राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे भेदभाव के लिए रोष प्रकट किया
उदयपुर। वल्र्ड डेयरी समिट 2022 में राजस्थान के 1.7 लाख से अधिक दुग्ध किसानों का प्रतिनिधत्व करते हुए चार दुग्ध उत्पादक संगठनों की महिला अध्यक्षों ने कहा कि जहां एक ओर हमें माननीय प्रधानमंत्रीजी एवं विश्वस्तरीय विशेषज्ञों द्वारा सराहा गया है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा सहकारी समितियों को दी गई वित्तीय सहायता योजनाओं में भेदभावपूर्ण व्यवहार से हम बेहद व्यथित हैं। ‘हमने क्या गलत किया है? हमें वंचित क्यों किया जा रहा है? सहकारी समितियों को 5 रूपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी जा रही है जब हमने सहकारिता के सिद्धांतों पर अपना खुद का संगठन गठित किया है और मोदीजी की सरकार ने हमें सही मायनों में किसान संगठन बताया है।
श्रीमती ममता चौधरी, पायस डेयरी (जयपुर), श्रीमती मंजीत कौर, सखी डेयरी (अलवर) और श्रीमती कन्या, आशा डेयरी (उदयपुर) ने सम्मेलन के दौरान बताया कि सम्मेलन का उद्घाटन नरेन्द्र मोदीजी ने किया था। विश्वस्तरीय विशेषज्ञों के समक्ष अपने वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स घी, पनीर और दही का लॉन्च करने के बाद इन अध्यक्षों ने बताया कि मोदीजी ने कहा कि भारत में दुग्ध उत्पादन में 70 फीसदी योगदान महिलाओं का है। ग्रामीण राजस्थान के इन चार में से तीन संगठन पूरी तरह से महिला स्वामित्व के हैं, जबकि चौथे संगठन में महिला दुग्ध उत्पादकों की अच्छी हिस्सेदारी है। और आज हमें सब्सिडी देने से इन्कार किया जा रहा है।
श्रीमति कन्या, चेयरपर्सन, आशा डेयरी ने कहा कि हम जोधपुर में अपना कारोबार करते हैं, जो मुख्यमंत्री अशोकजी गहलोत का निर्वाचन क्षेत्र है। उदयपुर से हम पांच जिलों को कवर करते हैं। गहलोतजी को हमारे प्रयासों की सराहना करनी चाहिए और हमारी व्यथा समझनी चाहिए। महिला डेयरी लीडर्स ने कहा कि हमने मुख्यमंत्रीजी के समक्ष अपने विचार रखे, हमने अपनी समस्याओं को सार्वजनिक तौर पर बताया, लेकिन अब तक हमें राज्य सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है जो लगातार राजस्थान के लोगों के विभिन्न तबके के लिए योजनाओं का ऐलान कर रही है। राजस्थान के दुग्ध उत्पादकों के कल्याण के लिए उन्हें आर्थिक सहायता उपलबध कराने के लिए वित्तीय वर्ष 19-20 के राज्य बजट में ‘मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना’ का ऐलान किया है, जिसके तहत राज्य सरकार ने राज्य के सहकारी दुग्ध उत्पादक संगठनों में दूध की आपूर्ति के लिए मवेशियों के मालिकों को 2 रूपये प्रति लीटर का अनुदान दिया। हाल ही में पेश किए गए वित्तीय वर्ष 22-23 के बजट में कथित योजना के तहत इस सब्सिडी को 2 रूपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 5 रूपये लीटर करने की घोषणा की गई।
चारों संगठनों की स्थापना डेयरी किसानों द्वारा उनकी अपनी शेयर पूंजी से की गई है। उन्होंने बताया कि ये चारों किसान संगठन रोजाना अपने सदस्यों से 10 लाख किलोग्राम से अधिक दूध संग्रहित करते हैं, जिसके लिए सीधे उनके बैंक खाते में भुगतान किया जाता है। भुगतान महीने में तीन बार होता है। चारों संगठन अपने सदस्यों से दूध की खरीद की एवज में उन्हें सेल्स का 85 फीसदी तक भुगतान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 23 मार्च 2012 को राज्य सरकार को जारी एक अडवाइजऱी में कहा कि उत्पादक कंपनियां सहकारिता के सिद्धांतों पर काम करती है तथा प्रत्यास्थता, स्वायत्ता एवं पारदर्शी तरीके से सहकारी समिति का निर्माण करती हैं। इसके मद्देनजर केन्द्र सरकार ने राज्यों को सलाह दी थी कि किसानों द्वारा गठित इन संगठनों को ज़रूरी छूट/ फायदे दिए जाएं।
चारों संगठन राज्य के कुल 33 में से 22 जिलों में एवं इनके आस-पास अपना संचालन करते हैं। आशा, सखी और उजाला डेयरी में महिला उत्पादकों की 100 फीसदी भागीदारी है। उन्होंने कहा कि मवेशी पालकों की सुविधा के लिए हमारे संगठन सहायक सेवाएं जैसे चारा बीज, पशु चारा, आार्टीफिशियल इनसेमिनेशन आदि सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। वे दुग्ध उत्पादकों को दूध की उत्पादकता और उनकी कमाई बढ़ाने में मदद करते हैं। उन्होंने गहलोतजी एवं उनकी सरकार से आग्रह किया कि उन्हें मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना के फायदे उपलबध कराए। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी, जिन्होंने बुंदेलखण्ड में सम्पूर्ण महिला उत्पादक संगठन बालिनी का उद्घाटन किया था, उन्होंने विश्वस्तरीय डेयरी विशेषज्ञों के समक्ष बताया कि किस तरह बालिनी पिछड़े समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है और राज्य ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के लिए ऐसे पांच और संगठन बनाएगा।
वल्र्ड डेयरी समिट 2022 के दौरान राजस्थान के महिला डेयरी किसान प्रधानमंत्री की सराहना से हुए अभिभूत
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