सभी नदियां मानसून पर निर्भर, अंडर ग्राउंड रिसोर्स पैदा करना सबसे बडी चुनौती: शेखावत

– राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी ने कहा, पांच सालों की सरकारों पर निर्भरता नहीं, समाज उठाए बीड़ा
– भारतीय जैन संघटना का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन शुरु
उदयपुर।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा कि आज गंगा को छोडक़र देश की सभी नदियां मानसून पर निर्भर है। ऐसे में पानी का अंडर ग्राउंड रिसोर्स पैदा करना सुबसे बड़ी चुनौती है। भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए हमें अभी से ही यह सोचने की आवश्यकता है कि जमीनी स्तर पर पानी को कैसे सहेजा जाए, इस दिशा में योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता है। श्री शेखावत भारतीय जैन संघटना के शनिवार से शुरु हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे।
इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर अधिवेशन का आगाज किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश का वाचन किया गया। अतिथियों ने सोविनियर का विमोचन किया। इस अवसर पर भारतीय जैन संघटना के संस्थापक शांतिलाल मुथ्था, राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र लूंकड़, बीजेएस प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, प्रदेश महामंत्री अभिषेक संचेती, अधिवेशन के मुख्य संयोजक महेन्द्र तलेसरा, अभय श्रीश्रीमाल अध्यक्ष जीतो एपेक्स आदि उपस्थित थे।
जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा कि जैन संघटना के संस्थापक शांतिलाल मुथ्था द्वारा 35 वर्ष पहले से किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि कोई भी काम बिना इच्छा शक्ति के पूर्णता की ओर नहीं बढ़ता है। इसके लिए आवश्यक है कि सामूहिक तौर पर सभी इसमें अपनी सहभागिता का निर्वाह करें। आज भारत को गुलामी से मुक्त हुए 75 साल बीत चुके है, इतने वर्षों के दौरान देश के विकास में सरकारों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ सेवाभावी लोगों का पूरा सहयोग रहा है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम आचरण, व्यवहार से सर्वत्र समर्पण के प्रति जागरुक रहते है। ऐसे में हम ऐसा काम करें कि समाज के सष्टिजन हम पर विश्वास कर सके।


मानसून का क्लाइमेट परिवर्तित, समस्याएं और पैदा होगी :
केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि गत कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि मानसून का क्लाइमेट पूरी तरह से परिवर्तित हो गया है, जहां पहले चार माह तक मानसून की बारिश होती थी, वह आज 20 से 25 दिनों में सिमट कर रह गई है। ऐसे हालातों से निपटने के लिए हमें आज से ही सोचना है। वैज्ञानिक नीति के साथ यह भी देखना है कि जमीनी जल स्तर को बढ़ाने के लिए क्या किया जा सके। उन्होंने कहा कि पीने के साथ खेती के लिए पानी का संरक्षण किया जाना आज के समय में आवश्यक हो गया है। उन्होंने पीढिय़ों से चली आ रही पानी बचाने की कवायद को वर्तमान पीढ़ी की ओर से भूल जाने की परंपरा को अमानत में खयानत की संज्ञा दी और कहा कि यदि हमारे पुरखों की सोच भविष्य को लेकर दूरदर्शी नहीं होती तो शायद आज स्थिति और भयावह होती।
गोवा बनेगा देश में मॉडल : सावंत
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि शुद्ध जल की दिशा में गोवा में बहुत काम हुआ है। आने वाले दिनों में यहां का मॉडल देश के अन्य राज्यों में भी मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के अनुरुप गोवा में पानी की उपलब्धता और संग्रहण की दिशा में काम किया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी गोवा सफलता की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह इस छोटे से प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि पानी को सुरक्षित रखने के लिए केवल पांच सालों की सरकारों पर निर्भरता की बजाय समाज और विभिन्न संगठन बागडोर संभालेंगे तो इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि पानी को बचाने और शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए हम क्या कर रहे है और कहां हमसे कमी रह गई है। इसके लिए भी समीक्षा की जानी चाहिए। नदियों के पास शहर बस गए है, चलते पानी पर रुकावटें पैदा हो रही है, बांधों पर एनीकट बन गए है, तो पानी चल नही रहा है, रुक गया है।
राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मेवाड़ की धरा पर भारतीय जैन संघटना का दो दिवसीय अधिवेशन होना सौभाग्य की बात है। वैसे भी यहां की धरा त्याग और बलिदान की द्योतक रही है। यह महाराणा प्रताप की धरती है, जिन्होंने अपने संघर्ष से मेवाड़ की आन-बान और शान की रक्षा की, पन्नाधाय ने अपने पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखा और उदयसिंह को बचाकर इतिहास बदला, यदि आज उदयसिंह नहीं होते तो हालात दूसरे होते।


बीजेएस प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि संगठन ने 35 वर्षों के अपने इतिहास में मुख्य रूप से आपदा प्रबंधन, सामाजिक विकास और शैक्षणिक कार्यों के सम्बन्ध में राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किए है। संगठन का मुख्य आधार कार्यकर्ताओं का विशाल नेटवर्क है। इस संस्था में एक लाख से अधिक कार्यकर्ता एवं 500 से अधिक विशेषज्ञ प्रोफेशनल व कर्मचारी पुना स्थित कार्यालय में कार्यरत है। संस्था का प्रत्येक दो वर्षों में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होता है जिसमें पिछले कार्यों की समीक्षा एवं आगामी वर्षों का रोडमेप तैयार किया जाता है। यह अधिवेशन केवल इंवेन्ट नहीं वरन सम्पूर्ण राष्ट्र में मूवमेन्ट का कार्य करेगा। जिसमें भारत के 100 जिलों में जल संवर्धन का एमओयू, मूल्यवर्धन शिक्षा का स्केल तैयार करना तथा सामाजिक क्षेत्र के ज्वलंत मुद्दों पर चिंतन-मंथन करना मुख्य है।
समारोह में, डॉ. अभय फिरोदिया चेयरमेन फोर्स मोटर्स, वल्लभ भंसाली प्रबधंन निदेशक ईनाम सिक्योरिटी, अरूण जैन सीएमडी इंटलेक्ट डिजाईन अरहना लिमिटेड, प्रदीप राठौड़ सेलोवल्र्ड गु्रप मुम्बई, डॉ. चेनराज जैन चांसलर जैन युनिवर्सिटी बैंगलोर, विजय दरड़ा चेयरमैन लोकमत मीडिया, अविनाश मिश्रा सलाहकार नीति आयोग, डॉ. अख्तर बादशाह वाशिंगटन विश्वविद्यालय सहित देशभर के 100 से अधिक उद्योगपति, शिक्षाविद् एवं ब्यूरोकैट्स एवं जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
पानी की नहीं, बल्कि नियोजन की कमी :
केंद्रीय सडक और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने वर्चअल संबोधन में कहा कि देश में पानी की कहीं कमी नहीं है। कमी है तो नियोजन की है। अगर हम सही नियोजन से योजनाओं को धरातल पर लाएंगे तो इसके सुखद परिणाम भी सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आम आदमी अपने धन को भविष्य को देखकर सुरक्षित रखने खाते खुलवाता है उसी तरह से हमें पानी को सहेजने के लिए जमीनी स्तर पर इसे सुरक्षित करखने का प्रयास करना होगा, ताकि संकट के समय इसका सदुपयोग किया जा सके। उन्होंने भारतीय जैन संघटना के संस्थापक शांतिलाल मुथ्था को आईकॉन की संज्ञा दी और समाजजनों से आहृवान किया कि वे भी इन्हीं की तरह सेवाभावी बने। मुथ्था को वे गत 35 सालों से जानते है, जिन्होंने मात्र 31 साल की आयु में अपना बिजनेस छोडक़र समाज सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया और आज इनकी तपस्या रंग ला रही है।
दूसरे सत्र में हुए वाटर डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर :
दूसरे सत्र में उस वक्त इतिहास रच गया जब केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रंिसंह शेखावत, केन्द्रीय पंचायत राज मंत्री कपिल पाटिल, राजस्थान में प्रतिपक्ष नेता गुलाबचन्द कटारिया, शांतिलाल मुथ्था, राजकुमार फत्तावत सहित सभी राज्यों के राज्याध्यक्षों ने वाटर डिक्लेरेशन का अनावरण कर उस पर हस्ताक्षर किये। इस ऐतिहासिक पलों के गवाह बने संगठन के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं की तालियों की गडग़ड़ाहट से पाण्डाल गूंजा दिया। वाटर डिक्लेरेशन के अनावरण से पूर्व उसका वाचन कर सभी को सुनाया गया।
राजकुमार फत्तावत ने बताया कि इस अवसर पर केन्द्रीय पंचायत राज मंत्री कपिल पाटिल ने कहा कि पानी बचाया तो जा सकता है लेकिन बनाया नहीं जा सकता है। पानी पर सरकार के साथ मिलकर बीजेएस काम कर रहा है। उसमें सौ प्रतिशत सफलता इसलिए निश्चित है क्योंकि इनके काम में समर्पणता है। जिन लोगों के मुंह से पानी छिन गया है उनके मुंह में पानी डालने का काम बीजेएस कर रहा है। सरकार के हर घर जल, हर घर नल के काम को ही यह संगठन आगे बढ़ाने का कम कर रहा है। आज सौ जिलों में काम की शुरूआत उदयपुर से हुई है। कल सौ और जिलों में काम होगा। परसों सौ और जिलों में होगा। ऐसे करके देश के सात सौ जिलों में काम पूर्ण हो जाएगा। यह काम इतना आसान नहीं है तो नामुमकिन भी नहीं है। उन्होंने पानी की महत्ता बताते हुए कहा कि हमारे बुजुर्गों ने नदियों में बहते पानी को देखा, हमने कुओं- बावडिय़ों में पानी देखा, हमारे बच्चे अब बोतलों में पानी देख रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अब इससे आगे क्या। इससे आगे क्या का जवाब है बीजेएस जो सरकार के साथ मिलकर फिर से आने वाली पीढिय़ों को नदी में बहता हुआ पानी दिखाएगा।
पंचायती राज विभाग बहुत बड़ा विभाग है। उन्होंने पानी के नियोजन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जब भी वह शहरों में जाते हैं लोग उनसे पूछते हैं कि आप हमारे लिए क्या कर रहे हो। उनका जवाब होता है कि हमारा मंत्रालय आपके लिए ही काम कर रहा है और वह कार्य है गांवों में रोजगार पैदा करना जो कि बिना पानी के सम्भव ही नहीं है। किसान खेती करेगा तो बिना पानी के कैसे करेगा। उन्होंने कहा कि पानी पर सौ जिलों में काम करने की इतने बड़े काम की शुरूआत उदयपुर से हो रही है जो अब अनरत चलेगी और देश के सात सौ जिलों में बहुत जल्द यह काम हो जाएगा।
नीति आयोग के मिशन डायरेक्टर राकेश रंजन ने कहा कि बीजेएस ने जो सरकार के साथ मिलकर बीड़ा उठाया है इसमें नीति आयोग पूरी तरह से साथ है और आने वाली हर चुनौती में संगठन के साथ खड़ा रहेगा।
दूसरे सत्र में प्रारम्भ में शांतिलाल मुथ्था ने कुछ शॉर्ट फिल्मों के माध्यम से बताया कि जिन जिलों में पानी को लेकर जो अभियान चलाया उनमें क्या परिवर्तन आया है और किस तरह से वहां पर हरितक्रांति आई है जबकि इससे पूर्व वहां पर किसान आत्महत्या कर रहे थे। आज पानी के कारण वहां के लोग खुशहाल जिन्दगी जी रहे हैं।
वाहन रैली निकालकर दिया पानी सहेजने का संदेश :


इसके पश्चात सायं 4.30 बजे ओकेजन गार्डन से डीपीएस स्कूल मैदान तक वाटर रैली निकाली गई। डीपीएस मैदान पर सभी को पानी सहेजने की शपथ दिलाई गई। रैली में यूथ ब्रिगेड के 51 युवा साथी बुलेट पर रैली को एस्कोर्ट कर रहे थे। उसके पीछे पांच घोड़े, दो बग्गियां जिनमें अधिवेशन का लोगो एवं जैन प्रतीक चिन्ह था। उनके पीछे 12 राज्यों के 100 जिलों की झांकियां अलग-अलग चारपहिया वाहनों पर थी। झांकियों में छत्तीसगढ़ राज्य के 15, गुजरात के 3, जम्मू कश्मीर के 2, कनार्टक के 15, महाराष्ट्र के 27, मध्यप्रदेश के 6, उड़ीसा, पंजाब तथा पाण्डिचेरी के 1-1, राजस्थान के 14, तमिलनाडू के 13 तथा उत्तरप्रदेश के 2 जिले शामिल थे। वहीं राजस्थान के अजमेर, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बंूदी, चित्तौडगढ़, डूंगरपुर, जालोर, जयपुर, जोधपुर, कोटा, पाली, राजसमंद व उदयपुर जिले जल संवर्धन में शामिल हुए।
अधिवेशन का समापन आज :
अधिवेशन के मुख्य संयोजक महेन्द्र तलेसरा ने बताया कि रविवार को प्रात: 9 बजे वाशिगंटन विश्वविद्यालय से अख्तर बादशाह का वर्चुअल उद्बोधन होगा। द्वितीय सत्र में पानी जैसी जटिल समस्याओं के समाधान में जैन साधु-साध्वियों की पहल, सामाजिक ज्वलंत मुद्दों पर चितंन-मंथन, आगामी दो वर्ष की नई राष्ट्रीय कार्यसमिति का शपथ एवं समापन सत्र होगा।

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