क्रिकेट के ज्ञानकोष प्रो. एल. एन. माथुर की स्मृति में क्रिकेट कार्निवाल 28 से

उदयपुर। प्रोफेसर एल. एन. माथुर जीवन पर्यन्त क्रिकेट साहित्य पर शोध एवं लेखन करने वाले एक अग्रणीय व्यक्तित्व रहे हैं। कॉलेज जीवन से ही उनमें क्रिकेट खेलने और क्रिकेट साहित्य पर शोध करने और उसको लिखने में विशेष रूचि रही। शिक्षा में निपुण, खेल व अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में अग्रणी होने के कारण उन्हें 1942 में गवर्नमेंट कॉलेज, अजमेर में गिब्सन गोल्ड मैडल प्रदान किया गया। ये उनके लिए अत्यंत प्रेरणास्पद रहा और यही से उनकी शोध और लेखन की रूचि ने और ज्वाला पकड़ी।
1946 में उनके द्वारा क्रिकेट पर लिखित प्रथम पुस्तक ‘फाइट फॉर द रबर’ का प्रकाशन हुआ। इंग्लैंड में भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा खेले गए समस्त मैचों का विस्तृत वर्णन सचित्र इस पुस्तक में बड़े रोचक रूप से प्रस्तुत किया गया है। समस्त खिलाडिय़ों के प्रदर्शन के तुलनात्मक ब्यौरा आंकड़ों सहित इस पुस्तक में बताया गया है। जब यह किताब लिखी गई उस समय प्रो. माथुर की उम्र 24 वर्ष थी और ये हम उस ज़माने की बात कर रहे हैं जब न तो ऑन लाइन आंकड़े उपलब्ध थी न ही कंप्यूटर जिसपे टाइपिंग कर सकते थे। ये केवल एक वो ही व्यक्ति कर सकता था जिसमे कुछ करने का एक जूनून हो।
इस किताब के पश्चात प्रो. माथुर ने 11 किताबें क्रिकेट पर और लिखी जो आज की तारीख में किसी भी भारतीय द्वारा लिखी गई सर्वाधिक किताबे हैं। उनके द्वारा लिखी गई फाइट फॉर द रबर (1946), इंडियन क्रिकेटर्स इन ऑस्ट्रेलिया (1948), एमसीसी इन इंडिया (1951), इनक्लोपीडिया ऑफ़ इंडियन क्रिकेट (1966), भारतीय क्रिकेट का ज्ञानकोष (1969), पोर्टरेट ऑफ़ इंडियन टेस्ट क्रिकेटर्स (1983), ड्रामेटिक मूमेंट्स इन रणजी ट्रॉफी (1987), कपंडियम ऑफ़ इंडियन टेस्ट क्रिकेट (1990), इंडियन स्किप्पेर्स (1993), फेक्ट्स अनबिलिवबल (1994), सी के नायडू लीजेंड ऑफ़ हिज लाइफ टाइम (1995), डॉन बेडमेन क्रिकेट विज़ार्ड (1999) आदि किताबें है।
इन पुस्तकों के लेखन के अतिरिक्त प्रो. माथुर ने राजस्थान की धरती पर विदेशी टीमों के विरुद्ध खेले गए कई मैचों व राजस्थान के कई क्रिकेटर्स के बेनिफिट मैचेस के दौरान प्रकाशित सोवीनेर के प्रमुख संपादन का भी कार्य किया। प्रो. माथुर के लेखन की प्रतिभा को क्रिकेट जगत के कई महान हस्तियों ने भी सराहा है और उनके द्वारा लिखित पुस्तकों की प्रस्तावना लिखी और भारतीय पत्र पत्रिकाओं ने भी इन पुस्तकों को ज्ञानवर्धक और रोचक बताया।
क्रिकेट के एक अच्छे रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी होने के साथ-साथ प्रो. माथुर एक लगनशील व कुशल क्रिकेट प्रशासक भी थे। 1956 से 1971 के दौरान वे राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव रहे। इस दौरान वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोम बोर्ड व सेंट्रल जोन की समितियों के सदस्य एवे अध्यक्ष भी रहे। उनके इस कार्यकाल में राजस्थान की टीम रणजी ट्रॉफी की उपविजेता रही और सेंट्रल जोन की विजेता रही। उस ज़माने के कई वरिष्ठ और भूतपूर्व टेस्ट खिलाडिय़ों से प्रो. माथुर के घनिष्ठ सम्बन्ध थे और सभी उनकी प्रतिभा की मान्यता रखते थे।
राजस्थान स्टेट स्पोट्र्स कौंसिल द्वारा माउंट आबू में आयोजित वार्षिक कोचिंग कैंप के शुरुआत में कई वर्षो तक वे डायरेक्टर क्रिकेट रहे तथा साथ-साथ प्रशिक्षक का कार्य भी किया। क्रिकेट राजस्थान और सेंट्रल जोन से खेलने वाले कई रणजी खिलाड़ी इसी वार्षिक कैंप की देन है। प्रो. माथुर रणजी ट्रॉफी पैनल के एम्पायर भी रहे एवं रणजी ट्रॉफी मैचेस में उन्होंने एम्पायरिंग और रेडियो पर कमेंट्री भी की। क्रिकेट वाले माथुर साहब के रूप में पहचान रखने वाले प्रो. माथुर के लिए क्रिकेट उनकी जान था।
28 अक्टूबर 1922 को गुरु पूर्णिमा के दिन जन्मे प्रो. माथुर एक शिक्षाविद् थे। वे अपने कॉलेज के छात्रों को शिक्षा के साथ खेलकूद में रूचि लेने हेतु प्रोत्साहित करते थे। वे बीएनपीजी कॉलेज उदयपुर के प्रिंसिपल के पद से 1980 में रिटायर हुए। रिटायर के अवसर पर आयोजित क्रिकेट मैच में वे स्वयं, उनके दोनों पुत्र (रणजी / यूनिवर्सिटी प्लेयर्स ) और 7 वर्षीय पौत्र भी खेले। यह अपनेआप में एक अनोखा अवसर था। क्योकि ऐसा पहली बार हुआ था और शायद आज भी यह एक वल्र्ड रिकॉर्ड हो, जहाँ तीन पीढ़ी एक साथ एक मैच में खेली हो। गुरु पूर्णिमा के दिन जन्मे प्रो. माथुर ने अंतिम साँस भी वर्ष 2000 में गुरु पूर्णिमा के दिन ही ली।
क्रिकेट के ज्ञानकोष रहे प्रो. माथुर के जन्म शताब्दी के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देने हेतु उदयपुर डिस्ट्रिक्ट वेटेरन क्रिकेट एसोसिएशन, फील्ड क्लब उदयपुर और माथुर परिवार सयुक्त रूप से एक यादगार समारोह 28 से 30 अक्टूबर के बीच मनाने जा रहा है, जिसमें जयपुर क्लब, जयपुर, उदयपुर वेटेरन क्रिकेट टीम और उदयपुर फील्ड क्लब क्रिकेट टीम के बीच मैच का आयोजन होगा। इसमें कई पूर्व रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी हिस्सेदार बनेंगे। इसके अतिरिक्त उदयपुर की चार प्रमुख स्कूलों की क्रिकेट टीमों के बीच टूर्नामेंट का आयोजन किया जायेगा। तत्पश्चात 30 अक्टूबर को यादगार समारोह मनाया जायेगा जिसमे प्रो. माथुर से जुड़े कई लोग शिरकत करेंगे और उनके क्रिकेट जीवन से जुड़ी कुछ यादगार लम्हे साझा करेंगे।

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