उदयपुर को मिला ऐतिहासिक पेयजल संबल
रंग लाए पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के प्रयास
उदयपुर। उदयपुर शहर की भावी पीढ़ियों की पेयजल सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज हुई है। देवास-तृतीय एवं देवास-चतुर्थ जैसी बहुप्रतीक्षित और महत्वाकांक्षी जलापूर्ति परियोजनाओं को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली से स्टेज-1 स्वीकृति मिल गई है। यह सफलता केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के निरंतर प्रयासों, उनकी व्यक्तिगत रुचि और केंद्र सरकार के उच्च स्तर पर सशक्त पैरवी का प्रत्यक्ष परिणाम मानी जा रही है।
राज्यपाल कटारिया ने उदयपुर की जल समस्या को प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर की प्राथमिकता बनाते हुए इस परियोजना की लगातार मॉनिटरिंग की। उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई स्तरों पर संवाद कर वर्षों से लंबित वन स्वीकृति की प्रक्रिया को गति दी। यह उन्हीं के प्रभावी हस्तक्षेप का परिणाम है कि स्वीकृति अपेक्षाकृत कम समय में प्राप्त हो सकी।
जल संसाधन विभाग उदयपुर के अधीक्षण अभियंता मनोज जैन ने बताया कि देवास-तृतीय परियोजना के अंतर्गत गोगुन्दा तहसील के नाथियाथल गांव के समीप 703 एमसीएफटी क्षमता का बांध निर्मित किया जाएगा। यहां से 10.50 किलोमीटर लंबी सुरंग द्वारा जल को देवास-द्वितीय (आकोड़दा बांध) तक लाया जाएगा और फिर मौजूदा प्रणाली से पिछोला झील तक पहुंचाया जाएगा। वहीं देवास-चतुर्थ परियोजना के तहत अम्बा गांव के पास 390 एमसीएफटी क्षमता का बांध बनेगा, जिसे 4.15 किलोमीटर की सुरंग से देवास-तृतीय से जोड़ा जाएगा।
इन दोनों परियोजनाओं के पूर्ण होने के बाद उदयपुर शहर को आने वाले कई दशकों तक निर्बाध पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही पिछोला, फतहसागर और स्वरूपसागर जैसी ऐतिहासिक झीलों का जलस्तर स्थायी रूप से बनाए रखने में मदद मिलेगी। इससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन मजबूत होगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नया जीवन मिलेगा।
स्टेज वन स्वीकृति मिलने पर राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उदयपुर की झीलें केवल जलस्रोत नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। इन परियोजनाओं से पेयजल संकट का स्थायी समाधान होगा और झीलों की ऐतिहासिक गरिमा भी सुरक्षित रहेगी। उन्होंने इस कार्य में सहयोग देने के लिए केंद्र सरकार और संबंधित अधिकारियों का आभार भी व्यक्त किया।
देवास परियोजना-तृतीय एवं चतुर्थ चरण को मिली स्टेज- 1 स्वीकृति
