‘डिजिटल-फास्ट’ एक नाट्य संदेश का मंचन

उदयपुर। घर-घर में विशेष कर बच्चों में बढ़ते डिजिटल डिवाइसेज के अति उपयोग से किस तरह परिवार उपेक्षित होता है, विशेष कर घर के बड़े-बूढ़े, इसे जल मित्र डॉ. पी सी जैन द्वारा रचित लघु नाटिका ‘दादी मर गई’ में दर्शाया गया है। नाटिका का मंचन पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, उमरडा के प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं द्वारा किया गया। नाटिका में पोते-पोती अपनी दादी को अपने घर बुलाते हैं। दादी के आने पर वे उनका स्वागत करते हैं और दादी को सोफे पर बीच में बिठाकर दोनों तरफ अपना लैपटॉप और टैबलेट लेकर बैठ जाते हैं। वे दादी से बात नहीं करते थोड़ी देर बाद दादी को छाती में दर्द होता है। वह बोल नहीं पाती और अपने हाथ हिला-हिला कर उनका अपनी और ध्यान आकर्षित करती है परंतु वे दोनों अपने-अपने डिजिटल डिवाइसेज में इतने तल्लीन होते हैं कि दादी की ओर ध्यान नहीं देते हैं।
दादी बिना बोले ही मर जाती है। यह सब पता लगता है बहू के अंदर आने पर। तब तक पोते-पोती को भी पता चलता कि उनकी दादी अब इस दुनिया में नहीं रही। उनकी मम्मी उन्हें  डांटती है। इस पर पोते-पोती रोने लगते हैं। उन्हें बहुत पछतावा होता है कि हमने दादी के इशारों को नहीं समझा। टैबलेट और मोबाइल में लगे रहे और दादी को हमेशा के लिए खो दिया। सभी रोने लगते हैं। तभी ये बच्चे संकल्प लेते हैं कि ‘दादी आज हम संकल्प लेते हैं कि हम जीवन भर नित्य 1 घंटे का डिजिटल- फास्ट करेंगे और जब भी कोई घर में आएगा तो डिजिटल डिवाइसेज का उपयोग नहीं करेंगे।
इस अवसर पर जल मित्र डॉ. पीसी जैन ने अपनी पीपीटी के माध्यम से नव आगंतुक विद्यार्थियों को विशेष कर सिगरेट और शराब से होने वाली मौतों की सच्ची घटनाओं और उनके दुष्प्रभाव को बताया। इसके बाद नशा-नृत्य ‘आजा रे तू मेरे घर को खा जा रे बदनाम ना हो यह नशा’ गीत के साथ नृत्य किया। कार्यक्रम के दूसरे भाग में जल संरक्षण पर उन्होंने वर्चुअल वाटर (अदृश्य-जल) किस तरह हमारे दैनिक उपयोग की वस्तुओं गेहूं, चावल, जींस, साड़ी, पेपर, टी-शर्ट को बनाने में उपयोग में आता है इसकी जानकारी देते हुए कहा कि जल जैसे संसाधनों का इस तरह हम दुरुपयोग करते रहे तो एक दिन हमें बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा। 1 किलो गेहूं बनाने में 2000 लीटर, चावल बनाने में 5000 लीटर और जींस की पेंट बनाने में 7000 लीटर पानी खर्च होता है। कई बार हम पानी झूठा छोड़ते हैं तो कई हजार लीटर अदृश्य जल व्यर्थ करते हैं। डॉ. जैन ने पीने के पानी में कितना टीडीएस होना चाहिए इसे टीडीएस मीटर से जांच कर सभी को बताया। आरओ का उपयोग कब करना चाहिए और कब नहीं करना चाहिए इसकी जानकारी दी। अपनी दिनचर्या ऐसे बनाएं कि अधिक से अधिक जल बचा सके। वर्षाकाल में घरों पर गिरने वाले वर्षा जल को घर स्थित भूजल का दोहन करने वाले ट्यूबवेल, हैंडपंप को सस्ते सरल फिल्टर के माध्यम से कैसे रिचार्ज करें ताकि भूमि जल समाप्त न हो और आने वाली पीढ़ी को सदैव पानी मिलता रहे।
कार्यक्रम में वेदिका, हर्षिता, श्रेया, आर्यन, जपेश, मोहम्मद, नेहा, जिया, निशा ने अभिनय किया। संचालन डॉ. आशीष शर्मा ने किया। पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज के प्रधानाचार्य डॉ. सुरेश गोयल ने डॉ. पीसी जैन का स्वागत किया और उनके नशा मुक्ति, जल संरक्षण एवं डिजिटल फास्ट एक नाट्य संदेश की सराहना की। इस अवसर पर डॉ. दिलीपकुमार पारीक, डॉ. प्रणव कुमार, डॉ. वर्षा, डॉ. रामप्रकाश सैनी सहित अन्य आचार्य और विद्यार्थी उपस्थित थे। 

Related posts:

हिन्दुस्तान जिंक द्वारा 4 लाख से अधिक घरों को बिजली देने के बराबर जीएजी उत्सर्जन की बचत

युवा रक्तदान के प्रति जन-जन को जागरुक कर इस पुनीत पहल को गति प्रदान कर मानव कल्याण का कार्य करें : ड...

दिन दहाड़े वृद्धा के गले से लूटी दो तोले की चैन

सांसद डॉ रावत के प्रयास लाए रंग

Dr. M.P. Tyagi Assistant professor at PIMS Hospital Umarda, Creates History in udaipur

TRANSFORMING FARMING WITH MODERN TECHNOLOGY – HINDUSTAN ZINC’S SAMADHAN PROJECT

सिटी पैलेस में मेवाड़ पेंटिंग्स पर न्यूयॉर्क की मरीना रूइज़ का विशेष व्याख्यान

नारायण सेवा संस्थान देशभर में दिव्यांग सेवा को नई ऊंचाइयां देगा : कैलाश ‘मानव’

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के संरक्षक सदस्य मनोनीत

संगीत के रंग, सुरों की महफिल : ‘भट्ट म्यूजिक विरासत’ में बिखरा ऑल टाइम सुपरहिट सुरों का जादू

Hindustan Zinc making Udaipur a greener city

उदयपुर पुलिस ने हवाला की डेढ़ करोड़ की राशि जब्त की