सनातन परंपरा और गांधीजी केवल भारत में ही हो सकते हैं : आरिफ मोहम्मद खान

मेवाड़ यूनिवर्सिटी में प्रभाष जोशी स्मृति गांधी संग्रहालय का उद्घाटन हुआ
चित्तौडग़ढ़।
मेवाड़ यूनिवर्सिटी कैंपस में जनसत्ता अखबार के संस्थापक संपादक स्व. प्रभाष जोशी की स्मृति में प्रभाष प्रसंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गांधी म्यूजियम का अवलोकन कर भूरि-भूरि प्रशंसा की। इसके बाद उन्होंने महाराणा प्रताप हॉल में आयोजित हुए स्मारक व्याख्यान में ‘गांधी के विचारों की प्रासंगिकता आधुनिक काल में’ विषय पर पत्रकारिता, गांधी दर्शन, प्रभाष जोशी के विचार और भारतीय सनातन परम्परा से संबंधित विचार रखें। उन्होंने कहा कि प्रभाष जोशी ऐसा व्यक्तित्व था जिन्होंने साहित्यिक भाषा से अलग हटकर आमजन की भाषा को महत्व दिया। उसी का परिणाम है कि आज अधिकतर समाचार पत्र-पत्रिकाओं में आम भाषा को प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने एक विदेशी पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि विश्व में भारत और सनातन परम्परा ही गांधी को जन्म दे सकती है, ऐसा ओर कोई देश नहीं है। देश में कोई भी शासन करें लेकिन हमे अपने भारतीय आदर्शो और सनातन परम्परा के मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने गांधी संग्रहालय की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए मेवाड़ यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. अशोककुमार गदिया के प्रयास की सराहना की।


स्मारक व्याख्यान की अध्यक्षता माधवराव संप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान के संस्थापक और पदमश्री विजयदत्त श्रीधर ने की। इस मौके पर कार्यक्रम में मौजूद सभी अतिथियों ने विनोबा भावे पुस्तक का भी लोकापर्ण किया। इससे पूर्व कार्यक्रम में प्रभाष जोशी स्मृति गांधी संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए सांसद वीरेंद्र सिंह ने युवाओं से आह्वान किया कि वे जीवन में तभी सफल हो सकते हैं जब वे गांधीजी के सिद्धांतों को आत्मसात करें। पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाष जोशीजी एक स्तंभ थे, जिन्होंने महात्मा गांधी के विचारों को जीवन भर आगे बढ़ाने का कार्य किया। प्रभाषजी सदैव किसानों, कृषि और निचले तबके के लोगों की उत्थान की बात करते थे, जिनका विकास उच्च स्तर पर नहीं हुआ, जिस स्तर पर आजादी के 75 वर्ष बाद तक होना चाहिए था। कोरोना काल में जहां एक ओर सभी क्षेत्रों में गिरावट थी वहां कृषि एकमात्र ही ऐसा क्षेत्र था जिसमें तेजी से विकास हो रहा था। इसलिए कृषि क्षेत्र पर खास ध्यान देने की जरूरत है। इस मौके पर उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण, विनोबा भावे समेत कई समाज सुधारको के योगदान को भी याद किया।


पूर्व सांसद महेशचंद्र शर्मा ने कहा कि प्रभाष जोशी स्मृति गांधी संग्रहालय में युवा अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति से रूबरू होंगे क्योंकि वर्तमान में जिस प्रकार भौतिकता हावी हो रही है उसमें हम अपनी संस्कृति से अलग होते जा रहे हैं। हमें सात्विक विचारों को अपनाना चाहिए ताकि हमारा मन और विचार दोनों समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पित हो। उन्होंने भीलवाड़ा की एक संस्था गौमित्र संघ द्वारा गौ माता के हित में किए जा रहे कार्य की प्रशंसा की और अन्य सामाजिक संगठनों को भी ऐसा कार्य करने के लिए आह्वान किया।
कार्यक्रम में प्रभाष परंपरा न्यास प्रबंध न्यासी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पदमश्री रामबहादुर राय ने भी पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाष जोषी की यात्रा पर प्रकाश डाला और युवा को गांधीजी के विचारों और उनके बताए गए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर अतिथियों ने ब्लैक बोर्ड पर अपने हस्ताक्षर करके गांधीजी को याद किया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोककलाकार प्रहलादसिंह टिपानिया का कबीर गायन और भीलवाड़ा से के रसधारा सांस्कृतिक संस्था के संरक्षक लक्ष्मीनारायण डाड के निर्देशन में महात्मा गांधी के भजनों से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. अशोककुमार गदिया ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, इंदौर, जयपुर आदि स्थानों से बड़ी संख्या में पत्रकारों ने भाग लिया। इस मौके पर स्व. प्रभाष जोषी की पत्नी उषा जोषी, म्यूजियम की महानिदेशिका डॉ. चित्रलेखा सिंह, वाइंस चांसलर डॉ. आलोककुमार मिश्रा, प्रो. वीसी आनंदवर्धन शुक्ल आदि समेत समस्त फैकल्टी और स्टाफ मौजूद रहा।

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