बेणेश्वर धाम की कलाकृतियों के डिजिटलाइजेशन का कार्य प्रारंभ

उदयपुर, 25 जनवरी। लाखों जनजाति जनों की आस्थाओं के केन्द्र बेणेश्वर धाम पर स्थित करीब 400 साल पुरानी कलाकृतियों को संरक्षित करने की दृष्टि से पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर द्वारा की गई पहल रंग लाया रही है। केंद्र की पहल पर संत मावजी के चौपड़ों के डिजिटलाइजेशन का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।

रेप्लिका तैयार होंगी :
भारतीय प्रशासनिक सेवा की वरिष्ठ अधिकारी एवं पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि  बेणेश्वर धाम के महंत अच्युतानंद महाराज के आग्रह पर कलाकृतियों के डिजिटलाइजेशन का कार्य शुरू किया गया है और प्रथम चरण में साबला व शेषपुर स्थित संत मावजी के चोपड़े का डिजीटलाईजेशन करते हुए इनकी (रेप्लिका) प्रतिकृतियां तैयार करवाई जाएगी।  
उन्होंने कहा कि जनजाति बहुल दक्षिण राजस्थान की कला-संस्कृति अनूठी है, इसके संरक्षण-संवर्धन के लिए प्रयास जरूरी हैं तभी हम इसके वैशिष्ट्य और गौरव को उच्च स्तर तक पहुंचा सकेंगे। उन्होंने कहा कि जनजाति आस्था धाम बेणेश्वर पर संत मावजी के हाथों रचित चोपड़े, इन चौपड़ों में उकेरे गए प्राकृतिक रंगों के चित्र और यहां पर किया जाने वाला महारास पूरी दुनिया में अनूठा है। उन्होंने कहा कि डिजीटलाईजेशन के बाद कलाकारों के माध्यम से इसकी प्रतिकृतियां तैयार करवाते हुए शिल्पग्राम में इनकी प्रदर्शनी लगाई जाएगी।
साबला के बाद शेषपुर चोपड़ा होगा डिजिटल :
चौपड़ों के डिजिटलाइजेशन कार्य के समन्वयक व उदयपुर के सूचना एवं जनसंपर्क उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने बताया कि केंद्र द्वारा गत दिनों टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से एक फर्म को इन कलाकृतियों को डिजिटलाइजेशन का कार्यादेश दिया गया है। फर्म द्वारा गत दिनों हरि मंदिर साबला स्थित चोपड़े की फोटोग्राफी की जा चुकी है, अब  28 जनवरी को शेषपुर स्थित चोपड़े की फोटोग्राफी की जायेगी। इन फोटोग्राफ को एडिट करने के बाद प्रदर्शनी के लिए सॉफ्ट व हार्ड कॉपी तैयार की जाएगी। इसके साथ ही एक डिजिटल बुक भी तैयार कर ऑनलाइन उपलब्ध कराने की योजना है।
चौपड़ों का डिजिटलाइजेशन बड़ी बात :
धाम के महंत अच्युतानंद महाराज ने बताया कि बेणेश्वर धाम की प्राचीनता, संत मावजी और इनके परवर्ती संतों, मावजी रचित चारों चौपड़ों, इनमें उकेरे गए भविष्य दर्शाते चित्रों, धाम की धार्मिक महत्ता और इससे संबंधित परंपराओं, बेणेश्वर धाम मेला और इसके वैशिष्ट्य को देखते हुए यदि  बेणेश्वर केंद्रित प्रदर्शनी या संग्रहालय बनता है तो  श्रद्धालुओं और गुरु भक्तों को खुशी होगी। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र चौपड़ों का डिजिटलाइजेशन कर रहा है, यह बड़ी बात है। इससे संत मावजी और बेणेश्वर धाम की महत्ता और गौरव दिक दिगंत तक प्रसारित होगा। यदि डिजिटलाइजेशन हो जाएगा तो जल्द ही मुख्यमंत्री महोदय के हाथों इसका लोकार्पण भी करवा लेंगे।
साबला में चोपड़े की फोटोग्राफी दौरान एपीआरओ प्रवीण भटनागर, बेणेश्वर धाम संग्रहालय के प्रभारी और इतिहासविद रवींद्र डी पंड्या, नरहरि भट्ट, शेषपुर से हीरालाल खासोर, मनोहर खासोर, अनिल खासोर और गुरु भक्त मौजूद थे।

Related posts:

Vedanta Udaipur World Music Festival makes a comeback for its 2022 edition

शराब से लिवर ही नहीं, डायबिटीज, कैंसर जैसी घातक बीमारियां भी होती है

कानोड़ मित्र मंडल, उदयपुर की वर्षाकालीन पिकनिक एवं वरिष्ठजन सम्मान का आयोजन

नेशनल ट्राईबल फूड फेस्टिवल 17 से

नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने एशिया के सबसे बड़े सीएसआर मंच पर रखे विचार

टाटा मोटर्स ने पेश की नई नेक्सॉन ईवी मैक्स, कीमत 17.74 लाख रूपये

‘माई स्पेस श्रीनंदा’ एवं रेस्टोरेंट ‘अप द स्काई लॉज’ का शुभारंभ

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 3 अक्टूबर को सुविवि के दीक्षांत समारोह में लेंगी भाग

माता-पिता अपने बच्चों के आत्म सम्मान, शारीरिक छवि और संपूर्ण कल्याण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमि...

पिम्स में गंभीर वायरल बुखार से पीडि़त मरीज का सफल इलाज

हिन्दुस्तान जिंक ‘‘खनन उद्योग 2021 में मोस्ट सस्टेनेबल कंपनी अवार्ड’’ से सम्मानित

Rajasthan Deputy Chief Minister Diya Kumari, Visits Nand Ghar in Jaipur,Commends its Holistic Develo...