नए ओलंपिक संघ को मान्यता देना खिलाडिय़ों के हितों के विपरीत

दोनों एसोसिएशनों को साथ लेकर आईओए निकाले साझा समाधान

उदयपुर। आज हम एक ऐसे अहम मुद्दे पर बात करना चाहते हैं जिससे खिलाडिय़ों के हितों का नुकसान हो रहा है। विवाद तो उपर के स्तर पर होता है लेकिन उसका खामियाजा लगातार मेहनत कर रहे खिलाडिय़ों को होता है। यह बात उदयपुर पूर्व राजस्थान बेडमिंटन के अध्यक्ष एवं ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर बक्शी ने शनिवार को प्रेसवार्ता में कही। इस अवसर पर सेक्रेटरी हेमराज सोनवाल, कोषाध्यक्ष आर. के धाभाई भी उपस्थित थे।
अध्यक्ष सुधीर बक्षी ने बताया कि आपको बताना चाहेंगे कि स्व. जनार्दनसिंहजी गहलोत के स्वर्गवास के बाद यह स्थिति पैदा हुई जिसमें राजस्थान ओलिंपिक एसोसिएशन में एक नई एसोसिएशन बना दी गई। उसी दौर में गहलोतजी के साथ जो पिछले 20 से 30 वर्षों से साथ थे, उन लोगों ने काफी समझाने की कोशिश की लेकिन कुछ लोग नहीं माने और उन लोगों ने दूसरी नई एसोसिएशन बना ली। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने प्रमाण पत्र दिया जिसका तात्पर्य यह रहा कि आप ही राजस्थान में ओलंपिक एसोसिएशन के कार्य को देखते हुए उनका प्रतिनिधित्व करेंगे। इसके पक्ष में राम अवतार जाखड़, अनिल व्यास ने भारतीय ओलंपिक संघ के पर्यवेक्षक के रूप में पूर्ण कानूनी तरीके से चुनाव करवाया जिसकी एफआईआर मान्यता भारतीय ओलंपिक संघ ने प्रदान की। भारतीय ओलंपिक संघ की वेबसाइट पर नाम दर्ज किया कि राजस्थान ओलंपिक एसोसिएशन के जाखड़ सचिव हैं और अनिल व्यास अध्यक्ष हैं।
सेक्रेटरी हेमराज सोनवाल ने बताया कि साल खेलो इंडिया में और नेशनल गेम्स की टीम में रामअवतार और अनिल व्यास की ओलंपिक एसोसिएशन की बनाई टीम खेली थी व उसमें भी कोई भेदभाव नहीं किया गया। सभी को शामिल करते हुए टीमों को भेजा गया था। इसका मतलब यह था कि भारतीय ओलंपिक संघ ने पूर्ण रूप से अनिल व्यास को अध्यक्ष और रामावतार जाखड़ को सचिव बनाया। उन्हें एसोसिएशन को पूरा एफिलिएशन दे दिया था, मान्यता दे दी थी।
लेकिन कुछ दिन पहले इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने फिर एक बार अनिल व्यास वाली ओलंपिक संघ एसोसिएशन की बजाए अध्यक्ष तेजस्वीसिंह गहलोत और महासचिव सुरेंद्रसिंह गुर्जर वाली एसोसिएशन को मान्यता दे दी व वेबसाइट पर अनिल व्यास और रामअवतार जाखड़ की जगह उनका नाम दर्ज कर दिया गया। जिस एसोसिएशन का विधिवत खुद इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने चुनाव कराया उसी की वैधानिक खत्म करते हुए दूसरे गुट को अधिकार देना खेलों के सितारे गर्दिश में लाना और खेलों में एक डर भावना पैदा करने जैसा कदम है। यह समझ से परे है।
हमारा अपना मनाना है कि अगर भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन एक साथ मिलकर अच्छा प्रदर्शन करे, आपसी सामंजस्य से काम करे व खेलों को प्राथमिकता में सर्वोपरि रखें तो उचित होगा। ओलंपिक संघ अगर दोनों संघों में समझौता कराते हुए साझा प्रयासों के साथ काम करे तो वह ज्यादा बेहतर होगा। बजाय इसके कि मान्यताओं को बदलते हुए कभी इसे तो कभी उसे मान्यता प्रदान करे। इससे जो बच्चे खेल रहे हैं उनक भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं होगा।
कोषाध्यक्ष आर. के धाभाई ने बताया कि जो कुछ अभी घटित हुआ है यह भी कानून के विरूद्ध है क्योंकि जो दूसरे गुट के हैं वे अध्यक्ष पद पर आसीन हुए तो हैं लेकिन वे किसी भी खेल संघ के पद पर नहीं हैं जो न्यूनतम एक अर्हता है। इस पर नियम है कि राज्य एसोसिएशन में किसी पद पर होना चाहिए। यह भी है कि जो नॉन ओलिंपिक खेल है जो ओलिंपिक खेल में लिस्ट नहीं है उनके भी कई लोग पदाधिकारी बने हुए हैं। वहां भी वैध नहीं है। मेरा अपना विचार है कि दोनों संघों को एक साथ बिठाकर भारतीय ओलंपिक संघ को खेलहित में मध्यस्थता करते हुए कोई एक रास्ता अवश्य निकालना चाहिए। राजस्थान में खेलों की स्थिति वैसी ही खराब है। हम किसी भी उपलब्धि या पदक के मामले में हमेशा पीछे के नंबर पर आते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत कमी है जो खिलाडिय़ों को आगे आने में एक बहुत बड़ी रूकावट है। हम यही अनुरोध करते हैं कि दोनों गुटों को बिठाकर इसका कोई उचित समाधान राजस्थान के खेलों के हित में निकाला जाए नहीं तो इसका न्याय कोर्ट में होगा।
सुधीर बक्षी ने कहा कि उदयपुर में इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी काम हो रहा है लेकिन इसमें ज्यादा काम करने की आवश्यकता है। यूआईटी कमीश्नर ने काफी कुछ काम किया है। विशेषकर गुलाबचंदजी कटारिया की दूरदृष्टि से पूरा खेलगांव बना जिसमें अभी मल्टीपर्पज हॉल बना है वह राजस्थान का सबसे खूबसूरत हॉल है लेकिन उसमें बहुत काम बाकी है। अत: हमारा सरकार से अनुरोध है कि इसके लिए फंड जारी कर इसका विकास किया जाए।
सुधीर बक्षी ने कहा कि गांधी ग्रांउड में भी नगर निगम, यूआईटी कमीश्नर और गुलाबजी के सहयोग से काफी काम हुए हैं। अभी बहुत काम रूके हुए हैं उन्हें कराया जाए ताकि खिलाडिय़ों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।

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