उदयपुर। भारतीय सेना पिछले 20 दिनों से मेवाड़ टे्रल एक्सपेडिशन के तहत ‘मेवाड़ के वीरों के त्याग और बलिदान की धरती’ को नमन करते हुए लोगों में देशभक्ति की अलख जगाने का काम रही है। एकलिंगगढ़ छावनी से 8 अक्टूबर को शुरू हुआ यह देशभक्ति का कारवां वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप-अकबर के बीच हुए विश्वप्रसिद्ध युद्धस्थल हल्दीघाटी, रणकपुर, कुंभलगढ़, दिवेर, चित्तौडग़ढ़, चावंड होते हुए 550 किलोमीटर का पैदल फासला तय कर 27 अक्टूबर को महाराणा प्रताप स्मारक समिति मोती मगरी पहुंचा।
मोती मगरी पर आयोजित समारोह में समिति के अध्यक्ष लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने कहा कि भारतीय सेना का विश्वप्रसिद्ध वीर भूमि मेवाड़ के ऐतिहासिक स्थलों और वीर-वीरांगनाओं को नमन करना मेवाड़ ही नहीं, बल्कि देशभर के बच्चों-युवाओं में देशभक्ति की अलख जगाना है। भारतीय सेना ने इन ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के दौरान बच्चों और युवाओं को मेवाड़ के वीरों के त्याग-बलिदान और भारतीय सेना के पराक्रम ये रू-ब-रू कराया।

इससे पूर्व मोती मगरी पर भारतीय सेना ने प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उनकी वीरता को नमन किया। मेवाड़ टे्रल टीम के सैनिकों ने मोती मगरी में निशान (झंडा) फहराकर मेवाड़ी परम्परा का निर्वहन किया। लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने 8 अक्टूबर को एकलिंगगढ़ छावनी में सेना को जो तलवार सौंपी थी, उस तलवार को सेना ने मेवाड़ को ससम्मान भेंट किया। इस अवसर पर लक्ष्यराजसिंह ने भारतीय सेना का मेवाड़ी परम्परानुसार सम्मान किया। भूतपूर्व सैनिकों, वीर नारियों और मेवाड़ ट्रेल टीम के सभी सदस्यों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये गए। कार्यक्रम में ब्रिगेडियर शेखर, भारतीय सेना में रहे लेफ्टिनेंट जनरल एन.के. सिंह, कैप्टन ऋषभ सूरी, आरएनटी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. लाखन पोसवाल आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
27 अक्टूबर का दिन भारतीय सेना के इतिहास में इन्फैन्ट्री दिवस के रूप में विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय सेना ने कश्मीर के अन्दर से पाकिस्तान के सैनिकों और घुसपैठियों को खदेडऩे का मिशन शुरू किया था। लेफ्टिनेंट जनरल एन.के. सिंह ने बताया कि मेवाड़ टे्रल एक्सपेडिशन का उद्देश्य आजादी की 75वीं वर्षगांठ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और 1971 के युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत के 50वां वर्ष ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के शुभ अवसर पर डेजर्ट कोर, बेटल एक्स डिविजन और नवीं ग्रेनेडियर्स (मेवाड़) द्वारा मेवाड़ की धरती और उसके वीरों को नमन करना था। अभियान में नवीं ग्रेनेडियर्स (मेवाड़) और कोनार्क कोर के 2 महिला अधिकारियों सहित कुल 70 सैनिक शामिल हुए।