गोवंश को लम्पी डिजीज से बचाने आयुर्वेद बना ढाल

कलक्टर की पहल पर आगे आए उदयपुरवासी
उदयपुर।
जिले में गौवंश को लम्पी डिजीज से बचाने के लिए प्रतिबद्ध जिला कलक्टर ताराचंद मीणा पहल पर उदयपुर वासियों ने एक बार फिर एकजुटता व सेवाभाव का परिचय दिया है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार कोरोना के बाद अब लम्पी पर नियंत्रण और गोवंश की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन के साथ आयुर्वेद विभाग, गौ सेवा समिति, विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाएं, गोवंश प्रेमी और आमजन हर वर्ग अपनी सफ्रिय भागीदारी निभा रहा है।
गत दिनों जिले में लंपी रोग के प्रसार के साथ ही जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने इस रोग से बचाव के लिए जिला स्तर पर आयुर्वेद और होम्योपैथी के उपायों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए विशेष पोस्टर के प्रकाशन के साथ इस क्षेत्र में जुटे लोगों को आगे आने का आह्वान किया था। कलक्टर के आह्वान पर आयुर्वेद विभाग और गोसेवा समिति सक्रिय हुए और विभाग के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी वैद्य शोभालाल औदीच्य के निर्देशन में विशेष प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि से युक्त लडडू तैयार किये गये है और 6 सितंबर से अब तक जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 30 हजार से अधिक लड्डू वितरित किये जा चुके है। उदयपुर के जनजाति बहुल क्षेत्र गोगुन्दा, उण्डीथल, चित्रावास, कोटड़ा, मालवा का चौरा, कडेच, कानोड़, झाड़ोल आदि क्षेत्रों में पशुपालकों को यह लड्डू निःशुल्क वितरित किये जा रहे है।
गोवंश में फैली हुई लंपी बीमारी से अन्य को बचाने और पीडि़त गोवंश को उपचार उपलब्ध कराने के विविध उपायों को बताने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं व प्रशासनिक व विभागीय अधिकारियों द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इन दिनों दूरस्थ जनजाति क्षेत्र के पशुपालकों को राहत देने के लिए गोगुंदा एसडीएम हनुमान सिंह राठौड़, तहसीलदार रवीन्द्र सिंह व पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामवासियों को लंपी बीमारी के बारे में विस्तार से बताते हुए गोवंश को इस बीमारी से बचाने के उपाय व सावधानियों के बारे में बताया। झाड़ोल में एसडीएम नीलम लखारा और गो सेवा समिति के अध्यक्ष कैलाश राजपुरोहित ने ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया और पशुपालकों से गोवंश का हाल जानते हुए सावधानियां बरतने को कहा। अधिकारियों ने क्षेत्र के पशु चिकित्सकों को मुस्तैद रहकर कार्य करने एवं सरकार के स्तर पर दी जा रही सेवाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया।
वरिष्ठ चिकित्साधिकारी वैद्य शोभालाल औदीच्य ने बताया कि बाजरे का आटा, गुड, तेल, अजवाइन, हल्दी, सौंठ, काली मिर्ची, चारोली, सेंधा नमक के सम्मिश्रण से बने हुए यह लड्डू लंपी बीमारी में कमजोर हुई गायों को शारीरिक रूप से मजबूत करने एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए विशेष उपयोगी हैं। उन्होंने बताया कि आहुति सेवा संस्थान के तत्वावधान में डॉ.विक्रम मेनारिया के नेतृत्व में विशेष प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि से युक्त यह लड्डू हिरणमगरी स्थित स्वागत वाटिका में बनाए जा रहे हैं। इस पुनीत कार्य में बुलेट भाई, संपत लाल माहेश्वरी, बद्री सिंह राजपुरोहित, देवेंद्र वरदार आदि सेवाभावी लोगों की टीम लगी हुई है।
घर पर भी बना सकते है आयुर्वेदिक लड्डू:
डॉ. औदीच्य ने बताया कि आमजन अपने घर पर भी यह आयुर्वेदिक लड्डू बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि 1000 औषधीय लड्डू बनाने के लिए 50 किग्रा बाजरे का आटा, 10 लीटर सरसों का तेल, 50 किग्रा गुड़, 5 किग्रा हल्दी, 5 किग्रा धनिया पाउडर, 1 किग्रा सौठ, 4 किग्रा अजवाइन, 2 किग्रा चारोली, 1 किग्रा काली मिर्च पाउडर, 2 किग्रा सैंधा नमक व एक लीटर तुलसी अर्क का उपयोग कर गोसेवा में सहयोग कर सकते है।

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