भील वीरबाला कालीबाई का शहादत दिवस मनाया

उदयपुर। भील वीरांगना वीरबाला कालीबाई के शहीद दिवस पर बुधवार को राजस्थान आदिवासी महासभा द्वारा महासभा भवन सेक्टर 14 में संगोष्ठी आयोजित की गई। महासभा के अध्यक्ष सोमेश्वर मीणा ने कार्यक्रम एवं संस्था के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए सभी का स्वागत किया।


संगोष्ठी में मुख्य वक्ता स्वतंत्रता सेनानी महेश कोटेड़ थे जो उस घटना के चश्मदीद गवाह थे। श्री कोटेड जो कि अभी शतायु पूर्ण कर चुके है तथा 106 वर्ष के हो चुके है ने कालीबाई के शहीद होने की घटना 19 जून 1947 को डूंगरपुर जिले के गाँव रास्तापाल में घटी थी पर विस्तृत रूप से बताया। उन्होंने बताया कि किस तरह शिक्षा की पाठशाला को सैनिकों द्वारा जबरन बंद करवाया जा रहा था। स्कूल के संचालक शहीद नानाभाई खाँट द्वारा इसका पूरज़ोर विरोध किया तो उनको गोलियों से भून दिया। वहाँ पर उपस्थित शिक्षक शहीद सैगा भाई पाठशाला को बंद नहीं करने को बोला तो उनको बन्दूकों के हत्थों से पीटा गया। विरोध करने वालों की इतनी बेरहमी पिटाई की गई कि उनके खून से ज़मीन एवं दीवारे रंग गई। वहाँ उपस्थित अन्य आदिवासियों ने ढोल बजा कर गाँव के अन्य लोगों को बुलाना शुरू कर दिया जिस पर भील समुदाय के लोग गोफऩ, तीर कमान, लाठी इत्यादि लेकर एकत्र होने लगे। इससे डूंगरपुर दरबार के सैनिक जो विजयपलटन के नाम से थी घबरा गई एवं आनन फ़ानन में सैंगा भाई को घायल अवस्था में ही गाड़ी से बांधकर खींच कर ले जाने लगे। ऐसा दृश्य देख कर आदिवासी बालिका कालीबाई (14 वर्ष ) जो पास ही खेत पर काम कर रही थी ने देखा कि उसके गुरुजी को सैनिक गाड़ी से बांध कर खींच के ले जा रहे है तो उसने आव ना देखा ना ताव गोलिया चलने के बीच ही अपनी जान की परवाह किए बिना हंसिए ( दरांती) से उस रस्सी को काट दिया जिससे उसके शिक्षक बंधे थे। सैनिकों ने कालीबाई को गोलियों से भून दिया। नानाभाई खाँट एवं सैंगा भाई को डूंगरपुर अस्पताल लाया गया जहां दोनों को मृत घोषित कर दिया। दोनों की अंत्येष्टि 20 जून 2047 को गाँगड़ी नदी के किनारे की गई। वीरबाला कालीबाई ने भी 20 जून 1947 की रात में दम तोड़ दिया जिनकी अंत्येष्टि रास्तापाल में दिनांक 21 जून 1947 को की गई महेशजी ने बताया कि नानाभाई खाँट एवं कालीबाई की अर्थी को कंधा उन्होंने दिया था। महेशजी कोटेड मूलत: गुमानपुरा डूँगरपुर के रहने वाले है।
महासभा के सचिव डॉ. दिनेश खराड़ी ने बताया कि शिक्षा के महत्व को समझना होगा एवं वीरबाला कालीबाई से प्रेरणा लेकर समाज को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। डॉ खराड़ी ने बताया इस तरह के आयोजन से समाज को प्रेरणा मिलती है, आत्मविश्वास बढ़ता है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए महासभा के महासचिव सी एल परमार ने बताया कि हमारे समाज के स्वतंत्रता सेनानियों एवं बुजुर्गों से समाज को बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है। धन्यवाद महासभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश हीरात ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम में कोषाध्यक्ष नारायण लाल डामोर, चंपालाल खराड़ी, कश्मीरी लाल डामोर, शंकर लाल सोलविया, सुरेशजी कोटेड, श्रीमती फुलवंती डामोर, श्रीमती रुक्मणी कलासुया, श्रीमती लक्ष्मी अहोड़ा, श्रीमती इंद्रा डामोर, श्रीमती सुगना डामोर, श्रीमती बसंती अहारी, श्रीमती नीरू पारगी, श्रीमती गायत्री डामोर, श्रीमती विमला भगोरा, राजेश मीणा, रुपसिंह अहारी, कांतिलाल बोड़ात, संतोष अहारी एवं गेबीलाल डामोर उपस्थित थे।

Related posts:

जिंक के जीवन तरंग कार्यक्रम में मूक बधिर बच्चों को सड़क सुरक्षा के प्रति किया जागरूक

कार्मिक अकाउंट को जीरो करने का पर्व है पर्युषण : मुनि सुरेशकुमार

उदयपुर में पहली बार राष्ट्रीय दृष्टिहीन क्रिकेट चैम्पियनशिप 30 नवम्बर से

लोक कला मंडल में सुरेश वाडेकर की मखमली आवाज ने बांधा समां, सबके लबों पर गूंजे दिल के तराने

यूएसए के एंबेसडर एरिक एम गार्सेटी का दिल्ली प्रस्थान

HDFC Life Launches Sanchay Par Advantage

रामभक्ति और आनन्द में झूमा नारायण सेवा संस्थान, प्रशान्त अग्रवाल ने मेवाड़वासियों के लिए की मंगलकामन...

भारतीय सिनेमा कला का एक अलग ही क्षेत्र है : डॉ. मृत्युंजयसिंह

Mustard Model Farm Projectin the key role in making India Self-reliant on Oilseed production

100 दिवसीय कार्य योजना के कार्यों को समय पर पूर्ण कराएं : जिला कलक्टर

Hindustan Zinc lighting the #PragatiKiRsohni for a brighter tomorrow

Mahaveer Swami's Pad

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *