उदयपुर। क्या नई पीढ़ी के बच्चों को मोबाईल से दूर रखना संभव है। क्या उपासना, साधना आराधना जैसे शब्द ये बच्चे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं? क्या अध्यात्म केवल उम्रशुदा लोगों के लिए है? क्या हम बच्चों को संस्कारवान बना सकते हैं? क्या अभिभावक सभी के सामने अपने बच्चे की खुलकर तारीफ़ कर सकते हैं। ऐसे कई प्रश्नों व जिज्ञासाओं के हल के लिए गायत्री परिवार की युवा इकाई ‘दीया-उदयपुर’ द्वारा उत्कर्ष 2024 कैम्प आयोजित किया गया।
कैम्प निर्देशिका डॉ आरुषी श्रीमाली ने बताया की इस पांच दिवसीय आवासीय कैम्प में 12 से 18 वर्ष तक के उदयपुर, महाराष्ट्र और झालावाड़ के 70 बालक-बालिकाओं ने भाग लिया। कैंप में प्रतिदिन प्रात: बालकों को योग, एरोबिक्स, जुम्बा, प्रणायाम आदि करवाए गए। दोपहर में विभिन्न विषयों पर क्रियापरख व्याख्यान आयोजित हुए। विषय विशेषयों ने पर्सनेलिटी रिफाइनमेंट, क्लीनलौनेस एड हाइजिन, सफल जीवन के चार सूत्र, मैनेजिंग रिलेशन, डी-एडीक्शन, एनवायरनमेंट सेन्सीटीवीटी प्रतिस्पर्धा के प्रति संवेदनशीलता, हैप्पीनेस इस अ चोईस, मोबाईल मेरा या मैं मोबाईल का, उपासना, साधना-आराधना आदि विषयों पर बेहद रोचक तरीके से खेल और गतिविधियों द्वारा समझाया। चयन, मंगल, हेमांग ने बताया कि दोपहर भोजनावकाश के बाद बच्चों को सीड बाल बनाना, नृत्य, गायन, वाद्ययन्त्र बजाना, गमलों को पेन्ट करना इत्यादि विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों करवाई गई। शाम को गुलाबबाग भ्रमण और खेल प्रर्तिस्पर्धा का आनंद लेते। रस्साकस्सी, खो-खो, डॉज बाल, कबड्डी आदि खेलों में बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था।
रविवार इस कैम्प का समापन समारोह आयोजित किया गया। कैम्प कोऑर्डिनेटर ने बताया कि कार्यक्रम की मुख्य अतिथि गुरु माँ थीं। अध्यक्षता ललित पानेरी ने की। विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र त्रिपाठी, रमेश असावा, हेमंत श्रीमाली व लक्ष्मण जाखड़ थे। इस कार्यक्रम में उदयपुर गायत्री शक्तिपीठ के ट्रस्टी आलोक व्यास का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। समापन समारोह के दौरान बच्चों द्वारा सीखेंगे नृत्य गान, वाद्ययंत्र आदि की रंगारंग प्रस्तुतियां दी गई। सभी बालक-बालिकाओं को मेडल, सर्टिफिकेट और तुलसी का पौधा उपहार स्वरूप दिया गया। सबसे अनुशासित रहने वाले अथर्व अग्निहोत्री, सबसे ज्यादा परोसने वाले निकेत और गोराधान तथा सबसे एक्टिव हृदया, मीत, धर्मेन्दर, शौर्य को विशिष्ट पुरस्कार दिए गए।
उत्कर्ष समर कैंप के सहसंयोजक प्रणय त्रिपाठी ने बताया कि कैंप के आयोजन में महिला शक्ति का भी विशेष योगदान रहा। 24 घंटे बालिकाओं का ध्यान रखने में डॉ. अंजू श्रीमाली, रेखा असावा, सुनीला, सुनीता, रितु राठौड़, मेघा उपाध्याय, नेहल जोशी, अंकिता, अंजलि, सौम्या, माही, लक्षिता आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विवेक दवे, डॉ. आदेश भटनागर, डॉ. यतीश उपाध्याय, विनोद पाँडे, शिवसुत, चयन त्रिपाठी, हेमांग जोशी, विशाल जोशी, मंगल शर्मा, आदित्य, परमेश, शुभम, शिवम, राज, आदि का विशेष योगदान रहा। धन्यवाद डॉ. आरुषि श्रीमाली ने ज्ञापित किया।