300 एमबीबीएस विद्यार्थियों मिली डिग्रियां
उदयपुर (Udaipur) (Dr. Tuktak Bhanawat)। सांई तिरूपति विश्वविद्यालय (Sai Tirupati University) का द्वितीय दीक्षान्त समारोह सोमवार को शिल्पग्राम स्थित मेवाड़ बैंक्विट हॉल में आयोजित किया गया। समारोह में वर्ष 2016 एवं 17 बैंचों के 150-150 एमएमबीएस विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गई। समारोह के मुख्य अतिथि आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल एवं कंट्रोलर डॉ. विपिन माथुर (Dr. Vipin Mathur) थे। इस अवसर पर सांई तिरूपति विश्वविद्यालय के चैयरपर्सन आशीष अग्रवाल (Ashish Agrawal), को-चैयरपर्सन शीतल अग्रवाल (Sheetal Agrawal), कुलपति डॉ. जे. के. छापरवाल (Dr. J.K. Chhaparwal), रजिस्ट्रार डॉ. देवेन्द्र जैन (Devendra Jain), पीआईएमएस के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. सुरेश गोयल (Dr. Sureshchandra Goyal) उपस्थित थे।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. विपिन माथुर ने सभी स्नातक चिकित्सा विद्यार्थियों को उनकी शैक्षणिक उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करना एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है जिसे कड़ी मेहनत और अटूट समर्पण से निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समय के साथ हुए अभूतपूर्व विकास में चिकित्सा विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान है। खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका मानवता की सेवा में खुद को खो देना है। याद रखें कि डॉक्टर होना सिर्फ पेशा नहीं है यह अटूट प्रतिबद्धता और सहानुभूति के साथ मानवता की सेवा करना है। रोगी सदैव डर, आशा और सपनों जैसी भावनाओं के साथ हमसें रूबरू होता है जिसे हमारे शब्द सबसे पहले सुकून देते हैं। डॉ माथुर ने कहा कि कुछ पाने के लिए हमेशा मन में सीखने की इच्छा को बनाकर रखना चाहिए, क्योंकि ज्ञान का कोई अंत नही होता। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी एक सफल डॉक्टर बनकर पैसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का नाम रोशन करेंगे।
चेयरपर्सन आशीष अग्रवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के आठ वर्ष पूर्ण कर चुका है। इन आठ वर्षों में हमने कई उतार-चढ़ाव देखे और हर परिस्थिति का सामना किया। इसी की बदौलत आज विश्वविद्यालय एवं हॉस्पीटल अपने सफल मुकाम पर पहुंच निरन्तर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज एमबीबीएस के 2016-17 बैच के विद्यार्थी अपनी डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि कुछ पाने के लिए हमेशा मन में सीखने की इच्छा को बनाये रखना चाहिये। क्योंकि ज्ञान का कोई अन्त नहीं होता है। उन्होंने विश्वास जताया कि सभी सफल डॉक्टर बनकर पीआईएमए का नाम यहां ही नहीं, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी रोशन करेंगे।
को-चेयरपर्सन शीतल अग्रवाल ने कहा कि यह सभी के लिये बहुत ही खास अवसर है क्योंकि आज आपको डॉक्टर होने का सम्मान दिया जा रहा है और यह आपके द्वारा इतने वर्षों में की गई कड़ी मेहनत का जीता जागता प्रमाण है। उन्होंने कहा कि कुछ समय वास्तव में कठिन, चुनौतीपूर्ण था। आज सिर्फ डिग्री देकर अलविदा कहने का क्षण नहीं है। यह कड़ी मेहनत, शिक्षकों के मार्गदर्शन और सफलता को याद करने का अवसर है।
स्वागत उद्बोधन देते हुए कुलपति डॉ. छापरवाल ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर 31.67 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है, जहाँ विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों, जैसे चिकित्सा विज्ञान, नर्सिंग, फिजियोथेरेपी, पैरामेडिकल साइंस और फैशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, फॅार्मेसी में शैक्षणिक गतिविधियों और अनुसंधान का संचालन कर रहा है। वर्तमान में 2000 से अधिक छात्र विभिन्न कार्यक्रमों में नामांकित हैं। इन सभी पाठ्यक्रमों को पहले से ही राजस्थान राज्य सरकार द्वारा विधिवत विश्वविद्यालय अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची में शामिल किया गया है। ऐसे सभी व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले संबंधित नियामक निकायों की अनुमति प्राप्त कर ली गई है। उन्होंने कहा कि जहाँ भी चिकित्सा की कला को प्रेम किया जाता है, वहाँ मानवता के लिए प्रेम होता है। आपने जीवन बचाना सीखा है जो कि श्रेष्ठ कार्य है।
पीआईएमएस के प्रिन्सिपल एवं कंट्रोलर डॉ. सुरेशचन्द्र गोयल ने कहा कि आज बड़ा ही हर्ष और गर्व का विषय है कि तीन सौ विद्यार्थियों को एमबीबीएस की डिग्रियां प्रदान की गई है। ये सभी नये डॉक्टर कल समाज में पहुंचेंगे और मेडिकल प्रेक्टिस शुरू करेंगे। छह सालों की कड़ी मेहनत और परिश्रम से जो ख्वाब उन्होंने संजोये थे आज वो साकार हो रहे हैं। आज की तारीख सभी के जीवन में एक यादगार पल बन गई है। इस अवसर पर डॉ. गोयल ने सभी विद्यार्थियों को शपथ भी दिलवाई।
रजिस्ट्रार डॉ़ देवेन्द्र जैन ने कहा कि कड़ी मेहनत हमेशा ही रंग लाती है। आपके अनुशासन, लगन और मेहनत के कारण आज आप डाक्टर बन कर बैठे हैं। उन्होंने सभी को बधाई देते हुए कहा कि आपके अर्जित ज्ञान का औचित्य तभी होगा जब वह समाज के काम आएगा और उम्मीद जताई कि सभी पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से समाज सेवा करेंगे।
जैन ने अपने उद्बोधन के अन्त में एक शेर बोलते हुए कहा कि-क्या रखा है किसी की धडक़न बनने में, मजा तो तभी है किसी की धडक़न वापस लाने में। उन्होंने एमबीबीएस की परीक्षा में सर्वोत्तम अंक प्राप्त कर प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्तकर्ता को प्रशस्ति पत्र एवं मेडल देकर सम्मानित किया। एमबीबीएस 2016 बेच की परीक्षा में प्रथम स्थान पर तान्या खेमचन्दानी एवं द्वितीय स्थान पर कनिष्का अग्रवाल रही जबकि एमबीबीएस 2017 बैच में अनुकृति पानेरी प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर पुजारा रिया रहीं।
समारोह के अन्त में विद्यार्थियों ने एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के अपने छह साल के लम्बे सफर के अनुभव सुनाते हुए कहा कि अगर विद्यार्थी स्वयं में अनुशासन रखे, उपस्थिति बराबर दे, लगन और मेहनत करे तो सफलता निश्चित ही मिलती है। उन्होंने खासतौर से आशीष अग्रवाल और शीतल अग्रवाल का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि इनका मार्गदर्शन और हौंसला अफजाई करने का तरीका अभूतपूर्व है। इनके सहयोग से ही आज हम सभी इस मुकाम तक पहुंच पाये हैं। सभी ने सांई तिरूपति विश्वविद्यालय का आभार ज्ञापित किया। संचालन डॉ. सीमा चंपावत ने किया।