108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के आयोजन शुरू

यज्ञ से वातावरण शुद्धि के साथ ही होता है संस्कारों का निर्माण : दीप्ति किरण माहेश्वरी
उदयपुर।
गायत्री शक्तिपीठ द्वारा आयोजित 108 कुंडीय महायज्ञ बहुत सुंदर आयोजन है। ऐसे आयोजन लगातार होने चाहिए क्योंकि इससे वातावरण की शुद्धि के साथ ही संस्कारों का निर्माण भी होता है। जिस तरह से युवा पीढ़ी आज अपने प्राचीन संस्कारों और धर्म मार्ग से भटकती जा रही है उसी तरह ऐसे आयोजन उन्हें अपने संस्कारों से जोडऩे का माध्यम बनते हैं। ये विचार अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री शक्तिपीठ, सर्वऋतु विलास परिवार की ओर से 3 से 6 नवम्बर तक फतह स्कूल ग्राउण्ड में आयोजित हो रहे विराट 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के शुभारंभ अवसर पर राजसमंद विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने व्यक्त किये।


उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार से हमारा जुड़ाव शुरू से रहा है। उन्होंने अपनी माता स्व. श्रीमती किरण माहेश्वरी को याद करते हुए कहा कि सन 1998 में उदयपुर में ही इसी तरह का गायत्री शक्तिपीठ की ओर से 108 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन हुआ था। उसमें भी वे किरणजी के साथ शामिल हुई थी। तब से लेकर आज तक उनका जुड़ाव गायत्री परिवार से हमेशा रहा है। उन्होंने कहा कि वे आज कलशयात्रा में शामिल हुई हैं लेकिन चार दिवसीय इस महायज्ञ वे में एकबार फिर आएंगी और यज्ञ में बैठकर आहूतियां प्रदान करने का लाभ जरूर लेंगी।
भव्य सद्गुरु ज्ञान ग्रंथ एवं कलशयात्रा :
इससे पूर्व सर्वऋतु विलास स्थित गायत्री शक्तिपीठ से भव्य सद्गुरु ज्ञान ग्रंथ एवं कलश यात्रा का आयोजन हुआ जिसे राजसमंद विधायक श्रीमती दीप्ति किरण माहेश्वरी ने झंडी दिखाकर रवाना किया। बैंड बाजों की मधुर धुन के साथ कलशयात्रा में पीले वस्त्रधारी सैकड़ों महिला-पुरुषों ने भाग लिया। यात्रा में एडीएम सिटी प्रभा गौतम, केंद्रीय कमेटी के डॉ. आलोक व्यास, के. सी. व्यास, वित्त प्रभारी ललित पानेरी, प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली, विप्र फाउंडेशन के के. के. शर्मा विप्र चेंबर के के. के. शर्मा एवं दिनेश चौबीसा सहित अन्य सदस्यों के साथ साधक एवं श्रद्धालु उपस्थित थे। शोभायात्रा में घोड़े पर सवार प्रतीकात्मक तौर पर महाराणा प्रताप, ऊंटगाड़ी में गुरुदेव की झांकियां शामिल थी। शोभायात्रा में बैंड बाजों की मधुर धुन के साथ 251 पीले वस्त्र पहने कलशधारी महिलाएं एवं 501 से ज्यादा सद्ग्रंथ धारी पुरुष चल रहे थे। यात्रा के दौरान मां गायत्री के जयकारों से संपूर्ण क्षेत्र गूंजायमान हो उठा।

कलश यात्रा गायत्री शक्तिपीठ सर्वऋतु विलास से आरंभ होकर उदियापोल, सूरजपोल होते हुए यज्ञ स्थल फतह स्कूल प्रांगण पहुंची। कलशयात्रा से पूर्व गायत्री शक्तिपीठ में विधि विधान से मंत्रोचार के साथ कलश पूजन हुआ। दीप्ति किरण माहेश्वरी की उपस्थिति में पांच कन्याओं का तिलक लगाकर पूजन करने के साथ उन पर पुष्प वर्षा की गई। पूजा अर्चना के बाद सामूहिक रूप से गायत्री मंत्र का जाप हुआ।
प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली ने बताया कि गायत्री शक्तिपीठ में प्रात: 6 बजे से ही श्रद्धालु एवं एवं साधकों का पहुंचना प्रारंभ हो गया। कई साधक और श्रद्धालु बुधवार रात्रि को ही उदयपुर पहुंच गए जबकि मेवाड़-वागड़ और आसपास के क्षेत्रों से साधक और श्रद्धालु गुरुवार सुबह पहुंचे। सुबह गायत्री पीठ का नजारा ऐसा धार्मिक और अलौकिक बन गया जैसे कि साक्षात् गायत्री माता दर्शन देने के लिए सबके बीच में उपस्थित हों।


शोभायात्रा फतह स्कूल प्रांगण में पहुंचने के बाद सभी महिला पुरुष साधक श्रद्धालु विशाल पांडाल मैं देव मंच के सामने पंक्तिबद्ध होकर बैठ गए। उसके बाद मंच से हरिद्वार से आई टोली ने सभी को गुरु ज्ञान देते हुए कहा कि यज्ञ पिता है और गायत्री माता है। मां गायत्री की साधना से संपूर्ण कार्यसिद्धि होती है। उन्होंने सभी को कलश यात्रा का महत्व भी बताया। इसके बाद देव कलश वंदना हुई। वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ ही विधिविधान से देवताओं का आह्वान किया गया। सद्गुरु ज्ञान ग्रंथ एवं कलश शोभायात्रा में शामिल सभी महिला पुरुष साधक श्रद्धालुओं की अतिथियों एवं केंद्रीय कमेटी के सदस्यों द्वारा जोड़े के साथ वंदना आरती की। डॉ. आलोक व्यास ने शांतिकुंज हरिद्वार से आई साधकों की टोली का तिलक उपरना ओढ़ाकर स्वागत अभिनंदन किया एवं रक्षासूत्र बांधे गए। अंत में देव आरती एवं शांति पाठ के साथ समारोह का समापन हुआ।


एक अनूठा संयोग बन गया सभी की प्रेरणा :
फतह स्कूल प्रांगण के यज्ञ पंडाल में एक ऐसा अनूठा संयोग बना कि वह सभी के लिए प्रेरणा बन गया। हुआ यूं कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय में उप सचिव एम. कुमार अपने परिवार सहित उदयपुर प्रवास पर आए हुए हैं। गुरुवार को उन्हें गायत्री शक्तिपीठ द्वारा आयोजित यज्ञ की जानकारी मिली। इसके बाद वे परिवार सहित शहर में घूमने निकले। इसी दौरान सूरजपोल चौराहे से सद्गुरू ज्ञान ग्रंथ एवं कलश शोभायात्रा गुजर रही थी। इस पर उन्होंने एक ऊंटगाड़ी वाले को रोककर आयोजन स्थल के बारे में जानकारी प्राप्त की और आयोजन स्थल पर पहुंचे। वहां पूछताछ के दौरान उनकी केंद्रीय कमेटी के सदस्यों से भेंट हो गई। उन्होंने तत्काल उन्हें मंच पर बुलाया और तिलक उपरना ओढ़ाकर उनका स्वागत अभिनंदन किया।
एम. कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि उनका बचपन से ही गायत्री शक्तिपीठ से जुड़ाव है। पिताजी के साथ वे अक्सर वहां जाया करते थे। पिताजी और गायत्री शक्तिपीठ द्वारा दिए संस्कारों को आज तक वे आत्मसात करते आए हैं। उन्होंने कहा कि आज भी उनका नियम है कि सवेरे उठने के बाद सबसे पहले वह तीन माला जाप करते हैं। उसके बाद ही अन्न जल ग्रहण करते हैं। यह सिलसिला अनवरत जारी है।
गुरुदेव की प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन :


सदगुरु ज्ञान ग्रंथ एवं कलश शोभायात्रा के आयोजन के बाद प्रात: 11.30 बजे यज्ञ पंडाल परिसर में लगाई गई गुरुदेव की प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। शुभारंभ भारत सरकार के गृह मंत्रालय में उप सचिव एम. कुमार, हेमंत श्रीमाली, डॉ. आलोक व्यास, के. सी. व्यास, प्रवीण अग्रवाल के हाथों हुआ।
कार्यकर्ता गोष्ठी आयोजित :
दोपहर को कार्यकर्ता गोष्ठी का आयोजन हुआ। आयोजन में उपस्थित सभी कार्यकर्ता एवं साधक श्रद्धालुओं को संगठनात्मक स्वरूप के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। शांतिकुंज हरिद्वार से आई टोली ने सभी को संबोधित किया। उन्होंने आयोजन की महत्ता के बारे में बताने के साथ ही देव पूजन गायत्री महायज्ञ एवं विभिन्न संस्कारों के बारे में विस्तार से समझाया।
प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली ने बताया कि शुक्रवार 4 नवम्बर को प्रात: 6 बजे ध्यान साधना एवं प्रज्ञा योग, प्रात: 8 बजे देव आह्वान, देव पूजन, गायत्री महायज्ञ एवं विभिन्न संस्कार, दोपहर 2 बजे राजस्थान जोन के प्रभारी डॉ. ओमप्रकाश अग्रवाल के सान्निध्य में राज्यस्तरीय कार्यकर्ता गोष्ठी, सायं 3 बजे संगीत, युवा सम्मेलन एवं प्रतिकुलपति देव सं.वि.वि. हरिद्वार के डॉ. चिन्मय पंड्या का उद्बोधन होगा।

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