उदयपुर। नारायण सेवा संस्थान में अपनों से अपनी बात कार्यक्रम में संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा मनुष्य को अपनी कमाई का दसवां अंश जन सेवा के लिए अवश्य खर्च करना चाहिए क्योंकि जो आप समर्पित करेंगे वह किसी न किसी रूप में द्विगुणित होकर वापिस आपको मिलने वाला है। यह पुण्य के रूप में आपके जीवन को सार्थक कर देगा। उन्होंने कहा लोभ लालच करके पाप के भागी न बनें।
अग्रवाल ने कहा कि मन बड़ा चंचल है, वह आपसे कोई न कोई शिकायत कर दुनियादारी में डालता रहता है। इसलिए सकारात्मक सोच से उसे नियंत्रित करें। शिकायत हमेशा नकारात्मक विचार से आती हैं। वह हमेशा निराश करती है। ऐसे में सकारात्मक मानसिकता को विकसित करने का एक शक्तिशाली तरीका है ‘कृतज्ञता’। यानी जीवन में हर चीज के लिए आभार प्रकट करना। जीवन में कैसी भी विषमता आए पर अपने कर्तव्य पथ को नहीं छोड़े। यहीं हमें खुश रखेगा। इस संबंध में अनेक ऋषि मुनियों और महापुरुषों के प्रेरणादायी प्रसंग भी बताये।
समारोह में देश के विभिन्न प्रांतों से सर्जरी व कृत्रिम अंग प्राप्ति के लिए आए दिव्यांगों ने भी अपने विचार साझा किये।