मस्तिष्क की हड्डी पेट में रखकर 7 दिन बाद पुन: मस्तिष्क में लगाकर बचाया मरीज का जीवन
उदयपुर। पारस जे. के. अस्पताल में पहलीबार एक विदेशी नागरिक की न्यूरोसर्जरी की गई। न्यूरोसर्जन डॉ. अमितेन्दु शेखर ने बताया कि बेल्जियम निवासी हर्मन गैराल्ड अपने दोस्तों के साथ गत दिनों उदयपुर घुमने आए थे। एक दिन सुबह अचानक बाथरुम में गिर गये। इस पर उनकी पत्नी उन्हें पारस जे. के. अस्पताल के आपातकालीन विभाग में लेकर आई। यहां न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मनीष कुलश्रेष्ठ ने आपातकालीन चिकित्सा देकर एम.आर.आई करवाई जिससे पता चला कि उनके मस्तिष्क के सीधे भाग की बड़ी नाड़ी में रुकावट है। इस पर तुरन्त ही न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अतुलाभ वाजपेयी व डॉ. मनीष कुलश्रेष्ठ ने क्लीनिकल थ्रम्बोक्टमी करके उसे ठीक किया। इसके बाद मरीज स्वस्थ व रिकवर हुआ।
लेकिन बाद में सीटी स्केन करवाने पर पता चला की मरीज की बड़ी नाड़ी में ब्लीडिंग हो रही है जो कि मरीज के लिए घातक थी। इससे लकवा या मृत्यु भी हो सकती थी। ब्लीडिग के कारण मरीज के सिर में सूजन आ रही थी जो की धीरे-धीरे मरीज के छोटे दिमाग को दबाने लग गया।
डॉ. अमितेन्दु शेखर ने बताया कि इस दबाव को हटाने के लिए मरीज का डीकम्प्रेसीव क्रेनियाक्ेटमी ऑपरेशन किया गया जिसके तहत दिमाग की हड्डी को निकालकर पेट के अंदर रखा गया। इससे मरीज के सिर में जगह बन गई और सूजन के कारण मरीज के छोटे दिमाग पर पडऩे वाला दबाव बंद हो गया। ऑपरेशन के दौरान मरीज की बड़ी नाड़ी में हाने वाले ब्लीडिग को भी बंद किया गया। सर्जरी करने में 4 से 5 घंटे का समय लगा। कुछ दिनों बाद जब मरीज सामान्य स्थिति में आ गया तो एक छोटे ऑपरेशन द्वारा सिर की हड्डी को पेट से निकाल कर वापस लगा दिया। मरीज अब पूर्ण रुप से स्वस्थ है व अपने देश लौट चुका है।
हॉस्पिटल के डायरेक्टर विश्वजीत ने बताया कि पारस जे. के. हॉस्पिटल में नवीन तकनीकों द्वारा जो विदेशी नागरिक का जीवन रक्षक ऑपरेशन किया गया, उसके लिए मैं टीम को बधाई देता हूं। यह सब अनुभवी टीम व आधुनिक तकनीक द्वारा हो पाया है।