उदयपुर। पत्रकारिता विभाग, कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ने 10-11 जून को ”भारत में महिलाओं पर कोविड -19 के सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक प्रभाव” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया। शासी निकाय अध्यक्ष सुश्री रजनी नागपाल तथा कालिंदी कॉलेज प्राचार्य डॉ. नैना हसीजा के मार्गदर्शन में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा वेबिनार प्रायोजित किया गया।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. केजी सुरेश (कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल), विशिष्ट अतिथि डॉ. अजय गुप्ता (निदेशक, आईसीएसएसआर, दिल्ली), साध्वी प्रज्ञा भारती (मोटिवेशनल स्पीकर और आध्यात्मिक शिक्षक) तथा विशेष अतिथि सुश्री अर्चनासिंह (न्यूज एंकर, इंडिया टीवी) थे। स्वागत भाषण में डॉ. हसीजा ने पत्रकारिता विभाग के इतिहास के कुछ दिलचस्प किस्से साझा किए और वेबिनार संयोजक डॉ. मीना, डॉ. राखी चौहान और सह-संयोजक डॉ. मनीषा तोमर को आयोजन के लिए बधाई दी।
प्रो. सुरेश ने आशा कार्यकर्ताओं की दुर्दशा, ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने में ग्रामीण और शहरी गरीब बालिकाओं के संघर्ष और कामकाजी महिलाओं के दोहरे बोझ पर प्रकाश डाला। डॉ गुप्ता वेबिनार पर मिली प्रतिक्रिया से अभिभूत हुए और कालिंदी कॉलेज और आईसीएसएसआर के बीच भविष्य के सहयोग के लिए आश्वासन दिया। साध्वी प्रज्ञा भारती ने महामारी के दौरान महिलाओं की मानसिक और भावनात्मक भलाई के महत्व पर जोर दिया और चर्चा की कि यह महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कैसे असर डालती है। सुश्री अर्चनासिंह ने उल्लेख किया कि महामारी ने महिला आंदोलन को एक झटका दिया है और महिलाओं को अब पुरुषों की दुनिया में प्रतिस्पर्धा करने के लिए दोगुनी ताकत के साथ उभरने की जरूरत है।
वेबिनार में आईपी विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय आदि सहित पूरे भारत के 15 विश्वविद्यालयों के शोध विद्वानों द्वारा 72 पेपर प्रस्तुतियों के साथ चार तकनीकी सत्र शामिल थे।
समापन समारोह में प्रो. संजीव भानावत (पूर्व प्रमुख और प्रोफेसर, सेंटर फॉर मास कम्युनिकेशन), डॉ ओपी देवल (निदेशक, SOJNMS, इग्नू) और सुश्री निभा सिन्हा (मीडिया विशेषज्ञ और संपादक, एडविन ग्रुप ऑफ जर्नल्स, अमेरीका) जैसे प्रतिष्ठित अतिथि थे। । प्रो. भानावत ने कहा कि महामारी के कारण महिला सशक्तिकरण विनाशकारी रूप से प्रभावित हुआ है। उन्होंने महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर जोर दिया। डॉ. देवल ने महिलाओं में मृत्यु दर पर आंखें खोलने वाले आंकड़े प्रस्तुत किये जिसमें कोविड के उदाहरण में उनके पुरुष समकक्ष की तुलना में अधिक थे। सुश्री सिन्हा ने अनुसंधान क्षेत्रों में एक अंत:विषय दृष्टिकोण की वकालत की और सुझाव दिया कि एक शोध को सार्थक बनाने के लिए उसे वास्तविक मुद्दों का समाधान खोजना होगा। डॉ. राखी चौहान ने दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने व्यावहारिक विवरणों का सारांश दिया और उन विषयों पर फिर से जोर दिया जिन पर उचित ध्यान देने की आवश्यकता थी। समापन की संयोजक डॉ. राखी चौहान, डॉ. मीना थी। सह-संयोजक डॉ मनीषा तोमर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।