देश विदेश के ढाई हजार से अधिक फिजियोथेरेपिस्ट एक्सपर्ट ने लिया भाग
महिलाए हमेशा से आगे रही और रहेगी – लक्ष्यराज सिंह मेवाड़
शिक्षा, समाजिक परिवर्तन एवं पुनर्गठन का सशक्त माध्यम – प्रो. सारंगदेवोत
कोविड ने बदली दर्द, दवा और उपचार की दुनिया – डॉ. झा
उदयपुर : वैश्विक महामारी कोरोना काल के दौरान कोविड के रोगियों को आने वाली परेशानियों तथा फिजिकल फिटनेस पूर्ण नहीं होने के कारण मृत्यु दर के बढ़ने के विषय को लेकर आयोजित जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक फिजियोथेरेपी चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से शनिवार को प्रतापनगर स्थिति आईटी सभागार में आयोजित चौथी दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस वर्ल्ड फिजियोथेरेपी कांग्रेस का शुभारंभ मुख्य अतिथि लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपी के अध्यक्ष डॉ. संजीव झा, कोषाध्यक्ष डॉ. रूचि वाष्णेय, समाजसेवी भीमसिंह चुण्डावत, नागालैंड विवि के रजिस्ट्रार डॉ. सीके सेथिल कुमार, गुजरात फिजियोथेरेपी कौन्सिल की अध्यक्ष डॉ. यगना शुक्ला, कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जलित कर किया। कान्फ्रेस में देश विदेश के 2500 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे है जो आपस में अनुभव को साझा करेंगे।
मुख्य अतिथि लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने कहा कि नारी सशक्तिकरण के साथ साथ देश प्रदेश के निर्माण एवं उन्नति के पथ को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षित होना आवश्यक है। शिक्षा के साथ साथ युवा पीढ़ी का आव्हान करते हुए कहा कि सोशल मीडिया से प्रभावित हुए बिना सादगी और संस्कार का दामन थामे रखने की बात कही, यही वो तरीका है जो हमें हमारी मिटट्ी से जोडे रखता है। वर्तमान में महिलाओं को पुरूषों के साथ समानता की एक अजीब सी जद्दोजहद चल रही है, लेकिन जो नारी स्वयं शक्ति, सरस्वती और लक्ष्मी स्वरूपा है जो स्वयं सर्वश्रेष्ठ और सर्पोपरि है उसे हम कैसे बराबरी का दर्जा दे पाएगे। नारी को प्रकृति ने हमारे संस्कारों और संस्कृति ने पहले ही सर्वोच्च पद पर आसीन किया है आवश्यकता तो बस इस बात की है कि हमें अपनी मानसिकता को दृढ बनाकर प्रकृति प्रदत्त उनके गुणों व शक्तियों से पूरी निवम्रता से स्वीकार करने की।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि शिक्षा, समाजिक परिवर्तन एवं पुनर्गठन का सशक्त माध्यम है। चाहे वो चिकित्सकीय शिक्षा हो या सामाजिक परिवर्तन अवश्य लाती है। फिजियोथेरेपी ने वैश्विक महामारी कोविड के दौरान रोगियों को होने वाली परेशानियों, जटिलताओं, संक्रमण को प्रभावी तरीके से दूर करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में किये जा रहे अनुसंधान कार्य व उससे प्राप्त निष्कर्ष न केवल फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में व्यापकता बढ रही है अपितु इसकी विश्वसनीयता को और अधिक मजबूत कर रहे है। इसी का परिणाम है कि चुनौती बने स्वास्थ्य समस्याए व स्वास्थ सेवाओ को इस विद्या से बेहतर तरीके से सुधारा जा रहा है। नवीनतम फिजियोथेरेपी तकनीकों के उपयोग के साथ दैनिक जीवन में योग प्राणायाम व अन्य व्यायामों द्वारा हम हमारे जीवन को बेहतर स्वस्थ रख सकते हैं।
इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपी के अध्यक्ष डॉ. संजीव झा ने कहा कि चिकित्सा की एक ऐसी विद्या जो बीमारी नहीं होने, किसी प्रकार का कोई साईड इफेक्ट नहीं हो तो उसके प्रति विश्वास और जुड़ाव दोनों ही बढ जाते हैं यही बदलाव फिजियोथेरेपी के प्रति देखने में आया है। कार्डियों रेस्पीरेट्री , कार्डियों वेस्कुलर और लंग्स हेल्थ के प्रति आई जबरदस्त जागरूकता में फिजियोथेरेपी की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद से लोगों में होने वाले मांसपेशियों , लिगामेंट और बेक पेन के पैटर्न में बदलाव देख जा रहा है। दर्द ओर दर्द के कारणों में अत्यंत असमानता देखने में आई है। ऐसी स्थिति में फिजियोथेरेपी से ही मरीजों को राहत मिल रही है। कार्डियों वेस्कुलर फिटनेस पर भी ध्यान अधिक दिया जा रहा है क्योकि कोविड नहीं हुआ लेकिन फेफडों के स्वास्थ में परिवर्तन देख जा रहा हैं झा ने फिजियोथैरेपी में आए एडवांसमेंट पर कहा कि मेनुअल थैरेपी , मसल एनर्जी टेकनीक, न्यूरो मोबाइलेशन, मायोफेशियल रिलिज ऐसी तकनीक जो अनुसंधान और इसके वैज्ञानिक प्रभावों के कारण इन दिनों प्रचलन में आ रही है जिससे आने वाले समय में भारत में बेहतरीन फिजियोथैरेपी सुविधाए आमजन तक पहुंच पाएगी।
देश विदेश से आये फिजियोथेरेपिस्ट डाक्टर्स ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने फिजियोथेरेपी में स्वतंत्र प्रेक्टिस को लेकर चल रहे लम्बे संघर्ष बाद लोकसभा में स्वतंत्र फिजियोथेरेपी काउन्सिल का बिल पास किया जिसके बाद से फिजियोथेरेपी स्वयं बीमारी व्यक्ति का इलाज कर सकंेगे, इससे पूर्व रेफर्ड प्रेक्टिशनर की तरह ही का कर पाते थे।
आयोजन सचिव डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने बताया कि कान्फ्रेंस में गुजरात, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब , महाराष्ट्र, उडीसा, केरल, इंगलेण्ड, ओमान, साउदी अरब, श्रीलंका, अफ्रीका सहित देश विदेश के 1500 से अधिक प्रतिभागियोें ने भाग लिया। समारेाह में दो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पुस्तक फिजियोथेरेपी मैनेजमेंट ऑफ कार्डियों रेस्पीरेटरी डिस आर्डर एवं मस्कुलर स्केलेटल डिसआर्डर का विमोचन किया गया। संगोष्ठी में काया पद्माकुमारा फाउण्डेशन बाली इंडोनेशिया तथा आरके विवि राजकोट के साथ संस्थान की ओर से रिसर्च को बढावा देने व फेकल्टी एक्सचेंज के तहत एमओयू किया गया। मेहता ने बताया कि शनिवार को बारह सत्रों में लगभग 160 रिसर्च पत्रों का वाचन किया गया। इंग्लैड से डॉ. जेम्स आईकनबर्ग एम.डी. ओस्टीयोपेथी विद्या से विधर्थियों को मेनुपुंलेशन , ओमान के डॉ. शय्यद वारिश, बेलेन्स संतुलन हेतु वेस्टीबूल बेलेंस की तकनीक से प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया।
संचालन डॉ. प्रज्ञा भटट् ने किया जबकि आभार डॉ. सुमीता ग्रोवर ने जताया।
डॉ. मेहता ने बताया कि बाहर से आये प्रतिभागियों की अन्तर महाविद्यालय सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयेाजन किया गया जिसमें गुजराती, मराठी, राजस्थानी, हिन्दी व पंजाबी रिमिक्स गानों पर जमकर अपनी प्रस्तुतियॉ दी।