उदयपुर। एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनोमिस्ट अभीक बरूआ ने आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की मीटिंग में लिये गये फैसलों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुऐ कहा है कि नियामक मोर्चे पर थोक जाम सीमा को 2 करोड़ रूपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रूपये करना एक सराहनीय प्रयास है। आरबीआई की यह पहल बैंकों को ऋण वृद्धि को फण्ड देने के लिये अधिक खुदरा जमा प्राप्त करने के लिये प्रोत्साहित करने के इरादे को दर्शाता है।
बरुआ ने कहा कि जैसा कि अपेक्षित था, आरबीआई ने अपनी नीति दर और रुख को अपरिवर्तित रखा। हालांकि, एमपीसी के निर्णय में पिछली नीति में देखी गई असहमति के बजाय दो असहमति देखी गई। नीति से एक सकारात्मक बात यह थी कि वित्त वर्ष 25 के लिए जीडीपी वृद्धि पूर्वानुमान में 7 प्रतिशत से 7.2 प्रतिशत किया गया है। दूसरी ओर, मुद्रास्फीति पूर्वानुमानों को अपरिवर्तित रखा गया। आरबीआई दरों पर आगे बढऩे से पहले मानसून के प्रदर्शन, खाद्य मुद्रास्फीति और नई राजकोषीय रणनीति जैसे घरेलू विकास का आंकलन करने के लिए प्रतीक्षा और निगरानी मोड में है। हम वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में दर में कटौती की संभावना देखते हैं। गवर्नर के इस बात पर जोर देने के बावजूद कि मौद्रिक नीति निर्णय मुख्य रूप से घरेलू विचारों से प्रेरित होते हैं, हमें लगता है कि कोई भी दर कटौती कार्रवाई वित्तीय बाजार की अस्थिरता को सीमित करने के लिए फेड के दर कटौती चक्र के समय के साथ संरेखित हो सकती है।
थोक जमा सीमा बढ़ाने से बैंक अधिक खुदरा जमायें प्राप्त कर सकेंगे : बरूआ
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