उदयपुर (Udaipur)। कानोड़ के पास लुणदा से एक किलोमीटर दूर उदपुरा गांव के कालाजी भेरूजी बावजी मन्दिर (Kalaji Bheruji Bavji Mandir) में शुक्रवार को ठा. किशनसिंह चौहान (Kishan Singh Chauhan) अपने सुपौत्र एवं कुंवर विक्रमसिंह चौहान (Vikram Singh Chauhan) के सुपुत्र भंवर रणजीतसिंह चौहान (Ranjit Singh Chauhan) का गोळ बींटी ( Gol-Binti ) कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें सैंकड़ों लोगों की उपस्थिति रही। उदयपुर से डॉ. तुक्तक-रंजना भानावत (Dr. Tuktak-Ranjana Bhanawat) ने भी कार्यक्रम में शिरकत कर भंवर रणजीतसिंह चौहान का शॉल, माला से अभिनन्दन किया। इस अवसर पर कुंवर विक्रमसिंह चौहान, उनकी धर्मपत्नी सीताकुंवर तथा पुत्री पूजाकुंवर भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि कालाजी भेरूजी का स्थान नीम के 300 साल पुराने पेड़ के नीचे स्थित है। यह पेड़ गांव बसने से पूर्व का है। गांववालों के अनुसार इस पेड़ की हर डाली पोली है। इन 300 सालों में कितने ही तूफान आए, तेज हवाएं चलीं पर पेड़ को कुछ नहीं हुआ। नीम का पेड़ देवताओं का निवास स्थल माना जाता है। लोक में नीम के नीचे बसे देवता का चलता नाम नीमडिय़ा बावजी अनेक जगह प्रसिद्ध है।
गोळ बींटी तांबे की बनी होती है। अनेक जातियों में बींटी पहनाने का रिवाज है। यह लोकदेवता भेरूजी की आज्ञा से पहनी जाती है। किसी कार्य के पूर्ण हो जाने पर भी यह बींटी मनौती के रूप में पहनी जाती है। इसे गोळ धारण करना अथवा पहनना भी कहा जाता है। गोळ धारण करना अपनेआप में पूरा संस्कार है। यह पुरुष ही धारण करता है। इसे धारण करने पर कुछ नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है। जैसे आजीवन शराब-मांस का परित्याग तथा मौतमरण वाले परिवार में जीमण निषेध रहता है।