कम्पोस्टेबल उत्पाद : प्लास्टिक का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प और भविष्य की राह

प्लास्टिक के विकल्प कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स पर दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस 10 व 11 को
उदयपुर। प्लास्टिक प्रदूषण आज एक गंभीर समस्या बन चुका है, जिससे निपटने के लिए कम्पोस्टेबल उत्पादों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। एसोसिएशन ऑफ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स इन इंडिया (एसीपीआई), जो भारत में कम्पोस्टेबल उत्पादों की सबसे बड़ी संस्था है, इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह संगठन सिंगल-यूज प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कम्पोस्टेबल उत्पादों को बढ़ावा देने और उनके उत्पादन, विपणन व जागरूकता पर कार्यरत है। भारत में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में एसोसिएशन ऑफ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स इन इंडिया (एसीपीआई) द्वारा उदयपुर में एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह दो दिवसीय सम्मेलन 10-11 जनवरी को होटल राम्या में आयोजित होगा, जिसमें देश-विदेश के विशेषज्ञ भाग लेंगे। वर्तमान में भारत में 128 कंपनियों को कम्पोस्टेबल उत्पादों के निर्माण का लाइसेंस प्राप्त है, जिनमें से एसीपीआई के 60 सक्रिय सदस्य हैं।
एसीपीआई के प्रममुख सदस्य अशोक बोहरा ने बताया कि ये बैग्स न केवल प्लास्टिक जितने मजबूत और कुशल हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। कम्पोस्टेबल बैग्स अब प्लास्टिक के समान किफायती हो गए हैं, जिससे ये बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए एक व्यवहारिक विकल्प बनते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कम्पोस्टेबल गार्बेज बैग्स, कैरी बैग्स और कटलरी जैसे उत्पाद कॉर्न स्टार्च और आलू स्टार्च जैसे बायोडिग्रेडेबल पॉलीमर्स से बनाए जाते हैं। ये बैग्स सही परिस्थितियों में 180 दिनों में पूरी तरह खाद में बदल जाते हैं, जिससे पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। इनके विघटन के बाद कोई हानिकारक रसायन या माइक्रोप्लास्टिक नहीं बचते।
कम्पोस्टेबल बैग्स की विशेषताएं :
विघटन समय : 180 दिनों में पूर्णत: खाद में परिवर्तित
पर्यावरण प्रभाव : पूर्णत: पर्यावरण अनुकूल
प्रमाणन : आईएसओ 17088 के तहत प्रमाणित
गुणवत्ता : प्लास्टिक के समान मजबूती और उपयोगिता
राजस्थान में प्लास्टिक प्रतिबंध और अवसर :
राजस्थान में प्लास्टिक के निर्माण पर प्रतिबंध लागू होने के बावजूद, इसका उपयोग कुछ हद तक जारी है, विशेषकर पड़ोसी राज्यों से आपूर्ति के कारण। अशोक बोहरा का मानना है कि कम्पोस्टेबल उत्पाद इस चुनौती का स्थायी समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कम्पोस्टेबल उद्योग न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद कर सकता है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर सकता है।
सतत विकास की दिशा में कदम :
कम्पोस्टेबल उत्पाद प्लास्टिक का आदर्श विकल्प हैं और सतत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। इनके उपयोग को बढ़ावा देकर प्लास्टिक प्रदूषण से निपटा जा सकता है और पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है।
बोहरा ने कहा कि कम्पोस्टेबल उत्पाद प्लास्टिक जितने ही किफायती और कुशल हैं। ये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना गीले कचरे के प्रबंधन और खाद निर्माण में मदद करते हैं। एसीपीआई के प्रयासों और जागरूकता अभियानों के जरिए प्लास्टिक मुक्त भारत का सपना साकार किया जा सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पादों का व्यापक उपयोग न केवल प्लास्टिक प्रदूषण को रोक सकता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को भी बढ़ावा दे सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पादों की ओर बढऩा समय की मांग है। एसीपीआई की पहल और आगामी सम्मेलन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। सरकार, उद्योग और जनता के सहयोग से ही स्वच्छ और हरित भविष्य संभव है।
एसीपीआई का समर्थन और कम्पोस्टेबल उद्योग का भविष्य :
एसोसिएशन ऑफ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स इन इंडिया (एसीपीआई), कम्पोस्टेबल उत्पादों के प्रचार-प्रसार में अग्रणी संस्था है, जो नए उद्यमियों को कम्पोस्टेबल व्यवसाय में उत्पादन इकाई स्थापित करने के लिए पूरी तरह से समर्थन प्रदान करती है। यह संस्था व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक संसाधन, मार्गदर्शन, और तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराती है। कम्पोस्टेबल उद्योग में अनगिनत अवसर मौजूद हैं, विशेषकर इंजेक्शन मोल्डिंग के माध्यम से प्लेट्स, बॉटल्स, और कटलरी जैसे उत्पादों के निर्माण में। इस क्षेत्र में बैग्स, ट्रे, कप्स, प्लेट्स, फिल्म्स, लिड्स, स्ट्रॉ, कटलरी, बाउल्स, और क्लैमशेल्स जैसे उत्पादों की भारी मांग है। प्लास्टिक के पर्यावरण पर पडऩे वाले नकारात्मक प्रभावों के प्रति जागरूकता में लगातार वृद्धि हो रही है। इसी जागरूकता के परिणामस्वरूप कम्पोस्टेबल उत्पादों की मांग भी बढ़ रही है। इसके साथ ही, विशेषकर भारत में ऑनलाइन भोजन वितरण सेवाओं के विस्तार के कारण पैकेजिंग सामग्री की आवश्यकता में वृद्धि हुई है, जिससे कम्पोस्टेबल उत्पादों के लिए एक नया और विस्तृत बाजार बन रहा है।
कम्पोस्टेबल बैग्स न केवल प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने का प्रभावी उपाय हैं, बल्कि यह सतत विकास और पर्यावरण की रक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम हैं। प्लास्टिक मुक्त भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब जन जागरूकता बढ़ाई जाए और सरकारी प्रतिबंधों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। एसीपीआई का समर्थन और यह उद्योग नई पीढ़ी के उद्यमियों के लिए एक उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

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