उदयपुर। तेरापंथ के आध्यप्रवर्तक आचार्य भिक्षु का 220वां चरमोत्सव अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में शासनश्री मुनि सुरेशकुमार ‘हरनावा’ के सानिध्य में समारोह पूर्वक मनाया गया।
तेरापंथ सभा मंत्री विनोद कच्छारा ने बताया कि तेरापंथ श्रावक समाज ने मुनि प्रवर की प्रेरणा व तेरापंथ महिला मंडल के प्रयासों से 220वें चरमोत्सव पर लगभग 220 श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास तपो यज्ञ में उपवास संकल्प किए।
तेरापंथ महिला मंडल के समूह गान से शुरू हुए समारोह को संबोधित करते हुए मुनि सुरेशकुमार ने कहा कि आज ही वह दिन है जब महामना अचार्य भिक्षु ने इस संसार को अलविदा कहा। आचार्यश्री कभी पंथ की स्थापना का मन लिए नहीं चले, चरण गतिमान हुए और तेरापंथ का जन्म हो गया। महापुरुषों के सामने कष्टों का अंबार लगा होता है। 260 वर्ष पहले इसी मेवाड़ की चट्टानी धरती पर आचार्य संत भिक्षु ने एक बिरवा बोया, आज वही तेरापंथ का वट वृक्ष बन कर उभर रहा है। मुनि प्रवर ने सारी दुनिया फेरे माला भिक्षु तेरे नाम की सुमधुर गीत प्रस्तुत किया।
मुनि संबोधकुमार ‘मेधांश’ ने कहा कि विजेता कुछ भी अलग नहीं करते। वे सिर्फ अलग तरीके से करते हैं। जीवन में आने वाले संघर्षों को देखकर जो हथियार डाल देते हैं, वे भगोड़े होते हैं। आचार्य भिक्षु महान लक्ष्य समर्पित संत थे जो मौत को हथेली पर रखकर सदा सत्य की खोज में चलते रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय सेवक संघ के विभाग प्रचारक आनंद प्रकाश ने कहा किआचार्य भिक्षु के चरमोत्सव पर मातृशक्ति, लव जिहाद पर बात करने की आवश्यकता है। संत का जीवन समाज के निर्माण के लिए निष्काम रूप से समर्पित होता है। वैचारिक पवित्रता और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए आचार्य भिक्षु चलें, हम भी आचार्य भिक्षु के उस महापथ का अनुसरण करें।
इस मौके पर विभाग संघ संचालक आरएसएस हेमंत श्रीमाली ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ, आचार्य भिक्षु के दिव्य तपस्या का परिणाम है। संतों की तपस्या से ही हमारी ‘शांता, तुष्टं, पवित्रं च’ की संस्कृति सुरक्षित है। तेरापंथ सभाध्यक्ष अर्जुन खोखावत, तेयुप अध्यक्ष अक्षय बडाला, महिला मंडल अध्यक्षा सीमा पोरवाल ने भावपूर्ण विचारों से आराध्य को श्रद्धांजलि समर्पित की। संचालन तेरापंथ सभा सहमंत्री महेश पोरवाल ने किया। आभार कोषाध्यक्ष भगवती लाल सुराणा ने ज्ञापित किया।