श्रीजी प्रभु की हवेली हुई राममय

नाथद्वारा। पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ प्रभु श्रीनाथजी की हवेली के तिलकायत श्री गो.ति.108 श्री राकेशजी (इंद्रदमनजी) महाराजश्री की आज्ञा एवं श्री गो.चि.105 श्री विशाल बावा साहेब की प्रेरणा से सोमवार को हुए अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भव्य उद्घाटन के अवसर पर श्रीजी प्रभु की हवेली में भव्य रामोत्सव मनाया गया जिसमें विशेष रूप से संपूर्ण श्रीजी प्रभु की हवेली में भव्य साज सज्जा के साथ रंग बिरंगी रोशनी से संपूर्ण हवेली को सजाया गया एवं विशेष रूप से मोती महल चौक में भव्य राम मंदिर को रंगोली के रूप में साकार किया गया। राजभोग एवं आरती के दर्शन में श्रीनाथ बेंड द्वारा प्रभु की भक्ति में राम स्तुति एवं राम धुन द्वारा अद्भुत स्वर लहरिया बिखेरी गई तथा दर्शनों के समय दर्शनार्थियों एवं वैष्णव जनों को श्रीजी प्रभु का प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर श्रीराम मंदिर के उद्घाटन का मोती महल चौक में वैष्णव जनों एवं दर्शनार्थियों के लिए लाइव प्रसारण भी किया गया। सांयकाल मोती महल चौक में 5001 दियों से भव्य रोशनी की गई जिसमें वैष्णव जन एवं दर्शनार्थीयों ने भी दीप प्रज्वलन मैं अपनी सहभागिता निभाई। इस अवसर पर तिलकायत श्री गो.ति.108 श्री राकेशजी (श्री इंद्रदमनजी) महाराज श्री का बधाई संदेश गो.चि.105 श्री विशाल बावा साहब ने समस्त पुष्टि सृष्टि को बधाई संदेश प्रेषित किया तथा आज के दिवस को बड़े धूमधाम से दीपावली के रूप में मनाने के लिए प्रेरित किया तथा सभी वैष्णव जन को सांयकाल अपने अपने घरों पर दीप प्रज्वलन कर मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए कहा तथा श्रीजी प्रभु का श्री राम प्रभु के साथ एकाकार एवं श्रीजी प्रभु द्वारा श्री राम अवतार का रामनवमी के अवसर पर तीर धनुष को आयुध के रूप में धारण करना तथा राम प्रभु की लीलाओं की पिछवाई धराना तथा श्रीजी प्रभु का गोस्वामी तुलसीदास जी को श्री रामस्वरूप में दर्शन देना पुष्ट करता है कि राम और कृष्ण एक ही है प्रसंगो के माध्यम से प्रभु की महिमा का वर्णन किया। श्री राम महोत्सव के इस अवसर पर मोती महल चौक में श्रीनाथजी मंदिर के अधिकारी सुधाकर उपाध्याय, श्रीनाथजी मंदिर के मुख्य प्रशासक भारत भूषण व्यास, सहायक अधिकारी अनिल सनाढ्य, तिलकायतश्री के सचिव लीलाधर पुरोहित, मीडिया प्रभारी एवं पीआरओ गिरीश व्यास, राजेश्वर त्रिपाठी, जमादार हर्ष सनाढ्य, मंदिर के पंड्याजी परेश नागर, कैलाश पालीवाल आदि सैकड़ो वैष्णव जन उपस्थित थे।

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