बाल संरक्षण संकल्प यात्रा का उदयपुर में शुभारम्भ

कलेक्टर ने रथ को दिखाई हरी झंडी, आमुखीकरण कार्यशाला हुई आयोजित
राज्य सरकार बाल अपराधों की रोकथाम निरंतर प्रयासरत -कलेक्टर
उदयपुर।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा बच्चों के लिए सुरक्षित हिंसा मुक्त वातावरण निर्माण करने एवं सशक्त ऊर्जा का संवर्धन करने के लिए ‘बाल संरक्षण संकल्प यात्रा’ अभियान प्रारंभ किया गया है जिसका उदयपुर जिले में शुभारंभ हो गया है।
शुक्रवार को उदयपुर में पूर्व खेल मंत्री मांगीलाल गरासिया, जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा एवं सेव द गर्ल चाइल्ड की ब्रांड एंबेसडर डॉ दिव्यानी कटारा ने बाल संरक्षण संकल्प यात्रा रथ को हरी झंडी दिखा कर एवं आमुखीकरण कार्यशाला आयोजित कर अभियान का जिले में शुभारम्भ किया। इस मौके पर स्कूलों से आई छात्राओं ने बाल संरक्षण को लेकर रैली भी निकाली। बाल संरक्षण संकल्प रथ जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों में जाकर बाल संरक्षण के प्रति आमजन को जागरूक करेगा। इस दौरान विभिन्न सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
बाल संरक्षण संकल्प यात्रा राज्य सरकार द्वारा बाल हिंसा के विरुद्ध शुरू किया गया एक सशक्त अभियान है जिसे राज्य सरकार के बाल अधिकारिता विभाग, पीसीसीआरसीएस एवं यूनिसेफ के सहयोग से प्रदेश के सात जिलों उदयपुर, जयपुर, जोधपुर, अलवर, दौसा, भीलवाड़ा एवं सवाई माधोपुर में संचालित किया जा रहा है। बाल संरक्षण संकल्प यात्रा में सात संकल्प बताए गए हैं। पहला संकल्प बाल हिंसा नहीं करने, दूसरा संकल्प बाल श्रम की रोकथाम करने, तीसरा संकल्प बाल विवाह रोकने, चौथा संकल्प अशिक्षा का बंधन तोड़ने, पांचवा संकल्प भेदभाव नहीं करने, छठा संकल्प बालमित्र व्यवहार अपनाने एवं सातवाँ संकल्प बच्चों के प्रति दुर्व्यवहार का प्रतिकार करने को लेकर है।
बाल संरक्षण संकल्प यात्रा अभियान के तहत बाल लैंगिक हिंसा एवं बाल विवाह से पीड़ित बालक बालिकाओं का आंकलन किया जाएगा। इसके अलावा बाल संरक्षण एवं बाल संरक्षण व्यवस्थाओं पर पंचायती राज जनप्रतिनिधियों एवं सामुदायिक स्तरीय बाल संरक्षण समितियों के सदस्यों को सशक्त बनाया जाएगा। इसके अलावा किशोर किशोरियों को बाल अधिकार सुरक्षा तंत्र के बारे में जागरूक किया जाएगा। अभियान में बालकों के साथ जेंडर एवं सकारात्मक पुरुषार्थ के बारे में जागरूक कर बालिकाओं की सुरक्षा के लिए चेंजमेकर के रूप में तैयार करने का कार्य भी किया जाएगा। अभियान के तहत विषम परिस्थितियों एवं पात्रता रखने वाले परिवारों को चिन्हित करके उन्हें सामाजिक सुरक्षा से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा बाल हिंसा, बाल असुरक्षित परित्याग, बाल विवाह, बाल श्रम एवं बाल हिंसा की रोकथाम के लिए माहौल तैयार करने का कार्य किया जा रहा है। इस अभियान के तहत बाल संरक्षण सेवाओं का प्रचार प्रसार किया जाएगा। अभियान में महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों तथा अन्य उपेक्षित बच्चों को चिन्हित करने एवं विषम परिस्थितियों के बावजूद सामाजिक बुराइयों से लड़कर विशेष पहचान बनाने वाले बच्चों का केस स्टडी भी तैयार की जा रही है। अभियान में बच्चों को कोरोना वैक्सीन के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है।
राजस्थान पहला राज्य है जिसने बच्चों के अधिकारों के मुद्दों को हल करने तथा स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए बाल अधिकारिता विभाग की स्थापना की है। यह एकीकृत तरीके से एक ही छत के नीचे बच्चों के सभी संरक्षण के अधिकारों के उल्लंघन जैसे मुद्दों के निराकरण हेतु एक अच्छी पहल है। इसके अलावा सरकार ने बच्चों के संरक्षण एवं कल्याण हेतु कई आवश्यक कदम उठाए हैं। जिला कलेक्टर ने बाल संरक्षण संकल्प यात्रा की जिला स्तरीय आमुखीकरण कार्यशाला के दौरान शुक्रवार को कई दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बैठक में कहा कि बच्चों के साथ होने वाली हिंसा दूर करना हम सभी की जिम्मेदारी है एवं हम सभी को संकल्प लेना होगा कि हम इसे दूर कर सकें। जिला कलेक्टर ने कार्यशाला के दौरान उन ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को रथ की पूर्व सूचना समय पर देने के निर्देश दिए जहां यह रथ पहुँचने वाला है। कलेक्टर ने बाल संरक्षण के सातों संकल्पों से आमजन को परिचित करवाने के निर्देश दिए।

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