सिजेरियन डिलीवरी की ओर ज्यादातर महिलाओं का बढ़ रहा है रूझान

उदयपुर। महिलाओं की बदलती जीवनशैली के साथ-साथ इन दिनों महिलाओं में सिजेरियन डिलीवरी भी आम हो चुकी है क्योंकि आजकल महिलाएं स्वयं और अपने शिशु के लिए कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती हैं। ऐसे में वो सिजेरियन डिलीवरी को बेहतर समझती हैं। वैसे दोनों ही तरह की डिलीवरी का अंतिम लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि शिशु और मां स्वस्थ हो।
पारस जेके हॉस्पिटल, उदयपुर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आकांक्षा त्रिपाठी ने कहा कि हाल ही में बीएमसी, चिकित्सा अनुसंधान पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार इन दिनों विश्वस्तर पर महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी की मांग कर रही है। सिजेरियन डिलीवरी महिलाओं के बीच लगातार बढ़ रही है इसका एक कारण यह है कि गर्भावस्था हर महिला के लिए बेहद खास होती है और सिजेरियन डिलीवरी में महिलाओं और बच्चे को किसी तरह का नुकसान नहीं होता इसलिए ज्यादातर महिलाएं आजकल सिजेरियन डिलीवरी को ज्यादा महत्व देती हैं। कुछ मामलों में, जैसे जुड़वाँ या कोई चिकित्सा स्थिति, जैसे मधुमेह या उच्च रक्तचाप या कोई ऐसा संक्रमण जो जन्म के दौरान, माँ से बच्चों को हो सकता है, ऐसी समस्या में डॉक्टर भी सिजेरियन डिलीवरी को महत्व देते हैं। ऐसे सी-सेक्शन ऐच्छिक होते है, जिन्हें प्रसव से पहले निर्धारित (इलेक्टिव) किया जाता है। कोई व्यक्ति सी-सेक्शन डिलीवरी चुन सकता है ताकि यह योजना बनाई जा सके कि कब डिलीवरी करनी है लेकिन अगर कोई नार्मल डिलीवरी के लिए योग्य है, तो सी-सेक्शन होने के बहुत सारे फायदे नहीं हैं।
हाल ही में पारस जेके हॉस्पिटल में हुई 20 डिलीवरी में से सिर्फ 4 ही नार्मल डेलिवरी हुई। ऐसा इसीलिए भी हुआ क्योंकि डॉक्टरों के अनुसार, इन दिनों अधिकतर लोगों की महत्वत्ता सिजेरियन डिलीवरी के प्रति है। कई महिलाएं खुद कहती हैं कि वो सिजेरियन डिलीवरी ही कराना चाहती हैं और उसके मुख्य कारण ज्यादातर – दर्द सहन करने का डर, पिछली डिलीवरी का अनुभव और सुरक्षा संबंधित जैसी धारणाएं हैं।
डॉ. आकांक्षा त्रिपाठी ने बताया कि आजकल ज्यादातर महिलाओं में सिजेरियन डिलीवरी ट्रेंड बन चुका है, क्योंकि आजकल ज्यादातर महिलाएं भी नौकरी या शिक्षा में व्यस्त रहतीं हैं ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी उन्हें आसान और सुरक्षित विकल्प लगता है। कुछ लोग सिजेरियन डिलीवरी को आसान मानते हैं लेकिन सिजेरियन डिलीवरी आसान तब होती है जब डिलीवरी के बाद सही तरीके से शरीर की देखभाल की जाए क्योंकि सिजेरियन डिलीवरी के दौरान ज्यादा रक्तस्राव, संक्रमण, एनेस्थीसिया जैसी प्रतिक्रिया और लंबे समय तक चलने वाला दर्द जैसी समस्याएं आती है जिसे नार्मल डिलीवरी में आसानी से टाला जा सकता है। नार्मल डिलीवरी में, माँ जल्द ही बच्चे को स्तनपान शुरू करने में सक्षम होती हैं जो सिजेरियन डिलीवरी में मुमकिन नहीं है। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि आज के सबको स्वास्थ्य और प्रेगनेंसी से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात करनी चाहिए। सिजेरियन डिलीवरी और नॉर्मल डिलीवरी जैसे मुद्दों पर मरीजों को अपने सारे सवाल खुलकर डॉक्टर्स के समक्ष रखने चाहिए और समझना चाहिए जिससे कि उनके इलाज और इलाज के बाद किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े साथ ही मां और शिशु दोनों ही स्वस्थ रहें।

Related posts:

HDFC Bank Parivartan launches #EnginesOffcampaign in 40 cities

Hindustan Zinc Wins Platinum at LACP Vision Awards, Ranks No. 1 globally in ‘Materials Category’

ब्रेस्ट कैंसर के देर से डायनगोसिस होने वाले केसेस बढ़ रहे हैं क्योंकि राजस्थान में केवल 4.8% महिलाओं...

SLICE® LAUNCHES NEW BRAND CAMPAIGNWITH KATRINA KAIF

ऊबर ने लाखों पीपीई किट्स वितरित किये

पीआईएमएस उमरड़ा ने परिवार गोद कार्यक्रम के तहत लकड़वास, मटून तथा धोल की पाटी में लगाए शिविर

रेडक्लिफ लैब्स ने उदयपुर में सैटेलाइट लैब शुरू की

सीग्रैम्स रॉयल स्टैग लेकर आया है हर्षवद्र्धन जोशी की प्रेरक कहानी ‘मेक इट लार्ज स्टोरी’

Nexus Celebration Mall announces second edition of ‘The Gloss Box’, in a bigger and better avatar

एल एंड टी ने श्नाइडर इलेक्ट्रिक में इलेक्ट्रिकल एंड ऑटोमेशन बिजनेस का विनिवेश संपूर्ण किया

जिंक द्वारा जावर क्षेत्र के 28 गावों में स्वास्थ्य सेवा हेतु मोबाइल वेन का शुभारंभ

LEXUS INDIA OPENS VIRTUAL DOME

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *