उदयपुर। पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साईन्सेस (पिम्स) हॉस्पिटल, उमरड़ा में चिकित्सकों ने एक नवजात की श्वांस की झिल्ली (पर्दे) के छेद की सफलतापूर्वक सर्जरी की है।
पिम्स के चैयरमेन आशीष अग्रवाल ने बताया कि यह एक गंभीर बीमारी है और 10,000 नवजात में किसी एक को होती है। नवजात के जन्म से पहले ही बीमारी का पता चल चुका था। इस कारण मध्यप्रदेश निवासी इसके माता-पिता ने पिम्स हॉस्पिटल में डिलीवरी कराने का निर्णय लिया। इस बीमारी में डायफ्राम में छेद के कारण लगभग सारी आंतें छाती में आ जाती हैं जिससे बच्चा ठीक से श्वांस नही ले पाता है। कई बार वेंटीलेटर की भी जरूरत पड़ती है।
पीड्रियाट्रिक सर्जन डॉ. अतुल मिश्रा ने बताया कि लगभग ढाई घंटे चले इस ऑपरेशन में छेद को बंद कर आंतों को यथास्थान रखा गया। ऑपरेशन में डॉ. मिश्रा के साथ निश्चेतना विभाग के डॉ. नरेश त्यागी, डॉ. पूजा, स्टाफ अरूण, उदय, पीड्रियाट्रिक मेडिसीन विभाग के डॉ. विवेक पाराशर, डॉ. राहुल खत्री, डॉ. उज्ज्वल तथा एनआईसीयू के स्टाफ अश्मति व टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रसूता की डिलीवरी पिम्स हॉस्पिटल में ही डॉ. चारूलता द्वारा करवाई गई। डॉ. मिश्रा ने बताया कि नवजात की चिकित्सा व ऑपरेशन जननी सुरक्षा योजना के अनतर्गत नि:शुल्क किया गया। नवजात अब पूर्णत: स्वस्थ है व भविष्य में भी स्वस्थ रहने की पूरी संभावना है। पीड्रियाट्रिक विभागाध्यक्ष डॉ. विवेक पाराशर ने बताया कि पिम्स हॉस्पिटल सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है व बच्चों की विभिन्न जटिल बीमारियों के उपचार यहां होते है।