उदयपुर जिले में निर्विरोध चुनाव जीतने का युग समाप्त

-डॉ. तुक्तक भानावत-

मेवाड़ में ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति पाने के लिए चेतना की चिंगारी तो देश के दूसरे हिस्सों के साथ ही फैली परन्तु 1947 में देश की स्वतंत्रता के बाद लोकतांत्रित अधिकारों को प्राप्त करने तथा उनका उपयोग करने की समझ मेवाड़ की जनता में कुछ देरी से आई। आदिवासी बहुल मेवाड़ में शिक्षा की कमी, आर्थिक व सामाजिक पिछड़ापन एवं राजनीतिक जागरूकता का अभाव होने के कारण आजादी के बाद प्रदेश में हुए पहले विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत मात्र 27.4 प्रतिशत ही रहा। यही नहीं, जिले से दो विधायक निर्विरोध भी चुने गये।
उदयपुर जिले की सामान्य विधानसभा क्षेत्र सायरा से कांग्रेस के दीनबन्धु तथा सराड़ा-सलूम्बर सामान्य सीट से कांग्रेस के ही लक्ष्मण भील ने 1952 के पहले चुनाव में निर्विरोध चुनाव जीत कर विधानसभा तक का सफर तय किया। प्रदेश के पहले आम चुनाव होने के कारण आम नागरिकों को इसके बारे में यह ज्ञान नहीं था कि वोट देने या नहीं देने से क्या फर्क पड़ता है। अनेक लोग तो यहां तक कहते थे कि वोट देने से क्या लाभ मिलेगा। उनको विधानसभा का महत्व ही पता नहीं था। इसी कारण पहले आम चुनाव 1952 में जिले से दो विधायक निर्विरोध चुन कर विधानसभा पहुंचे।
जिले से पहले विधानसभा चुनाव 1952 में खमनोर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार श्योदान सिंह विजयी रहे। उस समय जनता को सत्तापक्ष और विपक्ष की भूमिका क्या होती है, इसका पूर्ण ज्ञान नहीं था। अन्यथा प्रथम चुनाव में ही निर्दलीय प्रत्याशी को विधायक नहीं चुना जाता। निर्दलीय प्रत्याशी श्योदान सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार नंदलाल को एक हजार 840 मतों से हराया था। इसी तरह 1957 के विधानसभा चुनाव में भीम विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार फतह सिंह ने कांग्रेस की लोकप्रिय उम्मीदवार लक्ष्मीकुमारी चूण्डावत को दो हजार 444 मतों से पराजित किया।
उदयपुर जिले की मावली विधानसभा सीट से 1972 के चुनाव में मेवाड़ के लोकप्रिय नेता निरंजननाथ आचार्य ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के सुन्दरलाल चेचाणी को 25 हजार 427 मतों से मात दी थी जो अपनेआप में रिकार्ड था। आचार्य जनता से सम्पर्क करने की अपनी शैली के कारण इतने अधिक मतों से गैर कांग्रेसी टिकट पर विजयी हुए। उस जमाने में कांग्रेस के अलावा नागरिक दूसरे किसी दल को पसंद नहीं करते थे। आचार्य ग्रामीणों के यहां बिना बुलाये शादी, समारोह, मौत-मरण, देवरों की परसादी में आम जनता के साथ जाजम पर बैठकर उनके सुख-दुख में साथ रहते थे। सम्पर्क की इसी शैली को आज अधिकांश राजनीतिक नेताओं ने अपना लिया है।  
छठे विधानसभा चुनाव 1977 में मेवाड़ भी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता नजर आया। इंदिरा विरोधी लहर के कारण जिले की सभी 14 विधानसभा सीटों पर जनतापार्टी का कब्जा हो गया। यह चुनाव दर्शाता है कि मेवाड़ की जनता भी देश की राजनैतिक परिस्थितियों से अछूती नहीं है। सत्तर के दशक के आते-आते अपना जनप्रतिनिधि कैसा हो इसकी आम वोटर को समझ आ गई। सन्ï 1985 के चुनाव में खैरवाड़ा से कांग्रेस ने अपने जुझारू नेता दयाराम परमार को टिकट नहीं दिया। परिणाम स्वरूप परमार ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और कांग्रेस के प्रत्याशी रूपलाल को हराया। यह जनता में उनके द्वारा किये गये कामों की परिणीति थी। आठवें विधानसभा चुनाव 1985 के बाद वर्ष 2013 में वल्लभनगर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रणधीरसिंह भीण्डर कांग्रेस के गजेन्द्रसिंह शक्तावत को 13167 मतों से पराजित कर विधानसभा में पहुंचे।
उदयपुर जिले की जनता अब इतनी परिपक्व हो चुकी हैं कि वह सत्ता व विपक्ष की भूमिका को समझने लगी हैं। आजादी के पचहत्तर साल बाद आज हम कह सकते हैं कि जिले में जनतंत्र मजबूत हो रहा है। वोटर अपने वोट का महत्व समझने लगा है।

Related posts:

HDFC Bank Limited FINANCIAL RESULTS (INDIAN GAAP) FOR THE QUARTER AND NINE MONTHS ENDED DECEMBER 31...

पिम्स अस्पताल उमरड़ा और 185 सैन्य अस्पताल उदयपुर में एमओयू

HDFC Bank inaugurates 60 Banking Outlets pan-India, run by VLE’s across RBI notified Unbanked Rural ...

नि:शुल्क मोबाइल रिपेयरिंग प्रशिक्षण का समापन

मुख्यमंत्री ने किया राज्य स्तरीय कला महोत्सव का शुभारंभ

लेखांकन एवं व्यवसायिक सांख्यिकी विभाग के शोधछात्र पूर्वोत्तर विश्वविद्यालयों के साथ शोध विनिमय पर

श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित करने का कड़ा विरोध

प्रॉम्प्ट ग्रुप ने दुध को तुरंत ठंडा करने में उपयोगी आधुनिक सोलर मिल्कोचिल का अनावरण किया

पिम्स में मरीज के फेंफड़े में हरी फफूंद का सफल इलाज

गीतांजली डे़न्टल एण्ड़ रिसर्च इंस्ट्टियूट में ओरियनटेशन कार्यक्रम का आयोजन

बर्गर का दीवाना है उदयपुर: हाउ इंडिया स्विगीड 2023 ट्रेंड्स में आलू टिक्की बर्गर और स्पेशल थाली ने म...

कोरोना से जंग-सेवा के संग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *