उदयपुर। पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा में चिकित्सकों द्वारा एक मरीज की सफल ब्रोंकोस्कोपी की गई।
चैयरमेन आशीष अग्रवाल ने बताया कि गत दिनों एक मरीज को एक महीने से खांसी/खेखार में खून की शिकायत के चलते पिम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इसकी मात्रा मध्यम (200 मिली/दिन) थी। मरीज का एचआरसीटी थोरैक्स किया गया जो दाहिने ऊपरी लोब में समेकन और सिस्टिक ब्रोन्किइक्टेसिस का संकेत था। मरीज के थूक उत्पन्न नहीं किया जा सका इसलिए ब्रोंकोस्कोपी की गई। ब्रोंकोस्कोपी के दौरान, दाहिने ऊपरी लोब का पिछला भाग रक्त के थक्कों से अवरुद्ध हो गया था जिसे सेलाइन इंफ्यूजन और सक्शन द्वारा हटाया नहीं जा सका। इसलिए उन्नत ब्रोन्कोस्कोपी का उपयोग करते हुए एंडो-नाइफ का उपयोग करके इलेक्ट्रो-कॉटरी की गई, जिससे ब्रोन्कियल दीवार से थक्के को अलग करने में मदद मिली, और उपरोक्त उल्लिखित खंड से थक्के को हटाने के लिए बैलून का उपयोग किया गया और लगभग 6 सेमी के थक्के को एन-ब्लॉक हटा दिया गया। यह अनूठी और उन्नत प्रक्रिया पीआईएमएस उदयपुर में पल्मो टीम- डॉ. सानिध्य टांक (एपी), डॉ. करणराज सिंघल (एपी), डॉ. दीक्षांत चौधरी (एपी), डॉ. गुरमेहर सिंह ठेठी ( पीजी जेआर-2) और डॉ. अर्पित जौहर (पीजी जेआर-2) द्वारा की गई थी।
पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा में मरीज की सफल ब्रोंकोस्कोपी
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