भारत की अर्थव्यवस्था के विकास के लिऐ किसान की समृद्धि आवश्यक –  कृषि मंत्री तोमर 

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर ने किया कृषि विज्ञान केन्द्र वल्लभनगर के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण

उदयपुर : बहुत ही गर्व एवं सम्मान का विषय है कि देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में हमारे किसान भाइयों की महती भूमिका रही है। हमारा देश कृषि प्रधान देश रहा है और कोविड विपदा के समय किसानों ने अपनी मेहनत और लगन से देश को संभाल कर यह सिद्ध भी किया है। देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए हमारे किसान भाइयों की समृद्धि एवं गांव में खुशहाली जरूरी है, इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने किसान विकास के लिए अनेकों योजनाएं प्रारंभ की है जिनका लाभ धरातल पर महसूस किया जा सकता है। यह उद्गार मुख्य अतिथि नरेंद्रसिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने सियाखेड़ी, वल्लभनगर में कृषि विज्ञान केंद्र के नवनिर्मित भवन के लोकार्पण के अवसर पर किसान सभा को संबोधित करते हुए कहे।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना के द्वारा हर जरूरतमंद किसान के खाते में सीधे 6000 पहुंचाएं हैं। इस योजना के तहत सरकार 2,20,000 करोड रुपए खर्च कर रही है। उन्होंने बताया कि 2014 से पूर्व देश का कृषि बजट मात्र 22,000 करोड रुपए था जो आज 132,000 करोड रुपए प्रति वर्ष है इसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत सरकार किसान कल्याण के लिए  प्रतिबद्ध है और इस क्षेत्र के विकास में बड़ी राशि खर्च कर रही है। उन्होंने क्षेत्र के किसानों एवं विश्वविद्यालय प्रशासन को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत वल्लभनगर का यह कृषि विज्ञान केंद्र इस नवनिर्मित भवन की सुविधा, नवीन संसाधनों एवं नए नए कृषि ज्ञान  के माध्यम  से क्षेत्र के किसानों और  ग्रामीण समृद्धि का साक्षी बनेगा। उन्होने बताया कि भारत सरकार 713 कृषि विज्ञान केंद्रों, 74 कृषि विश्वविद्यालयों, तीन केंद्रीय विश्वविद्यालयों और 100 से अधिक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अग्रणी संस्थानों के माध्यम से देश के कृषि विकास, कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार में अपना योगदान दे रही है। केंद्र सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास एवं कृषि विकास के विभिन्न आयामों के मध्य गैप को भरने के लिए 100000 का इंफ्रास्ट्रक्चर फंड भी बनाया है सरकार ने पशुपालन के लिए 15000 करोड रुपए,  मछली पालन के लिए 20000 करोड़ और हर्बल खेती के लिए 4000 करोड रुपए का प्रावधान विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किया है

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा की देश के कृषि विज्ञान केंद्र आत्मनिर्भर भारत बनाने एवं किसान समृद्धि के मुख्य केंद्र बिंदु हैं । किसानों को आय और उत्पादन को बढ़ाने हेतु कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से प्रयोगशालाओं में विकसित नई कृषि तकनीकों एवं उन्नत कृषि बीजों को किसान तक पहुंचाने एवं उनकी समस्याओं के समाधान में कृषि विज्ञान केंद्रों की महती भूमिका है। डिजिटल टेक्नोलॉजी, ड्रोन तकनीक की उपयोगिता को देखते हुऐ नवीनतम तकनीक किसानों को उपलब्ध करवाई जा रही है। 

 इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि चित्तौड़गढ़ सांसद सी पी जोशी ने आशा व्यक्त की कि वल्लभनगर का यह कृषि विज्ञान केंद्र पशुपालन के क्षेत्र में एक मॉडल केवीके बनने की क्षमता रखता है अतः इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने इस अवसर पर चित्तौड़ के प्रगतिशील कृषक अरविंद का उल्लेख किया और उन्हें अतिथियों ने उन्हें सम्मानित भी किया। कृषि विज्ञान केंद्र वल्लभनगर के लोकार्पण हेतु दिल्ली से आने पर उन्होंने कृषि मंत्री एवं कृषि राज्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोध्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीतकुमार कर्नाटक ने बताया कि भारत सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्रसंघ ने इस वर्ष को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है जिसके तहत देश में विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों एवं कृषि अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से मोटे अनाज को एवं उसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं एमपीयूएटी की भी स्नेह एवं भूमिका है एवं हमने वर्षभर इसके विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम तैयार किए हैं। इस अवसर पर पोषक अनाज पर एक विशेष कैलेंडर का भी विमोचन अतिथियों ने किया। कुलपति ने बताया कि एमपीयूएटी राजस्थान के विभिन्न जिलों में 8 कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से कृषि विकास में संलग्न है हमारा विश्वविद्यालय प्रदेश के 28 राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान रखता है जिसके लिए हमें कुलाधिपति सम्मान से भी नवाजा गया है। उन्होंने बताया कि एमपीयूएटी ने विगत वर्षों में आईसीएआर रैंकिंग में भी 15 वां स्थान हासिल किया है। हमारे विश्वविद्यालय में डिजिटल टेक्नोलॉजी, जैविक खेती,  नवीन तकनीकी वी आर ए आर और रोटी तथा रियल टाइम फाइल डाटा मॉनिटरिंग जैसे नवाचार कृषि में किए हैं जिसके लिऐ हमारे वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं। उन्होने बताया कि भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा उपलब्ध करायी गयी रू. 143.00  लाख की राशि से कृषि विज्ञान केंद्र का नया भवन तैयार किया गया है। इसी वर्ष परिषद् ने इस केन्द्र पर किसानों के ठहरने के लिये एक किसानघर निर्मित करने हेतु रू. 41.00 लाख और आवंटित किये हैं। जिससे किसान घर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 

प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर. ए. कौशिक ने बताया कि इस कृषि विज्ञान केन्द्र के पास लगभग 33 हेक्टेयर भूमि है। यह कृषि विज्ञान केन्द्र खेती व्यवसाय को रोजगारोन्मुखी एवं आर्थिक रूप से लाभकारी एवं सम्बल प्रदान करने वाले व्यवसाय के रूप में विकसित करने में अपना अहम योगदान दे रहा है। नए भवन के निर्माण से यह केंद्र उदयपुर जिले में खुशहाली और किसानों की प्रगति को नये आयाम देने में सक्षम होगा।

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में एक विशाल कृषि प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया जिसमें विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्र एमपीयूएटी के संबद्ध महाविद्यालयों एवं अनुसंधान केंद्रों द्वारा नवीनतम कृषि तकनीको एवं प्रसंस्कृत उत्पादों, उन्नत पशुओं एवं प्रजातियां तथा पोषक अनाज के उत्पादन तकनीकों विभिन्न कृषि यंत्रों इत्यादि की प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसका क्षेत्र के किसानों ने बहुत ही ध्यान से अवलोकन भी किया।

केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी डॉ. आर. एल. सोनी ने बताया की कार्यक्रम को डॉ. उधमसिंह गौतम, उप-महानिदेशक (कृषि प्रसार) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली ने भी विशिष्ठ अतिथि के रुप में संबोधित लिया। इस अवसर पर डॉ. एस.के. सिंह, निदेशक, अटारी जोधपुर, स्वामी अभय दास जी, हिम्मतसिंह झाला, डॉ. बी. आर. चौधरी, डलीचांद डांगी, प्रधान वल्लभनगर, विश्वविध्यालय के प्रबंध मंडल सदस्य, वरिष्ट अधिकारी, निदेशक, अधिष्ठता, कृषि वैज्ञानिक एवं किसान भाइयों एवं बहनों की गरिमामय उपस्थिति रहेगीl पंडाल में भी लगभग 2500 कृषक एवं अतिथी उपस्थिति थे। इस अवसर पर राजस्थान खेती प्रताप के जनवरी अंक,  विभिन्न फोल्डर्स का विमोचन भी अतिथियों ने किया।

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