सुविवि दीक्षांत समारोह में 187 को पीएचडी की डिग्री व 107 को गोल्ड मेडल

देवेंद्र झाझरिया एवं लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ को डी लिट की मानद उपाधि
उदयपुर।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 30वां दीक्षांत समारोह विवेकानंद सभागार में आयोजित हुआ। कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र ने 107 गोल्ड मेडल और 187 पीएचडी डिग्रियों का वितरण किया। भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया एवं पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी लिट) की मानद उपाधि प्रदान की गई।
दीक्षांत समारोह की शुरुआत कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र के नेतृत्व में सभी डीन डायरेक्टर एवं विभाग अध्यक्षों का अकादमिक प्रोसेशन निकालने से हुई। इसके बाद सभागार में गोल्ड मेडल एवं डिग्रियों का वितरण किया गया। इस अवसर पर एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले भारतीय पैरालंपिक देवेंद्र झाझरिया तथा समाज सेवा में अग्रणी कार्य करने वाले पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को डी लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई।


कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षण में नवाचारों का संवाहक बने क्योंकि नवाचारों का अर्थ है शिक्षा को और अधिक अर्थवत्ता प्रदान करना। आज के दौर में शिक्षा में नवाचार किए जाने की आवश्यकता है, जिससे विद्यार्थियों में पढ़ाए जाने वाले विषय के प्रति उत्साह जागृत हो सके और पढ़ाई के समय विद्यार्थी नवचेतना का संचरण महसूस कर सके। ज्ञान विज्ञान और दर्शन के माध्यम से व्यक्तित्व का संस्कार ही शिक्षा का मूल होना चाहिए। शिक्षण संस्थाओं में इसी को केंद्र में रखकर आज कार्य करने की आवश्यकता है।

राज्यपाल ने कहा कि सूचना एवं जानकारियां महत्वपूर्ण है लेकिन यह व्यक्ति को यांत्रिक अधिक बनाती है। बौद्धिक रूप से संपन्न ज्ञान जब तक संवेदनशीलता से प्रेषित नहीं किया जाएगा तब तक उस ज्ञान का महत्व नहीं होगा। विश्वविद्यालयों के शिक्षकों से मेरी अपेक्षा है कि वे जो पढे उसके मर्म में जाएं। पहले स्वयं में आत्मसात करें फिर अपना ज्ञान विद्यार्थियों को बांटे। विज्ञान और तकनीक के इस युग में सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना होगा। हमें ऐसे शैक्षिक मॉडल तैयार करने होंगे जो नई शिक्षा नीति की प्राथमिकताओं को पूरा करने वाले हो और अधिक से अधिक लोगों तक संप्रेषित होते हो।
मुख्य वक्ता महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्रा ने कहा कि विद्या तटस्थ भाव से ज्ञान प्राप्त करना नहीं है बल्कि उसे आत्मसात करना भी है क्योंकि विद्या विवेक का निर्माण करती है। शिक्षक अपनी उस भूमिका का निर्वहन करें जिसमें डिजिटल माध्यम और पारंपरिक माध्यमों के सम्मिश्रण से नई सोच का जन्म होता है। विश्वविद्यालय ज्ञान सृजन के केंद्र होते हैं। यह सर्जन समाज की संस्कृति के मध्य है और समाज और शिक्षा के बीच पारस्परिक संबंध होता है। मनुष्य की जीवन यात्रा ज्ञान के अंतर्गत ही संपन्न होती है। इस पृथ्वी पर ज्ञान सबसे पवित्र होता है।  श्रीमद्भागवत गीता का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शरीर के तत्वों के अतिरिक्त वाणी का भी तप होता है। वाणी के संयम से ही यथायोग्य सम्मान प्राप्त होता है। यह सब कुछ शिक्षा से ही हासिल होता है। मूल्य पर बातें विचार प्रधान समाज में ही लागू हो सकती है। इसके लिए आवश्यक है कि समाज में ज्ञान को वरीयता दी जाए। विद्या केंद्र घर और समाज के बीच सेतु का काम करती है। यह जीवन स्थल है जहां सही रास्तों की समझ, गहराई और उसकी पवित्रता की अनुभूति संभव है। विश्वविद्यालय के परिसर से ही प्रकाश और विवेक विवेक का उदय हो सकता है।
डी.लिट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाले पैरालंपिक विजेता देवेंद्र झाझरिया ने कहा कि मेहनत का परिणाम कभी तत्काल नहीं मिलता। उसके लिए बहुत सारे धैर्य की आवश्यकता होती है। इसलिए युवा वर्ग अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उसी पर अपना ध्यान केंद्रित करें तो सफलता निश्चित मिलेगी। डी.लिट् की मानद उपाधि प्राप्त करने वाले मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने कहा कि उदयपुर में, घर में अपना सम्मान होना उनके लिए गौरव का विषय है। यह मेरा नहीं है बल्कि उस हर युवा का सम्मान है जो समाज सेवा से जुड़ा हुआ है।
डिग्री और गोल्ड मेडल में छात्राएं रही अव्वल :
दीक्षांत समारोह में कुल 88 गोल्ड मेडल दिए गए जिसमें 66 छात्राएं 16 छात्र शामिल थे। इसमें 82 विद्यार्थियों ने स्वयं उपस्थित होकर अपना गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इसी प्रकार 8 चांसलर गोल्ड मेडल में 6 छात्राएं व 2 छात्र शामिल थे। 11 स्पॉन्सर मेडल प्रदान किए गए इसमें प्रो ललित शंकर पुष्पा देवी शर्मा स्पॉन्सर गोल्ड मेडल, मेहता जगन्नाथ सिंह स्मृति गोल्ड मेडल, डॉ सी बी मोमोरिया स्मृति गोल्ड मेडल, प्रो विजय श्रीमाली स्मृति गोल्ड मेडल, पीसी रांका गोल्ड मेडल तथा प्रो आरके श्रीवास्तव स्मृति अवार्ड  एवम विजय सिंह देवपुरा स्मृति अवार्ड प्रदान किए गए। इसी प्रकार विभिन्न संकायों में 187 पीएचडी डिग्रियां प्रदान की गई। इसमें 100 छात्राएं एवं 72 छात्र शामिल थे। इसमें फैकल्टी ऑफ साइंस में 36, फैकल्टी ऑफ कॉमर्स में 12, फैकल्टी ऑफ सोशल साइंस में 34, फैकल्टी ऑफ अर्थ साइंस में 12, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में 11, फैकल्टी ऑफ ह्यूम्यूनिटीज में 40, फैकल्टी ऑफ लॉ में 6 तथा फैकल्टी ऑफ एजुकेशन में 21 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई। इसमें 172 विद्यार्थियों ने स्वयं उपस्थित होकर अपनी डिग्री प्राप्त की।


दीक्षांत समारोह की शुरुआत में कुलपति प्रोफ़ेसर आईवी त्रिवेदी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की साल भर की गतिविधियों एवं उपलब्धियों की जानकारी दी। दीक्षांत समारोह की संपूर्ण कार्यवाही का संचालन रजिस्ट्रार छोगाराम देवासी ने किया। कार्यक्रम के शुरू में नाथद्वारा घराने के यशोदानन्दन कुमावत ने पखावज वादन किया। दीक्षांत समारोह के पश्चात राज्यपाल मिश्र ने कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्चर के नए भवन का उद्घाटन किया। इसके साथ ही इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग की वर्कशॉप व लेबोरेट्री और स्पोर्ट्स एकेडमी भवन का शिलान्यास भी किया।

Related posts:

हिन्दुस्तान जिंक द्वारा आरएनटी मेडिकल काॅलेज को ऑन्कोलॉजी वाहन भेंट
मल्टीमीडिया प्रदर्शनी युवाओ एवं महिलाओ के लिए बन रही है आर्कषण का केन्द्र
उदयपुर मीडिया अवार्ड का रंगारंग आयोजन
वेदांता उदयपुर वल्र्ड म्यूजिक फेस्टिवल में संगीत संध्या का आयोजन
एसपी भुवन भूषण यादव ने किया ट्राफी का अनावरण
एचडीएफसी बैंक ने गीगा लॉन्च किया
ओसवाल सभा के चुनाव में दिलचस्प मोड, निवर्तमान अध्यक्ष मेहता ने आकर दिलाई कोठारी को शपथ
यह बोलने का समय, बोलना होगा और खतरे भी उठाने होंगे
ABB technology helps Wonder Cement to save over 1.8GWh energy annually
CITI – NCPA Announces Scholarship Program for Young Musicians in Hindustani Music
HDFC Bank launches Digital Consumer Loans' Cardless EasyEMI'
प्रवर खंडेलवाल और रानू सोनी बने मिस्टर एंड मिस फ्रेशर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *