पानेरियों की मादड़ी में श्रीमद् भागवत का चौथा दिन
उदयपुर। पानेरियों की मादड़ी स्थित घूमर गार्डन में पुरुषोत्तम मास के तहत चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा का लाभ लिया। यजमान श्यामलाल मेनारिया, अखिलेश मेनारिया एवं उज्जवल मेनारिया ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन अजामिलपाख्यान, नारदजी-युधिष्ठिर संवाद, प्रहलाद चरित्र, गजेंद्र का मोक्ष, श्री वामन अवतार, श्री राम जन्म उत्सव एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव के प्रसंग सुनाए एवं उनकी व्याख्या की।
व्यास पीठ पर विराजित कथावाचक संजय शास्त्री ने अपने उपदेष में बताया कि मन की चंचलता भक्तों को भी भ्रष्ट बना देती है। जिसका मन अपने नियंत्रण में नहीं है वह जीवन में हर बार असफलता, अज्ञानता, भटकाव का ही भागी बनता है। जीवन में सफल होना है तो मन की एकाग्रता बहुत ही जरूरी है। बिना एकाग्रता के भगवत भक्ति नहीं हो सकती। भगवत भक्ति के लिए श्रद्धा और विश्वास बहुत ही जरूरी होता है।
शास्त्रीजी ने एक दृष्टांत के माध्यम से बताया कि एक व्यक्ति था उसके जीवन में भक्ति भाव और धर्म के नाम की कोई चीज नहीं थी। शुरुआत में छोटी-मोटी चोरियां करता लेकिन बाद में बहुत बड़ा डाकू बन गया। दूर-दूर तक उसकी दहशत थी। एक बार उसके घर के बाहर कुछ संत आकर ठहर गए। संतो को देखकर वह डाकू भड़क गया और उन्हें वहां से जाने को कहा लेकिन डाकू की पत्नी के कहने पर संत नहीं गये। संत ने डाकू के बारे में जानकारी ली तो पता चला उसके अभी एक संतान होने वाली है। संत ने डाकू को बुलाया और कहा कि जब भी आपकी संतान हो उसका नाम नारायण रख देना। डाकू ने ऐसा ही किया। उसके बच्चे के नाम से ही सही लेकिन दिन में कई बार नारायण नारायण नाम पुकारने लगा। जब उसका अंत समय आया तब भी वह बार-बार नारायण नारायण को ही पुकार रहा था। जब उसकी मृत्यु सन्निकट आई उस दौर में उसके कई बार नारायण नारायण नाम जपने से उसको मोक्ष प्राप्त हो गया। कहने का अर्थ है कि आपको हर समय प्रभु की भक्ति करनी है।
शास्त्रीजी ने कहा कि भक्ति के कई प्रकार हो सकते हैं। कोई भय से भक्ति करता है, कोई काम के लिए करता है ,कोई भाव से भक्ति करता है, कोई क्रोध में भक्ति करता है कोई द्वेष से भक्ति करता है, कोई स्वार्थ से भक्ति करता है लेकिन प्रभु के लिए सब बराबर है। प्रभु सभी को भक्ति का फल समान ही देते हैं।
रविवार को राम जन्मोत्सव कृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष में झांकियां भी सजाई गई जिसे देखने के लिए आसपास क्षेत्र से कई श्रद्धालु कथा स्थल पर उपस्थित हुए।
सफल होने के लिए मन की एकाग्रता जरूरी: संजय शास्त्री
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