योग केवल आंतरिक पूर्णता ही नहीं अपितु पंच तत्वों के संतुलन की क्रिया भी :  प्रो. सारंगदेवोत

उदयपुर : 10वें विश्व योग दिवस पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से प्रतापनगर नगर परिसर में आयोजित योग शिविर का शुभारंभ रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, स्पोटर््स बोर्ड सचिव डॉ. भवानीपाल सिंह राठौड़, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, प्रो. एस.एस. चौधरी, डॉ. एसबी नागर ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित व दीप प्रज्जवलित कर किया।

कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ऑनलाईन दिल्ली से योगाभ्यास में शरीक हुए। योग शिविर में  बड़ी संख्यॉ में शरीक विद्यापीठ कार्यकर्ता, शहर के गणमान्य नागरिकों को योग गुरू डॉ. रोहित कुमावत, सुश्री भव्या यादव, रंजना राणा द्वारा स्वयं और समाज के लिए योग थीम पर सभी कार्यकर्ताओं को प्राणायाम, अनुलोम विलोम, वज्रासन, चक्रासन, वक्रासन, हलासन, सर्वांगासन, पश्चिमोतान आसन, गोमुखासन, मत्स्यासन, उष्ट्रासन, ताड़ासन, पादहस्तासन, का करीब एक घंटे तक अभ्यास  कराया। कार्यक्रम के अंत में हास्य योग का भी अभ्यास कराया गया।

प्रो. सारंगदेवोत ने योग प्रेमियों से कहा कि प्राचीन समय से ही भारत योग के माध्यम से विश्व गुरू रहा है, आज की युवा पीढी तकनीेकी युग में इसे भूल रही है जिससे युवा कई बीमारियों से ग्रसित हो रहा है। योग केवल आंतरिक पूर्णता ही नहीं अपितु पंच तत्वों के संतुलन की क्रिया भी है जिसके माध्यम से हम शारीरिक, मानसिक, संवेदनात्मक एवं प्राकृतिक संतुलन स्थापित करते हैं। आज की युवा पीढी को योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। भारतीय योग परम्परा में योग शारीरिक व मानसिक क्रियाओं से कहीं आगे आत्म, चित्त-वृत्ति से जुड़ी वो क्रियाएँ हैं, जो आत्मा व परमात्मा से जुड़ाव के साथ-साथ मनुष्य व प्रकृति के श्रेष्ठतम सामंजस्य को प्रदर्शित करता है। योग में सदैव मानवीय मूल्यों और चारित्रिक उत्थान के भाव निहित होते हैं। गीता में मन के समभाव योगक्रम कौशल और कर्मयोग के रूप में योग को उल्लेखित किया गया है। मनोकायिक रोग जैसे मधुमेह, सर्वाइकल, कब्ज, मनोरोग जैसे गंभीर रोग योगाभ्यास से दूर किये जा सकते है। मन की शांति के लिए योग महत्वपूर्ण है। योग के माध्यम से हम सकारात्मक विचार ग्रहण करते हैं, जिससे शरीर में नवीन उर्जा का संचार होता है। योग के अभ्यास से शारीरिक, मानसिक एवं अध्यात्मिक स्वास्थ्य लाभ हेाता है जो कि आज की भाग-दौड़ भरी जीवनशैली में अत्यंत आवश्यक है।
योग शिविर में डॉ. अमी राठौड, डॉ. रचना राठौड, डॉ. सुनिता मुर्डिया,  डॉ. संतोष लाम्बा, डॉ. अमित बाहेती, डॉ. हरीश मेनारिया, डॉ. ममता कुमावत, डॉ. कुलशेखर व्यास,डॉ. हिम्मत सिंह चुण्डावत, लहरनाथ, दुर्गाशंकर, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, अनिता राजपुत, जगदीश सालवी,  सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर ने योग का अभ्यास किया।

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