हिन्दुस्तान जिंक की सीएसआर पहल जिंक कौशल केंद्र से प्रशिक्षित युवा अब विदेश में भी अवसर पाने में सफल

जिंक कौशल के माध्यम से 8,600 से अधिक ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण जिमनें से 45 प्रतिशत महिलाएं
उदयपुर।
सीएसआर के तहत् हिन्दुस्तान जिंक की प्रमुख कौशल विकास हेतु संचालित पहल, जिंक कौशल केंद्र ग्रामीण युवाओं को ऐसे करियर बनाने में सक्षम बना रही है जो अब देश ही नहीं विदेशों में रोजगार हेतु सफलता पाने में कामयाब हो रहे हैं । यूरोप में क्रूज लाइनर से लेकर खाड़ी देशों में तकनीकी भूमिकाओं तक, दीपिका देवरा और ललित जांगिड़ जैसे उम्मीदवारों ने जिंक कौशल प्रशिक्षण और स्थानीय रोजगार से अपनी यात्रा शुरू की, और अब उन्हें मारेला क्रूज (स्पेन) और एस्टेरिक्स कंपनी (सऊदी अरब) में कार्य करने के वैश्विक अवसर मिले। ये उदाहरण बताते हैं कि शुरुआती कौशल विकास के लिये किये गये हिन्दुस्तान जिंक द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के लिए किस प्रकार भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी अवसर का लाभ उठा सकते हैं। विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर कंपनी ने अपने परिचालन क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित और कुशल बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। अपनी प्रमुख कौशल विकास पहल, जिंक कौशल केंद्र के माध्यम से, हिन्दुस्तान जिं़क ग्रामीण युवाओं को बाजार-प्रासंगिक कौशल प्रदान कर देश भर में उचित रोजगार हेतु सहायता प्रदान कर रहा है। राजस्थान और उत्तराखंड के 6 जिलों में संचलित 7 विशेष प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से, हिन्दुस्तान जिंक युवाओं को रोजगार, उद्यमिता और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर आगे बढ़ा रहा है।


हिन्दुस्तान जिंक के जिंक कौशल केंद्रो से अब तक 8,600 से अधिक ग्रामीण युवक युवतियों प्रशिक्षित किया गया है जिसमें हांस्पिटेलिटी, रिटेल, सिक्योरिटी सौलर, और माइक्रोफाइनेंस जैसे टेªड में लगभग 7250 से अधिक प्रशिक्षु शामिल है। इनमें से कुछ पूर्व छात्र लगातार अपस्किलिंग और ऑन-द-जॉब प्रदर्शन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय करियर में आगे बढ़े हैं।
उदयपुर के पास डबोक की निवासी दीपिका देवड़ा ने हाॅस्पिटेलिटी के क्षेत्र में अपना करियर चुनना तय किया बनाया। उदयपुर के जिंक कौशल केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने आस पास की क्षेत्रीय होटलों में कार्य करना शुरू किया और फिर क्रूज लाइन हाॅस्पिटेलिटी में आगे बढ़ीं। आज, दीपिका स्पेन में मारेला क्रूज में काम कर रही हैं, जहाँ उन्हें प्रति माह 60 हजार से अधिक वेतन मिलता है, साथ ही पूर्ण आवास और अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर भी मिलता है। यह इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण भारत की बेटियों के लिए भी सही प्रशिक्षण के साथ, वैश्विक सपने पूरे हो सकते हैं।
हिन्दुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा ने इस उपलब्धी पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि, हम सिर्फ व्यक्तियों को प्रशिक्षित नहीं कर रहे हैं, हम ग्रामीण भारत के भविष्य को आकार दे रहे हैं। जिंक कौशल केंद्र एक ऐसा मंच बनाने की कल्पना है जो आकांक्षा को पहुंच से जोड़ता है। आज, अपने युवाओं को देश और विदेश में अपने भविष्य को संवारते हुए देखना बेहद संतोषजनक है। प्रत्येक वैश्विक प्लेसमेंट एक विकसित भारत की दिशा में एक कदम है। एक ऐसा भारत जहाँ कोई भी सपना बहुत बड़ा नहीं है और कोई भी गाँव बहुत छोटा नहीं है।
2019 से संचालित जिंक कौशल केंद्र ने हास्पिटेलिटी, रिटेल, सौलर, माइक्रोफाइनेंस और सिक्योरिटी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में लगभग 7250 से अधिक प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षित किया हैं जो कि आज रोजगार और स्वरोजगार से जुडे़ हुए हैं जिसमें टाटा मोटर्स, एसबीआई कार्ड्स, जाइडस हॉस्पिटल्स और रिलायंस रिटेल सहित 500 से अधिक भर्ती भागीदारों का नेटवर्क है। लगभग 45 प्रतिशत प्रशिक्षु महिलाएँ हैं, जिनमें भारत की पहली सभी महिला अनआमर््ड सिक्योरिटी बैच ने 100 प्रतिशत प्लेसमेंट हासिल किया है। कार्यक्रम का समावेशी डिजाइन अलग-अलग दिव्यांग युवाओं को भी सहयोग करता है और उद्यमिता को बढ़ावा देता है, जबकि आत्मनिर्भर भारत और विकसित राजस्थान जैसे राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के साथ भी संरेखित होता है।
अजमेर के निकट ग्राम के निवासी ललित जांगिड़ ने बेहतर अवसरों की तलाश में जिंक कौशल, कायड़ में असिस्टेंट इलेक्ट्रीशियन पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। उन्होंने भीवाड़ी में मदरसन सूमी में शुरुआत की और अब सऊदी अरब में एस्टेरिक्स कंपनी में तकनीशियन पद पर कार्यरत है, जहाँ उन्हें 50 हजार रूपये प्रतिमाह मिलते हैं। ललित की सफलता एक और प्रमाण है कि सही कौशल और सहायता प्रणाली यहां तक कि सबसे अप्रत्याशित स्थानों से भी वैश्विक करियर शुरू कर सकती हैं।
जिंक कौशल केंद्र ग्रामीण परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक के रूप में संचालित है, जिससे उन युवाओं को पहुंच, अवसर और सलाह मिलती है जो अक्सर रोज़गार से वंचित रह जाते हैं। रोजगार क्षमता, उद्यमशीलता की भावना और आत्मविश्वास को बढ़ावा देकर, जिंक कौशल केंद्र न केवल व्यक्तियों को ऊपर उठने में मदद कर रहा है, बल्कि इस प्रक्रिया में पूरे समुदायों को भी ऊपर उठा रहा है।
अपने व्यापक सामाजिक प्रभाव और सामुदायिक विकास प्रतिबद्धताओं के हिस्से के रूप में, हिन्दुस्तान जिंक़ की पहलों ने वित्त वर्ष 2025 में 2,300 गाँवों में 23 लाख से अधिक लोगों तक पहुँच बनाई है। कंपनी ने 2,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लगभग 27,000 महिलाओं को सशक्त बनाया है, शिक्षा संबल और ऊंची उड़ान जैसे शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से सालाना 2 लाख छात्रों को सक्षम बनाती है, और अपनी समाधान पहल के तहत 35,000 से अधिक किसान परिवारों को सहयोग किया है। ये प्रयास शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, कृषि, स्वास्थ्य सेवा और आजीविका के विषयगत क्षेत्रों में समावेशी, दीर्घकालिक और सतत विकास के लिए हिन्दुस्तान जिं़क की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

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