शासनश्री मुनि सुरेशकुमार 22 घंटे रहेंगे एकांतवास व मौन
उदयपुर। जैनाचार्य आचार्य महाश्रण के आज्ञानुवर्ती शासनश्री मुनि सुरेशकुमार ‘हरनावा’ ने महावीर निर्वाण दिवस पर विगत 2 वर्ष से चल रही संलेखना साधना में वर्धमानता का संकल्प करते हुए 22 घंटे एकांतवास के साथ मौन व आहार में दो विगय व छह द्रव्यों से ज्यादा उपयोग नहीं करने का संकल्प किया । 83 वर्षीय मुनि ‘हरनावा’ 16 वर्ष की आयु में आचार्य तुलसी के सान्निध्य में मुनि बने थे। 62 वर्षों तक सम्पूर्ण भारत की लगभग 90000 किलोमीटर की यात्रा कर अब जैन साधना पद्धति के संलेखना की ओर गतिमान हैं। उन्होने दीपमालिका पर्व व भगवान महावीर 2549वें निर्वाण दिवस पर उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि मोह हमें वीतराग होने नहीं देता। भगवान महावीर के निर्वाण से गणधर गौतम संतप्त हुए तब तक वीतराग नहीं मिली, चैतन्य जागा मोह टूटा और वीतरागता ने स्वयं उन्हें वरण कर लिया। मुनिप्रवर ने कहा कि राम अयोध्या लौटे, भगवान महावीर निर्वाण को प्राप्त हुए, मुंडेरों पर खुशियों के दीये जले तब से अब तक भारतवर्ष दीये जलाकर अन्त:करण में आनंद की अभिव्यक्ति करता है।
मुनि सम्बोधकुमार ‘मेधांश’ ने कहा कि मिट्टी के दीये की उम्र क्या होती है? सुरज के बाद सिर्फ दीया ही है जो रात के अंधेरों में सूरज की भूमिका निभाता है। महावीर का धर्म सिर्फ एक बात कहता है- अपनी वजह से किसी का दिल ना दुखे, यही दीपावली और महावीर निर्वाण दिवस का संकल्प हो। मुनिप्रवर ने नववर्ष पर श्रावक समाज को आशीर्वाद स्वरूप मंगल पाठ सुनाया।
तेरापंथ महिला मंडल मंत्री श्रीमती दिपीका मारू ने महावीर अष्टकम का संगान किया। तेरापंथ समाध्यक्ष अर्जुन खोखावत ने दीपावली व महावीर निर्वाण दिवस की शुभकामनाएं देते हुए 8 नवम्बर को आयोजित मंगल भावना समारोह में शामिल होने का आग्रह किया।
सभा मंत्री विनोद कच्छारा ने बताया कि अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन में तेरापंथ महिला मंडल के बेनर तले 27 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे तेरापंथ भवन में मुनि सुरेशकुमार के सान्निध्य में ‘उत्सव रिश्तों का’ कार्यशाला आयोजित होगी। कार्यशाला में अधिवक्ता श्रीमती रेखा राठौड़ सम्बंधों को मजबूत बनाने का प्रशिक्षण देंगी। वहीं पंद्रह वर्ष से साथ रहवास कर रही देवरानी-जेठानी का वर्धापन किया जायेगा।