निस्वार्थ प्रेम ही सच्चा प्रेम : संजय शास्त्री

पानेरियों की मादड़ी में श्रीमद् भागवत का छठा दिन
उदयपुर।
पानेरियों की मादड़ी स्थित घूमर गार्डन में पुरुषोत्तम मास के उपलक्ष में चल रही भागवत कथा के छठे दिन श्रोताओं ने खूब आनंद लिया। आयोजक श्यामलाल मेनारिया, अखिलेश मेनारिया और उज्ज्वल मेनारिया ने बताया कि गोपी गीत रासलीला प्रसंग, कंस का उद्धार, उद्धव गोपी संवाद एवं रुक्मणी विवाह जैसे प्रसंगों को सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। भक्ति भाव में डूबे श्रोताओं के समक्ष यह प्रसंग ऐसे बन गए जैसे सभी गोकुल और मथुरा में ही बैठे हैं और प्रभु की लीलाओं का साक्षात दर्शन कर रहे हैं। गोपी गीत और रासलीला के प्रसंगो को सुनकर श्रोता प्रेम में डूब गये और पूरा वातावरण है प्रेममयी हो गया।
व्यासपीठ पर विराजे कथावाचक संजय शास्त्री ने  प्रेम की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रेम कई प्रकार के होते हैं। कौन सा प्रेम सर्वश्रेष्ठ है। प्रेम के बदले प्रेम देना स्वार्थ की श्रेणी में आता है। प्रेम देने वाले से प्रेम नहीं करना अच्छा लक्षण नहीं माना जाता है। जो प्रेम देता है, जो प्रेम लेता है और जो दोनों से प्रेम नहीं करता है वह पूर्णता अध्यात्मिक होता है। प्रेम के बिना जीवन अधूरा होता है। जो निस्वार्थ प्रेम होता है वही सच्चा प्रेम है। कृष्ण ने ही पूरी दुनिया को प्रेम का पाठ पढ़ाया और प्रेम करना सिखाया। गोपियों संग रास लीला करके श्रीकृष्ण ने पूरी दुनिया को स्वच्छ और पवित्र प्रेम की परिभाषा बताई।
शास्त्रीजी ने कहा कि पुराणों के अनुसार एक बार गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई, जितनी गोपियां थीं उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य एवं प्रेमानंद शुरू हुआ। माना जाता है कि आज भी शरद पूर्णिमा की रात में भगवान श्रीकृष्ण गोपिकाओं के संग रास रचाते हैं। इसे सौन्दर्य, कला एवं सहित्य को भी प्रभावित करने वाला माना गया है। यह जल तत्व का भी कारक है। शरद पूर्णिमा को बलवान चन्द्रमा होने के कारण मानसिक बल प्राप्त होता है जो जीवन के चार पुरूषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को पूरा करने में सहायक होता है।
शास्त्रीजी ने गोपियों संग रास लीला के प्रसंग सुनाते हुए कहा कि गोपिया कानों में उँगली इसलिए रखना चाहती है क्योंकि जब कृष्ण मंद एवं मधुर स्वर में मुरली बजाएँ तथा ऊँची अटारियों पर चढक़र गोधन गाएँ तो उनका मधुर स्वर उसके कानों में न पड़े तथा गोपी इस स्वर के प्रभाव में आकर कृष्ण के वश में न हो सके। श्रीकृष्ण की मुरली की ध्वनि मादक तथा मधुर है जो सुनने में अत्यंत कर्णप्रिय लगती है। गोपियाँ उनसे बातें करना चाहती हैं। वे कृष्ण को रिझाना चाहती हैं। उनका ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए मुरली छिपा देती हैं। शास्त्रीजी ने कहा कि गोपियां अपने मन में, अपनी वाणी में और अपनी आँखों में निरन्तर श्रीकृष्ण का ही स्पर्श पातीं थीं, उन्हीं के दर्शन करती थीं, इस प्रकार वे भगवन्मयी हो गयीं थीं।
इसी तरह शास्त्रीजी ने उद्धव गोपी संवाद, कंस का उद्धार एवं रुक्मणी विवाह की कथा को प्रस्तुत कर सभी के सामने जीवंत कर दिया।
कथा का समापन आज :
उज्जवल मेनारिया ने बताया कि सत्य देसी भागवत महाकथा का समापन 2 अगस्त बुधवार को प्रात: होगा। कथा के अंतिम दिन कथा का समय प्रात: 9 से 12 तक बजे तक का रहेगा। अंतिम दिन केवल कथा का समय परिवर्तन किया गया है बाकी सारे कार्यक्रम यथावत ही चलेंगे।

Related posts:

वीआईएफटी में ‘पत्रकारिता में भविष्य’ विषयक सेमीनार आयोजित

फील्ड क्लब स्पोर्ट्स टूर्नामेंट सम्पन्न

Kotak Mahindra Bank’s Big Festive Dhamaka:  Khushi Ka Season Reloaded

The Biggest Music Extravaganza ‘Vedanta Udaipur World Music Festival 2020’ Starts with Splendid Perf...

हिन्दुस्तान जिंक की जावर माइंस को एपेक्स इंडिया ग्रीन लीफ फाउंडेशन फॉर एनर्जी एफिशिएंसी प्लेटिनम अवा...

-वेदांता उदयपुर वल्र्ड म्युजिक फेस्टिवल का दूसरा दिन-

अंतिम प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने गंतव्य को रवाना हुए मतदान दल

अब 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगी होम वोटिंग सुविधा

वीआईएफ़टी में फि़ल्मी सितारों का जमघट

जिंक फुटबाल को मिला ‘बेस्ट ग्रासरूट्स फुटबाल प्रोजेक्ट आफ द इअर’ पुरस्कार

Dr. Raghupati Singhania conferred the ‘Lifetime Achievement Award 2022’

स्टार्टअप प्रतिभाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा ‘ग्लोबल एंट्रप्रेन्योरशिप समिट’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *