उदयपुर। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में सेक्टर- 14 निवासी स्व. श्रीमती ललिता पुरी गत 8 वर्षों से लीवर व हार्ट की बीमारी से झूझ रही थी, अभी हाल ही उनका देहान्त हो गया| उनके पुत्र विकास पुरी ने बताया कि पिछले 5 वर्षों से जब भी उनकी माताजी की तबियत ज्यादा खराब होती और हॉस्पिटल ले जाना पड़ता था तब हमेशा उन्होंने यही कहा कि उनके देहांत के पश्चात् उनके पार्थिव शरीर का देहदान कर दिया जाए और यही उनकी अंतिम इच्छा भी थी| माताजी का मानना था कि जीते जी तो सब काम आ जाते हैं परन्तु यदि मरने के बाद भी देह काम आ सके और जिससे भावी डॉक्टर्स अनुसन्धान कर सकें और समाज को अच्छे डॉक्टर मिले इसके लिए ये सोच रखना बहुत आवश्यक है और हमारी ज़िम्मेदारी भी|
एनाटोमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रकाश के.जी ने बताया कि स्व. श्रीमती ललिता पुरी ने देहदान की इच्छा को उनके पुत्र द्वारा पूरा किया गया| समाज में इस जागरूकता का आना बहुत आवश्यक है| देहदान प्रक्रिया के समय जीएमसीएच डीन डॉ. डी.सी. कुमावत, एडिशनल प्रिंसिपल डॉ. मनजिंदर कौर, फार्माकोलॉजी प्रोफेसर डॉ. अरविन्द यादव, एनाटोमी विभाग में डॉ. मोनाली सोनवाने, डॉ. चारू, डॉ. हिना शर्मा, डॉ. सानिया के, डॉ. शोभित श्रीवास्तव, एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विधार्थी, गीतांजली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी व देहदान दाता का परिवार मौजूद रहे|
देहदान हेतु दो और रजिस्ट्रेशन उदयपुर निवासी इन्द्रलाल पोरवाल व उनकी पत्नी श्रीमती मंजू पोरवाल का किया गया, उनके द्वारा संकल्प पत्र भरा गया और उन्हें डोनर कार्ड भी प्रदान किया किया गया| हाल ही में 74 वर्षीय शंकरलाल कुमावत व उनकी धर्मपत्नी 67 वर्षीय श्रीमती उषा कुमावत ने भी देहदान हेतु संकल्प पत्र भरा था|
जीएमसीएच के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने गीतांजली हॉस्पिटल के समस्त सदस्यों की ओर से स्व. श्रीमती ललिता पुरी को विनम्र श्रधांजलि दी व उनके परिवार को उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने हेतु शत-शत नमन किया और साथ ही पोरवाल दंपत्ति के संकल्प पत्र भरने के होंसले को सराहा|