तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा 62 मेधावी छात्रों व प्रोफेशनल्स का सम्मान

उदयपुर। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम उदयपुर चैप्टर के बैनर तले आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासनश्री मुनि सुरेशकुमार के सान्निध्य, मुनि सम्बोध कुमार ‘मेद्यांश’ के निर्देशन में भुवाणा स्थित महापुज्ञ विहार में ‘उभरते सितारे’ कार्यक्रम के तहत 62 मेधावी छात्र छात्राओं व प्रोफेशनल्स का सम्मान किया गया। इस अवसर पर मुनि सम्बोधकुमार ने कहा कि हम वो नहीं हैं जो दुनिया हमें बनाए, हमें वो बनता है जिस मकसद से हम यहाँ आये हैं। कामयाबियाँ आसमान से नही गिरती, उन्हें अपनी प्रतिभा से तलाशना और तराशना होगा। सारी कायनात कोशिश करेगी अपने विचारों को आप पर थोपने की, यह हम पर और हमारे विवेक पर निर्भर है कि हम दुनिया के विचारों से प्रभावित हो या स्वाभाविक बने। मेधावी सम्मान भविष्य की फ्रेमिंग का महनीय उपक्रम है जो हमें समाज से मिल रहा है। मन बनाए कि समाज को हम भी कुछ देने के प्रयास में सफल हो सके। हम सभी इस दुनिया में एक खास मकसद लेकर जन्मे हैं। ऐसे कार्यक्रम मन के हर कोने को प्रेरणाओं से सराबोर करते हैं।
 मोटिवेशनल स्पीकर दिव्यांश चव्हाण ने सक्सेस की ए. बी. सी. डी का विश्लेषण करते हुए कहा कि जिन्दगी में जो चाहे वो हासिल हो जाए तो उस उत्सव को सेलिब्रेट करे। जितनी ज्यादा तकलीफे होगी उतनी ऊंची कामयाबी होगी। अपनी प्रतिभा को पेंसिल की तरह नूकीला बनाए, अपने आपको कुछ एसा बनाओ कि हर सांस शेर की तरह दहाड़ते रहे। कार्यक्रम में दसवी कक्षा के 27, बारहवी कक्षा के 20 व प्रोफ़ेशनल ग्रेजुएट रहे 15 प्रतिभाओं को कांस्य, रजत एवं स्वर्ण पदक व सर्टिफिकेट भेंट कर वर्धापन किया गया। पूर्व न्यायाधीश हिमांशुराय नागौरी ने टीपीएफ की अवगति देते हुए फोरम की विभिन्न शिक्षा परियोजनाओं के बारे में बताया। तेरापंथ सभाध्यक्ष अर्जुन खोखावत ने कहा कि तेरापंथ समाज के विकास में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम की अहम भूमिका है। आज जिन प्रतिमाओं का अभिनंदन हो रहा है वे भविष्य के समाज के शुभ निमार्ण में अपना किरदार निभाए। टीपीएफ अध्यक्ष सीए मुकेश बोहरा ने स्वागत की रस्म निभाते हुए तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के द्वारा किये जा रहे कार्यो के बारे में बताया व प्रतिभा सम्मानित बच्चों का उत्साहवर्धन किया व बताया कि हम एक महान उपलब्धि की ओर गतिमान हैं। आभार राष्ट्रीय ट्रस्टी चंद्रेश बाफना ने जबकि मंच संचालन डॉ. ज्योति नाहर, डॉ. स्नेहा बाबेल एवं ऋषिता परमार ने किया।

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