते आँखों की रोशनी चली गई। अभी स्पेशल एमएड कर रही हैं। एक दिन बस स्टेण्ड पर इनकी मुलाकात सुनील कुमार से हुई जो 5 साल की उम्र में पोलियो के कारण दिव्यांग हो गए थे। इन्होंने रास्ता पार करवाया वहां से दोनों की दोस्ती हुई। आपस में मोबाइल नंबर लिए और बातें होने लगी। इसी दौरान सुनील ने पूजा को विवाह का प्रस्ताव देते हुए आश्वस्त किया कि वे उसका जीवन भर ख्याल रखेगा। तब पूजा ने भी प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर अपने परिवार को अवगत करवाया।
दो अधूरे दिलों की कहानी :


छत्तीसगढ़ के जिला सक्ती के किरकर गांव की हेम कुमारी और अहमदाबाद (गुजरात) के सुभाष धोबी दोनों ही दिव्यांगता के कारण व्हीलचेयर के सहारे जीवन बिता रहे हैं। हेम कुमारी तीन साल की उम्र में बुखार में उपचार के दौरान इन्जेक्शन के दुष्प्रभाव से दोनों पांवों से दिव्यांग हो गई थी। वहीं सुभाष भी जन्मजात पोलियो के शिकार होकर दिव्यांग जिंदगी जीने को मजबूर हैं। सुभाष गुजरात राज्य की व्हीलचेयर क्रिकेट टीम की तरफ से खेलेते हैं और ऑनलाइन मार्केटिंग भी करते हैं। एक बार वो छत्तीसगढ़ के रायपुर में क्रिकेट खेलने के लिए गए थे। वहां उनकी मुलाकात हेमा बर्मन से हुई। एक माह की दोस्ती के दौरान दोनों ने एक-दूजे का पूरक बनने का फैसला किया, बाद में दोनों परिवारों ने उनके फैसले को मंजूरी दी।

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